कौन हैं 31 साल के अरविंद श्रीनिवास, जिनकी AI कंपनी अमेरिका में खरीद सकती है TikTok?
TikTok US Aravind Srinivas: चाइनीज़ कंपनी बाइटडांस का शॉर्ट वीडियो प्लेटफॉर्म टिकटॉक अमेरिका में संकट के दौर से गुज़र रहा है। ट्रंप सरकार के सत्ता में आने से पहले यह ऐप लगभग बंद होने की कगार पर था, लेकिन हाल ही में इसे राहत मिली। शर्त यह है कि टिकटॉक को अमेरिका में अपना कारोबार किसी अमेरिकी कंपनी को बेचना होगा। इस मौके को भुनाने के लिए कई दिग्गज नाम दौड़ में शामिल हैं, जिनमें टेस्ला के एलन मस्क और मशहूर यूट्यूबर Mr. Beast जैसे लोग पहले से मौजूद हैं। अब इस रेस में एक नया नाम Perplexity का भी जुड़ गया है, जिसके CEO भारतीय मूल के अरविंद श्रीनिवास हैं। चेन्नई में जन्मे इस युवा उद्यमी की कहानी न सिर्फ प्रेरणादायक है, बल्कि यह भी दिखाती है कि भारत के टैलेंट की गूंज अब सिलिकॉन वैली तक पहुँच रही है।
कौन हैं अरविंद श्रीनिवास?
अरविंद श्रीनिवास का जन्म 1994 में तमिलनाडु के चेन्नई में हुआ था। उनकी पढ़ाई देश के प्रतिष्ठित संस्थान IIT-मद्रास से हुई, जहाँ उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डुअल डिग्री (बी.टेक और एम.टेक) हासिल की। इसके बाद वे अमेरिका चले गए और कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, बर्कले से कंप्यूटर साइंस में PHD पूरी की। अपने करियर की शुरुआत उन्होंने ओपनएआई से की, जिसे Chat-Gpt जैसे क्रांतिकारी AI टूल के लिए जाना जाता है। बाद में उन्होंने गूगल और डीपमाइंड जैसी दिग्गज टेक कंपनियों में काम किया, जहाँ उन्होंने AI और मशीन लर्निंग की गहरी समझ विकसित की। 2022 में अरविंद ने डेनिस यारात्स, एंडी कोनविंस्की और जॉनी हो के साथ मिलकर Perplexity AI की नींव रखी। आज उनकी यह कंपनी सैन फ्रांसिस्को से संचालित होती है और AI की दुनिया में तेज़ी से उभर रही है।
Perplexity क्या करती है?
दरअसल Perplexity एक AI-संचालित सर्च इंजन है, जो पारंपरिक सर्च इंजनों से अलग, यूज़र्स को सीधे और सटीक जवाब देने पर फोकस करती है। यह बड़े भाषा मॉडल्स (LLMs) का इस्तेमाल करती है, जो इसे गूगल जैसे दिग्गजों के लिए एक संभावित चुनौती बनाती है। टिकटॉक के अमेरिकी कारोबार को खरीदने के लिए Perplexity कथित तौर पर 18 अरब डॉलर जुटाने की कोशिश कर रही है। अगर यह डील सफल होती है, तो कंपनी टिकटॉक के एल्गोरिदम को ओपन-सोर्स करने की योजना बना रही है, यानी इसे हर किसी के लिए उपलब्ध कराया जा सकता है।
इसके अलावा, अरविंद श्रीनिवास ने यह भी वादा किया है कि टिकटॉक को खरीदने के बाद वे अमेरिका में डेटा सेंटर्स बनाएंगे, ताकि डेटा सुरक्षा और निगरानी के मामले में अमेरिकी सरकार का भरोसा जीता जा सके। यह कदम ट्रंप प्रशासन की "अमेरिकी नियंत्रण" वाली शर्त को भी पूरा करता है।
कामथ के पॉडकास्ट में दिखे थे अरविंद श्रीनिवास
हाल ही में ज़ेरोधा के को-फाउंडर निक्की कामथ के पॉडकास्ट "WTF is?" में अरविंद श्रीनिवास ने अपनी ज़िंदगी के कुछ रोचक पहलुओं को साझा किया। बातचीत में उन्होंने अपनी बेंगलुरु इंटर्नशिप के दिनों को याद किया, जब वे कोरमंगला में रहते थे। अरविंद ने बताया कि वे शहर को ज़्यादा एक्सप्लोर नहीं कर पाए, क्योंकि "बेंगलुरु का ट्रैफिक उस वक्त भी खराब था, और अब तो सुनने में आता है कि यह और भी बदतर हो गया है।" उन्होंने कहा कि वे ज़्यादातर अपने अपार्टमेंट में रहकर काम करते थे, और निक्की ने इस फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि "काम पर फोकस करना शायद बेहतर था।"
क्या अरविंद खरीद लेंगे टिकटॉक को?
अमेरिका में टिकटॉक के 170 मिलियन यूज़र्स इसके भविष्य को लेकर चिंतित हैं। ट्रंप ने साफ कहा है कि अगर टिकटॉक का अमेरिकी हिस्सा किसी स्थानीय कंपनी को नहीं बेचा गया, तो इसे बैन कर दिया जाएगा। भारत में यह ऐप पहले ही 2020 में बैन हो चुका है। अगर अमेरिका में भी ऐसा हुआ, तो बाइटडांस को भारी नुकसान होगा। Perplexity का यह दांव न सिर्फ टिकटॉक को बचाने की कोशिश है, बल्कि इसे AI के साथ जोड़कर एक नया टेक साम्राज्य बनाने का सपना भी है। अरविंद श्रीनिवास की इस महत्वाकांक्षा ने उन्हें दुनिया भर में चर्चा में ला दिया है।
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