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आखिर ऐसा क्या हुआ कि इजराइल को हिजबुल्लाह के साथ रोकना पड़ा युद्ध? जाने इस युद्धविराम की तीन बड़ी वजह

इज़राइल और हिज़्बुल्लाह के बीच संघर्षविराम समझौता क्यों हुआ? जानिए इसके पीछे के तीन महत्वपूर्ण कारण: ईरान से बढ़ता खतरा, इज़राइल को हुए भारी नुकसान और इज़राइली सैनिकों की घटती मनोबल।
04:12 PM Nov 27, 2024 IST | Vyom Tiwari

Israel Hezbollah Ceasefire Deal: इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच संघर्षविराम का ऐलान हो चुका है, अब इजराइली सैनिकों की जल्द ही घर वापसी होगी। यह संघर्षविराम समझौता 30 सितंबर से शुरू हुए इजराइली जमीनी हमलों के लगभग दो महीने बाद आया है। इस दौरान इजराइल ने हिजबुल्लाह के खिलाफ सख्त कार्रवाई की, जिसके परिणामस्वरूप कई नागरिक और सैनिक हताहत हुए।

लेकिन सवाल यह उठता है कि जब इजराइल गाजा में संघर्षविराम की मांग को ठुकरा रहा था, तो उसे हिजबुल्लाह के साथ संघर्षविराम के लिए क्यों मजबूर होना पड़ा। इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने मंगलवार की रात इस समझौते की घोषणा की, जबकि उनकी खुद की वॉर कैबिनेट के कुछ मंत्री और उत्तरी इजराइल के नागरिक इस निर्णय के खिलाफ थे।

वहीं इजराइल की जनता लगातार गाजा में युद्धविराम समझौते की मांग कर रही है, जिससे हमास के कब्जे में बंधक बनाए गए उनके अपनों की रिहाई हो सके, लेकिन तब नेतन्याहू ने हमास चीफ इस्माइल हानिया और याह्या सिनवार की मौत के बावजूद भी सीजफायर समझौते से इनकार कर दिया था।

अब सवाल ये उठता है कि ऐसा क्या कारण रहा कि जो इजराइल अपने युद्ध के लक्ष्यों के पूरा होने तक जंग जारी रखना चाहता था, उसको अचानक क्यों युद्धविराम घोषित करना पड़ा ?

वजह 1 : ईरान से हमले का खतरा 

इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच सीजफायर डील में ईरान की भूमिका महत्वपूर्ण है। इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस बात का जिक्र किया कि युद्धविराम का एक बड़ा कारण ईरान का खतरा है। पहले, ईरान इजराइल के साथ सीधे युद्ध से बचता था और अपने प्रॉक्सी समूहों के माध्यम से इजराइल पर हमला करवाता था। लेकिन अब वह सीधे तौर पर जंग के लिए तैयार है।

इस साल अप्रैल से अक्टूबर तक दोनों देशों के बीच कई बार हमले हुए हैं। ईरान ने स्पष्ट रूप से चेतावनी दी है कि यदि वह इजराइल पर हमला करता है, तो यह पहले के हमलों की तुलना में अधिक घातक होगा। ऐसे में यह आशंका जताई जा रही है कि अगर ईरान ने इजराइल पर हमला किया, तो यह एक पूर्ण युद्ध (full fleged war) का रूप ले सकता है। इसलिए, इजराइल को अपने सैनिकों को आराम देने और भविष्य की तैयारी के लिए समय निकालने की आवश्यकता थी।

इस स्थिति ने इजराइल को मजबूर किया कि वह हिजबुल्लाह के साथ संघर्षविराम की दिशा में कदम बढ़ाए, ताकि वह ईरान के संभावित हमले से निपटने के लिए अपनी सैन्य स्थिति को और मजबूत कर सके।

