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बीजेपी, कांग्रेस, MNS, शिवसेना और शिवाजी के वंसज, सब बोले एक सुर में… औरंगजेब की कब्र को हटाया जाये

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि उनकी भी इच्छा है कि औरंगजेब की कब्र हटाई जाए, लेकिन यह एक संरक्षित स्थल है। उन्होंने बताया कि कांग्रेस सरकार के समय इसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षण मिला था।
01:57 PM Mar 10, 2025 IST | Vyom Tiwari

महाराष्ट्र के संभाजीनगर में औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग ज़ोर पकड़ रही है। इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, कांग्रेस, शिवसेना और एमएनएस सभी एक सुर में बोल रहे हैं।

मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि उनकी भी इच्छा है कि यह कब्र हटाई जाए, लेकिन यह एक संरक्षित स्थल है। कांग्रेस सरकार के दौरान इसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) से संरक्षण मिला था।

वहीं, कांग्रेस ने बीजेपी पर पलटवार किया है। कांग्रेस नेता नाना पटोले ने कहा कि देवेंद्र फडणवीस तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं, तो हर बार कांग्रेस को दोष देना सही नहीं है। उन्होंने कहा कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए सरकार को खुद फैसला लेना चाहिए।

अलग कैसे हो सकते हैं हमारे विचार?

बीजेपी नेता सुधीर मुंगंटीवार ने कहा कि जब मैंने अफजल की कब्र से अतिक्रमण हटवाया था, तो अब इस मुद्दे पर मेरा नजरिया अलग कैसे हो सकता है? महाविकास अघाड़ी सरकार औरंगजेब की कब्र बनाए रखना चाहती थी, लेकिन हमारी सरकार इसे हटाने के पक्ष में है। उन्होंने कहा कि औरंगजेब जैसे आक्रमणकारी का महिमामंडन नहीं होना चाहिए, क्योंकि वह रावण के बाद सबसे बड़ा दुष्ट था।

शिवसेना नेता शंभूराजे देसाई ने भी इस पर सहमति जताई और कहा कि हमारी सरकार औरंगजेब की कब्र हटाने के पक्ष में है। इस मामले पर मुख्यमंत्री और दोनों उपमुख्यमंत्री जल्द ही केंद्र सरकार से बातचीत करेंगे।

किसी को गलत लगने जैसी कोइ बात ही नहीं : शिवेंद्रराजे भोसले

शिवेंद्रराजे भोसले ने कहा कि औरंगजेब की कब्र महाराष्ट्र में नहीं होनी चाहिए, इसमें कोई गलत बात नहीं है। वहीं, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के नेता बाला नांदगांवकर ने इस पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि शिवाजी महाराज को तकलीफ देने वाले और संभाजी महाराज की हत्या करने वाले औरंगजेब की कब्र की कोई जरूरत नहीं है। इसे जल्द से जल्द हटाया जाना चाहिए।

कैसे शुरू हुआ था विवाद?

महाराष्ट्र के नेता अबू आज़मी ने हाल ही में एक बयान दिया था जिसमें उन्होंने 17वीं सदी के मुगल बादशाह औरंगजेब को क्रूर या असहिष्णु शासक मानने से इनकार किया। उनका कहना था कि फिल्मों में मुगलों की छवि गलत तरीके से दिखाई जा रही है। उनके इस बयान के बाद राजनीतिक माहौल गरम हो गया।

विवाद बढ़ता देख अबू आज़मी ने सफाई देते हुए कहा कि उनका इरादा छत्रपति शिवाजी महाराज या संभाजी महाराज का अपमान करने का कभी नहीं था। उन्होंने दावा किया कि उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने औरंगजेब के बारे में वही बातें कही हैं, जो इतिहासकारों और लेखकों ने लिखी हैं।

अबू आज़मी ने आगे कहा, "मैं इतना बड़ा नहीं हूं कि इन महापुरुषों के खिलाफ कुछ कहूं। अगर मेरे बयान से किसी की भावनाएं आहत हुई हैं, तो मैं बिना किसी शर्त के माफी मांगता हूं और अपना बयान वापस लेता हूं।"

इस पूरे मामले के चलते महाराष्ट्र के ठाणे में उनके खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है।

 

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