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ट्रम्प सरकार के आने से गर्भपात अधिकारों पर संकट के बादल, गर्भनिरोधक दवाओं की मांग में भारी बढ़ोतरी

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद महिलाओं में गर्भनिरोधक दवाओं और आपातकालीन गर्भनिरोधक की मांग में भारी इजाफा हुआ है।
12:13 PM Nov 14, 2024 IST | Girijansh Gopalan
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अमेरिका में 47वें राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रंप को वहां की जनता ने चुना है। हालांकि ट्रंप के आने के बाद से ही अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प की जीत के बाद महिलाओं में बर्थ कंट्रोल पिल यानी गर्भनिरोधक दवाओं की मांग बढ़ी हैं। इसके अलावा इमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्शन (आपातकालीन गर्भनिरोधक) दवाओं की मांग भी तेजी से बढ़ रही है।

ब्रिकी में 1000 प्रतिशत का इजाफा

अमेरिकी अखबार यूएसए टूडे की रिपोर्ट के मुताबिक इन दवाओं को बनाने वाली कंपनी Wisp ने बताया कि 5 से 7 नवंबर के बीच इमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्शन दवाओं की बिक्री 1000% का इजाफा हुआ है। जानकारी के मुताबिक इस दौरान इन दवाओं को खरीदने वालों की संख्या में 1650% की बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा, अबॉर्शन की दवाइयों की सेल में भी 600% की बढ़ोतरी हुई है। दरअसल ट्रम्प के चुनाव जीतने के बाद महिलाओं में इस बात का डर है कि उनके अबॉर्शन राइट्स और सख्त हो जाएंगे।

क्या अमेरिका में खत्म होगा अबॉर्शन राइट्स

बता दें कि साल 2022 में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने अबोर्शन राइट्स को खत्म कर दिया था। उस समय ट्रम्प ने इस फैसले का समर्थन किया था। अब महिलाओं को इस बात का डर है कि ट्रम्प सरकार के आने से उनके अबॉर्शन राइट्स पर असर पड़ सकता है। वहीं चुनाव के बाद एक सर्वे में यह पाया गया था कि 50% से अधिक महिलाएं इस बात को लेकर चिंतित हैं कि उन्हें सुरक्षित गर्भपात और उससे जुड़ी स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिलेंगी। रिपोर्ट के मुताबिक महिलाएं उन राज्यों में जाने पर विचार कर रही है, जहां अबॉर्शन से जुड़े कानून आसान है। इसके तहत उन्हें आसानी से अबॉर्शन से जुड़ी सेवाएं मिल सकती हैं।

कई बार बैन हो चुका है अबॉर्शन

1880 तक अमेरिका में अबॉर्शन करवाना कानूनी था। लेकिन 1873 में अमेरिका में अबॉर्शन की दवाओं पर बैन लगा दिया गया था। जिसके बाग 1900 तक लगभग सभी राज्यों में अबॉर्शन बैन हो गया था। उस वक्त सिर्फ प्रग्नेंसी से मां की जान को खतरा होने पर ही अबॉर्शन किया जा सकता था। लेकिन 1960 के दशक में महिलाओं ने अपने अधिकारों के लिए आंदोलन शुरू किया था। 1969 में नोर्मा मैककॉर्वी ने अबॉर्शन के कानून को चुनौती दी थी। ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और 1973 में सुप्रीम कोर्ट ने अमेरिका में अबॉर्शन को लीगल कर दिया था। लेकिन 24 जून 2022 को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया है। इसके बाद महिलाओं को अबॉर्शन के लिए मिली संवैधानिक सुरक्षा भी खत्म हो गई है। उस समय ट्रम्प ने इस फैसले का समर्थन किया था।

दवाओं के बैन होने से डरे अमेरिकी

उत्तरी कैरोलिना के ड्यूक विश्वविद्यालय में ओबी-जीवाईएन अल्फोंसो ने कहा कि मैंने 2016 में ट्रंप के चुनाव के बाद और 2022 में रो बनाम वेड के पलट जाने के बाद यह उछाल देखा था। लेकिन इस बार मरीज़ ज़्यादा डरे हुए लग रहे हैं। हालांकि गर्भपात विरोधी समर्थक ट्रंप पर गर्भपात की गोलियों पर और अधिक प्रतिबंध लगाने का दबाव बना रहे हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है। दरअसल ट्रंप ने मई में एक पिट्सबर्ग टेलीविज़न स्टेशन से कहा कि वह गर्भनिरोधक पर नियमों का समर्थन करने के लिए तैयार हैं। लेकिन साक्षात्कार पर मीडिया रिपोर्टों के बाद ही उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा कि उन्होंने कभी भी जन्म नियंत्रण और अन्य गर्भ निरोधकों को प्रतिबंधित करने की वकालत नहीं की है और ना ही कभी करेंगे।

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