Tulsi Gabbard India Visit: तुलसी गबार्ड ने दिल्ली में अजित डोभाल से मुलाकात की, खालिस्तानी मुद्दे पर दिया बड़ा संदेश
Tulsi Gabbard In India: अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड ने हाल ही में भारत की राजधानी दिल्ली में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल के साथ एक हाई-प्रोफाइल बैठक की। यह मुलाकात न सिर्फ भारत-अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का संकेत देती है, बल्कि खालिस्तानी तत्वों और वैश्विक सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दों पर भी दोनों देशों के बीच गहरी सहमति को उजागर करती है। यह दौरा ट्रंप प्रशासन के किसी बड़े अधिकारी की भारत की पहली बड़ी यात्रा माना जा रहा है, और इसके पीछे का मकसद साफ है - दोनों देशों के बीच खुफिया सहयोग को और मजबूत करना। तो चलिए, इस बैठक के रोचक पहलुओं को विस्तार से समझते हैं।
डोभाल–तुलसी मीटिंग में किन विषयों पर हुई चर्चा?
तुलसी गबार्ड और अजित डोभाल की यह मुलाकात कोई साधारण डिप्लोमैटिक मीटिंग नहीं थी। इसमें खुफिया सूचनाओं के आदान-प्रदान से लेकर आतंकवाद, साइबर अपराध और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे गंभीर मुद्दों पर ठोस रणनीति बनाने की बात हुई। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ती चुनौतियों को देखते हुए दोनों देशों ने इस इलाके में स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करने का संकल्प लिया। सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में तकनीकी सहयोग और डेटा शेयरिंग को लेकर भी कुछ बड़े फैसले लिए गए, जो आने वाले दिनों में आतंकवाद के खिलाफ जंग में गेम-चेंजर साबित हो सकते हैं।
खालिस्तान के मुद्दे पर क्या बोल गईं तुलसी ग़बार्ड?
भारत के लिए खालिस्तानी समर्थक तत्वों का मसला हमेशा से संवेदनशील रहा है। इस बैठक में भारत ने विदेशों में सक्रिय इन तत्वों और भारत विरोधी गतिविधियों पर अपनी चिंता को बेबाकी से रखा। अजित डोभाल ने साफ शब्दों में कहा कि ये ताकतें भारत की एकता और अखंडता के लिए खतरा हैं। जवाब में तुलसी गबार्ड ने अमेरिका का रुख स्पष्ट करते हुए कहा, "हम भारत की संप्रभुता और एकता के साथ खड़े हैं।" यह बयान खालिस्तानी समर्थकों के लिए एक सख्त चेतावनी है कि अब अमेरिका भी इस मुद्दे पर भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है। यह कदम दोनों देशों के बीच भरोसे की नई मिसाल कायम करता है।
वैश्विक मुद्दों पर भी हुई बातचीत
यह बैठक सिर्फ द्विपक्षीय मुद्दों तक सीमित नहीं रही। रूस-यूक्रेन संकट, मध्य पूर्व में अस्थिरता और वैश्विक आतंकवाद जैसे बड़े मुद्दों पर भी गहन विचार-विमर्श हुआ। दोनों नेताओं ने माना कि इन चुनौतियों से निपटने के लिए समन्वित प्रयास जरूरी हैं। इसके अलावा, प्रत्यर्पण और इमिग्रेशन जैसे जटिल मसलों पर भी बातचीत हुई। विशेषज्ञों का कहना है कि यह बैठक आने वाले समय में वैश्विक सुरक्षा नीतियों को प्रभावित कर सकती है।
तुलसी गबार्ड का भारत से क्या है कनेक्शन?
तुलसी गबार्ड का यह दौरा इसलिए भी खास है क्योंकि यह ट्रंप प्रशासन के किसी बड़े अधिकारी की भारत की पहली हाई-लेवल विजिट है। पिछले महीने वाशिंगटन डीसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी मुलाकात के बाद यह दूसरा बड़ा मौका था, जब उन्होंने भारत के साथ अपनी नजदीकी दिखाई। हिंदू मूल की गबार्ड का भारत से सांस्कृतिक जुड़ाव भी इस दौरे को खास बनाता है। दिल्ली में उनकी मौजूदगी ने दोनों देशों के बीच रिश्तों में एक नई गर्मजोशी भरी।
वैश्विक खुफिया सम्मेलन का मंच
यह मुलाकात दिल्ली में आयोजित एक वैश्विक खुफिया सम्मेलन के दौरान हुई, जिसकी मेजबानी अजित डोभाल ने की। इस सम्मेलन में ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, न्यूजीलैंड और कनाडा जैसे देशों के खुफिया प्रमुख भी शामिल हुए। आतंकवाद से लेकर साइबर हमलों तक, कई मुद्दों पर इस मंच से बड़ी रणनीतियां तैयार की गईं। गबार्ड और डोभाल की बैठक ने इस सम्मेलन को और भी अहम बना दिया।
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