वजह 2: इजराइल को चुकानी पड़ी भारी कीमत 

इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच चल रहे संघर्ष में इजराइल को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। पिछले साल अक्टूबर से हिजबुल्लाह ने इजराइल के उत्तरी इलाकों पर रॉकेट हमले शुरू कर दिए थे। इन हमलों की वजह से करीब 60 हजार यहूदियों को अपने घर छोड़कर जाना पड़ा। इजराइल ने इन विस्थापित लोगों को वापस लाने के मकसद से लेबनान पर हमला किया, लेकिन यह फैसला उल्टा पड़ गया।

AP की एक रिपोर्ट के मुताबिक, लेबनान में इजराइल के जमीनी हमले में सिर्फ दो महीने में ही 50 से ज्यादा इजराइली सैनिक शहीद गए। वहीं दूसरी तरफ, हिजबुल्लाह के हमलों में उत्तरी इजराइल में 70 लोगों की जान चली गई, जिनमें 40 आम नागरिक थे। पिछले कुछ दिनों में हिजबुल्लाह ने अपने हमले और तेज कर दिए थे। वह रोजाना 200-300 रॉकेट दाग रहा था। इतना ही नहीं, अब हिजबुल्लाह के रॉकेट और मिसाइलें सिर्फ उत्तरी इजराइल तक ही सीमित नहीं रह रहे थे, बल्कि तेल अवीव तक पहुंच गए थे।

हिजबुल्लाह ने अपने लगातार हमलों से इजराइल के मिसाइल रक्षा प्रणाली को काफी कमजोर कर दिया था। इस वजह से इजराइल के लिए लंबे समय तक इन हमलों का सामना करना मुश्किल हो रहा था। इस युद्ध में इजराइल को करीब 273 मिलियन डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ है। साथ ही, हिजबुल्लाह के हमलों में 55 हजार एकड़ जमीन जलकर राख हो गई। माना जा रहा है कि अगर युद्धविराम नहीं होता, तो आने वाले दिनों में इजराइल को और भी ज्यादा आर्थिक और मानवीय नुकसान उठाना पड़ सकता था।

वजह 3: सैनिकों की मानसिक स्तिथि 

इजराइल इस समय कई मोर्चों पर युद्ध लड़ रहा है। एक तरफ, गाज़ा में लगभग एक साल से ग्राउंड ऑपरेशन जारी है, जबकि दूसरी ओर, इजरायली रक्षा बल (IDF) ने 30 सितंबर से लेबनान में भी जमीनी हमले शुरू कर दिए हैं। इसके साथ ही, इजराइल ने सीरिया और ईरान पर एयरस्ट्राइक भी की है, और ईरान के साथ संघर्ष का खतरा अभी भी बना हुआ है। ऐसी कठिन स्थिति का इजराइली सैनिकों पर गंभीर मानसिक प्रभाव पड़ रहा है।

वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, इजराइली सैनिक लंबे समय से चल रहे संघर्ष से थक चुके हैं और अब वे सेना में सेवा देने के इच्छुक नहीं हैं। कई सैनिक और अधिकारी युद्ध के मानसिक तनाव की शिकायत कर रहे हैं, और कुछ तो पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) से भी जूझ रहे हैं। हाल ही में, CNN ने बताया कि 130 से अधिक रिजर्व सैनिकों ने प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने कहा कि वे तब तक सेना में सेवा नहीं देंगे जब तक गाज़ा में संघर्षविराम नहीं होता।

इस स्थिति के चलते इजराइल को सभी मोर्चों पर युद्ध जारी रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा सैनिकों की आवश्यकता है, जो वर्तमान की स्तिथि में उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं।

नेतन्याहू अब एक फ्रंट पर युद्ध रोककर अपने सैनिकों को आराम देना चाहते हैं ताकि वे फिर से जंग के लिए तैयार हो सकें। इस प्रकार की मानसिक थकान और तनाव के कारण इजराइल की सेना को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

 

 

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