Ashutosh Sharma Struggle: भूख और अनदेखी को मात देकर संघर्ष से पाई सपनों की उड़ान, आशुतोष शर्मा के स्ट्रगल की कहानी!
Ashutosh Sharma Struggle: रतलाम। अक्सर छोटे शहरों, गांवों के लोगों को स्ट्रगल की राह से गुजरकर ही अपना रास्ता बनाना होता है। जब कहीं कुछ समझ नहीं आ रहा हो कि भविष्य क्या होगा। मैं वो कर भी पाउंगा, जो सोच रहा हूं या फिर सपने-सपने ही रह जाएंगे। इसी तरह की कश्मकश थी आशुतोष में। एक छोटे से कस्बे से निकलकर बड़े सपने देखने वाले आशुतोष शर्मा को लगा था कि क्रिकेट उनका भविष्य होगा। लेकिन, 2020 में जब मध्य प्रदेश टीम से वो बाहर हो गए, तो उनके लिए यह किसी बड़े झटके से कम नहीं था। डिप्रेशन ने उन्हें घेर लिया, न कोई वजह बताने वाला था, न कोई सहारा देने वाला।
संघर्ष से भरी है आशुतोष की कहानी
क्रिकेट खेलने के लिए घर छोड़कर इंदौर में रहना आसान नहीं था। पैसे की तंगी इतनी थी कि खाने तक के लिए संघर्ष करना पड़ा। पेट भरने के लिए उन्होंने अंपायरिंग तक की। छोटे से शहर से बड़े महानगर में जीवन गुजारना आसान नहीं होता। यहां हर दिन लड़ना पड़ता है। जब कोई रास्ता नहीं दिख रहा था, तब उन्हें उस बीच रेलवे की नौकरी मिली। लेकिन, उनमें क्रिकेट का जुनून जिंदा था। इसी जुनून ने 2023 में उन्हें भारतीय क्रिकेट के इतिहास में दर्ज कर दिया। साल 2023 में उन्होंने सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में अरुणाचल प्रदेश के खिलाफ महज 11 गेंदों में अर्धशतक जड़कर युवराज सिंह का भारतीय T20 क्रिकेट में सबसे तेज फिफ्टी का रिकॉर्ड तोड़ दिया।
जब सबको चौंका दिया
पंजाब किंग्स ने आशुतोष पर भरोसा किया। जब मौका मिला तो उन्होंने भी बिना कोई हिचकिचाहट के दिखा दिया कि वो भी किसी से कम नहीं! मुंबई इंडियंस के खिलाफ 28 गेंदों में 61 रन बनाकर उन्होंने सभी को चौंका दिया। अब हर कोई यही पूछ रहा है कि क्या ये नया सितारा भारतीय क्रिकेट टीम का भविष्य है? अथाह संघर्ष और लगातार डटे रहने से आखिरकार आशुतोष ने अपना लक्ष्य हासिल कर ही लिया।
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