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भारी वाहनों के ड्राइवर केवल 8 घंटे ही चला सकेंगे गाड़ी, गडकरी बना रहे योजना

केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी कहा कि भारत को भी भारी वाहनों की ड्राइविंग के लिए 8 घंटे के काम के नियम पर ध्यान देना चाहिए।
11:15 AM Jan 08, 2025 IST | Vyom Tiwari

केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने ड्राइवरों के लिए एक अच्छी खबर दी है। उन्होंने बताया कि सरकार भारी वाहनों के ड्राइवरों के काम के घंटों पर नजर रखने के लिए एक नया सिस्टम तैयार कर रही है। गडकरी ने चिंता जताई कि कई बार ड्राइवर 12 घंटे या उससे भी ज्यादा समय तक गाड़ी चलाते हैं। इससे उनकी सेहत और काम की गुणवत्ता पर असर पड़ता है।

जयपुर में हाल ही में हुए एक सड़क हादसे की जांच में पता चला है कि एलपीजी टैंकर का ड्राइवर 12 घंटे से ज्यादा समय तक गाड़ी चला रहा था। इस पर चर्चा करते हुए नितिन गडकरी ने कहा कि ऐसे मामलों में सावधानी बरतने की जरूरत है।

8 घंटे तक की ही ड्राइविंग करते है इन देशों के ड्राइवर 

उन्होंने कहा कि अमेरिका, यूरोप और अन्य विकसित देशों में ड्राइवर को सिर्फ आठ घंटे तक ही गाड़ी चलाने की अनुमति होती है, और वहां इस नियम का पालन किया जाता है। लेकिन भारत में इस नियम का पालन नहीं हो रहा है, और ड्राइवर अधिक समय तक गाड़ी चलाते हैं।

उन्होंने कहा कि हम इस मामले में कई विकल्पों पर विचार कर रहे हैं. एक विचार यह है कि ड्राइवर के काम करने के घंटों को ट्रैक करने के लिए आधार कार्ड का इस्तेमाल सिस्टम में स्वाइप करने के लिए किया जाएगा.

भारी वाहनों में स्वचालित आपातकालीन ब्रेकिंग सिस्टम होना जरूरी 

इसके जरिए यह पता चल सकेगा कि भारी वाहन के ड्राइवर कितने घंटे गाड़ी चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम सभी नए भारी वाहनों में स्वचालित आपातकालीन ब्रेकिंग सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी कंट्रोल और ड्राइवर को नींद आने पर चेतावनी (ऑडियो अलर्ट के साथ) देने को भी जरूरी बनाने पर काम कर रहे हैं।

सड़क परिवहन सचिव वी उमाशंकर ने बताया कि सरकार अब ड्राइवरों के लंबे समय तक ड्राइविंग करने के घंटों को ट्रैक करने पर काम कर रही है। इसके लिए तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा, ताकि वाहन की लोकेशन ट्रैक करने वाले डिवाइस (वीएलटीडी) और आधार कार्ड को एक साथ जोड़ा जा सके। सभी वाणिज्यिक वाहनों में वीएलटीडी अनिवार्य होगा। उन्होंने यह भी कहा कि हालांकि मोटर परिवहन कर्मचारी अधिनियम के तहत राज्यों को ड्राइविंग घंटों और काम की स्थिति को निर्धारित करने का अधिकार है, लेकिन अब तक केवल कुछ ही राज्यों ने इसे लागू किया है।

 

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