BAPS के स्वामी ब्रह्मविहारिदास ने पीएम मोदी से की दिल्ली में मुलाकात, इन मुद्दों को लेकर हुई चर्चा
10 अप्रैल 2025 को BAPS स्वामीनारायण संस्था के स्वामी ब्रह्मविहारिदास ने भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से उनके घर पर मुलाकात की। स्वामी जी ने प्रधानमंत्री को फूलों की माला पहनाकर शुभकामनाएं दीं और उनके लिए प्रार्थना भी की।
बातचीत के दौरान स्वामी ब्रह्मविहारिदास ने अबू धाबी में बन रहे भव्य मंदिर के आगे के निर्माण कार्य और वहां की सरकार से मिल रहे सहयोग के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि यह सब परम पूज्य महंत स्वामी महाराज की प्रेरणा से संभव हो रहा है।
इसके अलावा उन्होंने प्रधानमंत्री को यह भी बताया कि बहरीन, पेरिस, दार-ए-सलाम, जोहान्सबर्ग, मेलबर्न और सिडनी जैसे शहरों में भी नए BAPS मंदिर और सांस्कृतिक केंद्र तैयार हो रहे हैं।
इस मुलाकात में नैतिकता, देश की एकता और आध्यात्मिकता जैसे अहम मुद्दों पर भी चर्चा हुई।
अबू धाबी के BAPS में मनाई गई थी रामनवमी
अबू धाबी के मशहूर बीएपीएस हिंदू मंदिर में रामनवमी और स्वामीनारायण जयंती का त्योहार बड़े ही धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया गया था। इस मौके पर यूएई में रहने वाले लोगों के बीच सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जुड़ाव देखने को मिला। मंदिर के मुख्य पुजारी ब्रह्मविहारी स्वामी ने बताया था कि यह उत्सव पूरे दिन चला था। सुबह 9 बजे से लेकर दोपहर 12 बजे तक राम भजनों का आयोजन हुआ था, उसके बाद श्रीराम जन्मोत्सव की आरती हुई थी। देश-विदेश से श्रद्धालु भारी संख्या में इस खास मौके पर मंदिर पहुंचे थे। उस दिन तो मंदिर का माहौल पूरी तरह आध्यात्मिक और भक्तिमय हो गया था।
पिछले साल पीएम मोदी ने किया था उद्घाटन
पिछले साल पीएम नरेंद्र मोदी ने यूएई में एक बेहद भव्य और खूबसूरत मंदिर का उद्घाटन किया था। ये मंदिर भगवान स्वामीनारायण को समर्पित है और अबू धाबी में बना है। कुल 27 एकड़ में फैले इस मंदिर का निर्माण पारंपरिक 'नागर शैली' में किया गया है।
मंदिर खुद 13.5 एकड़ में फैला है और इसके बराबर की जगह यानी 13.5 एकड़ पार्किंग के लिए रखी गई है। इस पार्किंग में एक साथ 14,000 गाड़ियां और 50 बसें खड़ी हो सकती हैं।
इस मंदिर की बनावट भी बेहद खास है। इसमें 7 शिखर और 5 गुंबद हैं। मंदिर की लंबाई 262 फीट, चौड़ाई 180 फीट और ऊंचाई 108 फीट है। इसे बनाने में करीब 700 करोड़ रुपये का खर्च आया है।
निर्माण में खास बात ये है कि इसमें लोहे या स्टील का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं हुआ। सिर्फ चूना पत्थर और संगमरमर का प्रयोग किया गया ताकि ये मंदिर हजारों साल तक टिक सके। इस मंदिर के लिए 20,000 टन से भी ज्यादा पत्थर और संगमरमर 700 कंटेनरों में भरकर भारत से अबू धाबी लाया गया था।
मंदिर की दीवारों और दरवाजों पर बेहद सुंदर नक्काशी की गई है। प्रवेश द्वार पर आठ मूर्तियां हैं, जो सनातन धर्म के आठ मूल्यों को दर्शाती हैं। मंदिर के भीतर एक एम्फीथिएटर भी बनाया गया है, जो बनारस घाट की झलक देता है। जब लोग इसमें चलते हैं तो दो पानी की धाराएं नजर आती हैं जो गंगा और यमुना का प्रतीक हैं। बीच में एक रौशनी की किरण भी नजर आती है, जो सरस्वती नदी का संकेत देती है।
मंदिर की दीवारों पर ऊंट और घोड़ों की भी नक्काशी है, जो यूएई की संस्कृति को दर्शाते हैं। साथ ही हिंदू धर्म और दुनिया की बाकी सभ्यताओं की 250 से भी ज्यादा कहानियों को पत्थरों पर उकेरा गया है।
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