कटियाबाजी पर क्यों उतरे ब्रिटिशर्स? कभी दुनिया पर राज करने वाले आज कर रहे बिजली चोरी
जो ब्रिटेन कभी "सूरज न डूबने वाला साम्राज्य" कहा जाता था, आज वहीं के लोग बिजली के लिए मीटर से जुगाड़ करने पर मजबूर हो गए हैं। हर साल ब्रिटेन में करीब 1.5 अरब पाउंड की गैस और बिजली चोरी हो रही है। ये चोरी हर साल बढ़ती जा रही है। हालात इतने खराब हैं कि देश में लाखों लोग ठंड से बचने और घर का खर्च चलाने के लिए मीटर से छेड़छाड़ कर रहे हैं।
हाई बिजली बिलों ने तोड़ी कमर
नेशनल एनर्जी एक्शन के पॉलिसी हेड मैट कोपलैंड का कहना है कि जैसे-जैसे बिजली के दाम और लोगों पर कर्ज़ बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे लोगों की सहने की ताक़त भी कम होती जा रही है। अब बहुत से परिवार ऐसे हैं जिनके लिए हर महीने आने वाला भारी बिजली का बिल भरना बहुत मुश्किल हो गया है। मजबूरी में लोग मीटर से छेड़छाड़ जैसे रास्तों का सहारा ले रहे हैं ताकि किसी तरह बिजली की जरूरत पूरी हो सके।
बिजली चोरी अब सिर्फ आम लोगों तक सीमित नहीं रह गई है। अब कुछ संगठित गिरोह भी बड़े पैमाने पर बिजली चुराने लगे हैं। ये गैंग चोरी की गई बिजली का इस्तेमाल गैरकानूनी कामों में कर रहे हैं जैसे गांजे की खेती करना या बिटकॉइन माइनिंग करना। ग्रेटर मैनचेस्टर, लैंकाशर और कंब्रिया में बिजली सप्लाई करने वाली कंपनी ‘इलेक्ट्रिसिटी नॉर्थ वेस्ट’ को हर महीने करीब 900 शिकायतें मिलती हैं।
जुगाड़ू से चला रहे बिजली
ब्रिटेन में बिजली चोरी के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं। एनर्जी थेफ्ट टिप-ऑफ सर्विस की रिपोर्ट बताती है कि हर 150 घरों में से एक घर में मीटर, पाइप या केबल के साथ छेड़छाड़ की जा रही है। 'क्राइमस्टॉपर्स' नाम की संस्था को हर महीने 1,000 से ज्यादा कॉल्स मिलती हैं, जिनमें लोग बिजली चोरी की जानकारी देते हैं। फिर भी माना जाता है कि हर साल करीब 2.5 लाख केस ऐसे होते हैं जो सामने ही नहीं आ पाते।
बिजली बिल का कर्ज बना सरदर्द
बिजली चोरी की बढ़ती घटनाएं इसलिए चिंता बढ़ा रही हैं क्योंकि पूरे देश पर अब एनर्जी का कर्ज़ £3.9 अरब तक पहुंच गया है, जो साल 2021 के मुकाबले दोगुना हो चुका है। हर घर पर औसतन करीब £1,296 का बकाया है। और जिन लोगों ने अब तक कोई भुगतान योजना नहीं बनाई है, उनके ऊपर ये बकाया £1,600 से भी ज़्यादा हो गया है।
मैट कोपलैंड का कहना है कि सरकार को अब ठंड के मौसम को ध्यान में रखते हुए लोगों के लिए वॉर्म होम्स प्लान और सीधी आर्थिक मदद जैसे कदम उठाने चाहिए, ताकि लोग मीटर से जुगाड़ करने पर मजबूर न हों।