Waqf Act: PM मोदी से मिले दाऊदी बोहरा समुदाय के लोग, भिंडी बाजार में वक्फ के घपले को उजागर कर क्या बोले? जानिए
Muslim Dawoodi Bohra Community Meets PM Modi: 17 अप्रैल 2025 को दिल्ली में दाऊदी बोहरा समुदाय के प्रतिनिधियों ने PM मोदी और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू से मुलाकात की। बोहरा नेताओं ने कहा कि वक्फ संशोधन कानून ने उनकी 1923 से चली आ रही माँग पूरी की, जिसमें वे वक्फ बोर्ड के दायरे से छूट चाहते थे। उन्होंने PM के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के नारे की तारीफ की और कहा कि यह कानून “अल्पसंख्यकों में अल्पसंख्यक” की रक्षा करता है। बोहरा समुदाय, जो शिया मुसलमानों का एक समृद्ध लेकिन छोटा समूह है, अपने धार्मिक और प्रशासनिक मामलों को स्वतंत्र रूप से चलाना चाहता है। नए कानून में उन्हें यह छूट मिली है।
क्या है भिंडी बाजार में वक्फ़ के घपले की कहानी?
बता दें कि PM से मुलाकात में एक बोहरा सदस्य ने मुंबई के भिंडी बाजार में हुए वक्फ घपले का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि 2015 में समुदाय ने वहाँ एक प्रोजेक्ट के लिए भारी कीमत पर जमीन खरीदी। यह जमीन उनके नाम थी, जिसमें दुकानें, किरायेदार, और एक 700 वर्ग फीट का कम्युनिटी हॉल था, जहाँ लोग नमाज पढ़ते थे। लेकिन 2019 में नासिक और अहमदाबाद के कुछ लोग आए और दावा किया कि यह वक्फ की संपत्ति है।
इस दावे ने उनकी परियोजना को रोक दिया। बोहरा सदस्य ने PM से कहा, “हमने मेहनत से जमीन खरीदी, लेकिन वक्फ के नाम पर अटका दिया गया। इसलिए कानून में बदलाव जरूरी था।” नए कानून में ऐसी मनमानी रोकने के लिए सख्त नियम और पारदर्शी रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था है।
मुस्लिम महिलाओं की शिकायत पर बना नया वक्फ़ कानून
PM मोदी ने बताया कि वक्फ संशोधन कानून रातोंरात नहीं बना। उन्होंने पाँच साल तक इसकी बारीकियाँ समझीं और 1700 से ज्यादा शिकायतें सुनीं, जिनमें ज्यादातर मुस्लिम महिलाओं, खासकर विधवाओं की थीं। ये महिलाएँ वक्फ के नाम पर संपत्ति हड़पने की शिकायत कर रही थीं। मोदी ने कहा कि उन्होंने बोहरा समुदाय के आध्यात्मिक नेता सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन से सबसे पहले सलाह ली। सैयदना ने अपने जानकार लोगों को भेजा, जिन्होंने “कॉमा, फुल स्टॉप तक” कानून के ड्राफ्ट में मदद की। वहीं PM ने कहा कि वक्फ की असली भावना गरीबों की मदद है। सैयदना इसका सबसे अच्छा मॉडल दे सकते हैं। हमारा मकसद गरीबों और महिलाओं को न्याय देना है।
सुप्रीम कोर्ट में जंग: क्या है पूरा विवाद?
दरअसल वक्फ संशोधन कानून 8 अप्रैल 2025 को देश में लागू हो चुका है लेकिन इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी, जमीअत उलमा-ए-हिंद, और कांग्रेस सांसदों समेत 72 याचिकाएँ दायर हुई हैं। इनका कहना है कि यह कानून मुसलमानों के अधिकार छीनता है और संविधान के खिलाफ है। 17 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को सात दिन में जवाब देने को कहा और आदेश दिया कि 5 मई तक वक्फ बोर्ड में नियुक्तियाँ या संपत्तियों की डिनोटिफिकेशन नहीं होगी। सरकार का कहना है कि कानून पारदर्शिता और कुशल प्रबंधन के लिए है, लेकिन ममता बनर्जी जैसे नेता इसे “मुस्लिम विरोधी” बता रहे हैं।
बोहरा समुदाय का समर्थन लेकिन अन्य क्यों खफा?
दाऊदी बोहरा समुदाय ने नए कानून को अपनी जीत बताया, लेकिन अन्य मुस्लिम संगठन इसे धार्मिक स्वायत्तता पर हमला मानते हैं। बोहरा समुदाय ने जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी में वकील हरीश साल्वे के जरिए अपनी बात रखी थी, जिसके बाद कानून में उनके लिए छूट दी गई। PM ने कहा कि यह कानून गरीबों, खासकर मुस्लिम महिलाओं को सशक्त करेगा। X पर लोग इसे “बोहरा समुदाय की जीत” बता रहे हैं, तो कुछ इसे “वक्फ बोर्ड की मनमानी पर लगाम” कह रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट का 5 मई का फैसला तय करेगा कि यह कानून रहेगा या बदलेगा
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