डिफेंस कवरेज पर केंद्र सरकार की सख्ती, मीडिया चैनलों को जारी की गई खास एडवाइजरी- कहा, संयम बरतें!
Advisory For Media: 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम की बैसारन घाटी में हुए नृशंस आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। लश्कर-ए-तैयबा की प्रॉक्सी संगठन 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' ने 26 निर्दोष हिंदू पर्यटकों को निशाना बनाया, जिसके बाद भारत ने पाक समेत आतंक पर तमाम बड़े एक्शन लिए हैं। इस संवेदनशील माहौल में सरकार ने मीडिया को एक महत्वपूर्ण एडवाइजरी जारी करते हुए कहा है कि लाइव कवरेज से आतंकियों को सेना की रणनीति की जानकारी मिल सकती है।
करगिल से कंधार तक के कड़वे अनुभव
सरकार ने अपनी एडवाइजरी में मीडिया को इतिहास से सबक लेने की सलाह दी है। 1999 के करगिल युद्ध के दौरान मीडिया की लाइव कवरेज ने अनजाने में पाकिस्तानी सेना को भारतीय रणनीति की जानकारी दे दी थी। इसी तरह 26/11 के मुंबई हमले में आतंकियों ने टीवी पर लाइव कवरेज देखकर सुरक्षा बलों की गतिविधियों पर नजर रखी थी। 1999 के कंधार विमान अपहरण में भी मीडिया कवरेज ने सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी थीं। सरकार ने स्पष्ट किया कि वर्तमान स्थिति में राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि है और मीडिया को इसका पूरा ध्यान रखना चाहिए।
मीडिया के लिए नई गाइडलाइन्स ज़ारी
सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने मीडिया संगठनों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे सनसनीखेज कवरेज से बचें और केवल आधिकारिक सूत्रों से प्राप्त जानकारी को ही प्रसारित करें। डिप्टी डायरेक्टर क्षितिज अग्रवाल ने इस एडवाइजरी को सभी टीवी चैनल्स, मीडिया एसोसिएशंस और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए हैं।
Ministry of Information and Broadcasting issues advisory to all Media channels to refrain from showing live coverage of defence operations and movement of security forces in the interest of national security
"In the interest of national security, all media platforms, news… pic.twitter.com/AASdtbFgTd
— ANI (@ANI) April 26, 2025
वहीं सोशल मीडिया पर इस कदम को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। जहां एक तरफ कुछ यूजर्स ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी बताया, वहीं कुछ लोगों ने इसे प्रेस की आजादी पर अंकुश बताने की कोशिश की।
सुरक्षा और पारदर्शिता के बीच संतुलन बनाना मकसद
यह एडवाइजरी भारत की शून्य सहनशीलता (जीरो टॉलरेंस) नीति का हिस्सा है, जिसके तहत आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है। लाइव कवरेज पर रोक से सुरक्षा बलों को अपने ऑपरेशन्स में अधिक गोपनीयता मिलेगी, जिससे आतंकियों को निशाना बनाना आसान होगा। हालांकि, यह मीडिया के लिए एक चुनौती भी है, क्योंकि जनता तक सही और समय पर जानकारी पहुंचाना भी उनकी जिम्मेदारी है। अगले कुछ दिनों में यह स्पष्ट हो जाएगा कि मीडिया इस संतुलन को कैसे बनाए रखता है। फिलहाल, सरकार का संदेश स्पष्ट है कि राष्ट्रीय सुरक्षा किसी भी समझौते से ऊपर है।
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