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रूस और अमेरिका के बीच कम होता तनाव भारत पर कैसे डालेगा प्रभाव? जानें पूरी डिटेल

अमेरिका और रूस के बीच बढ़ती नजदीकी से दुनिया की राजनीति में नए बदलाव देखने को मिल रहे हैं। इससे वैश्विक स्तर पर नए समीकरण बन रहे हैं।
08:42 AM Mar 04, 2025 IST | Vyom Tiwari

अमेरिका और रूस के बीच नजदीकियां बढ़ रही हैं, जिससे पूरी दुनिया में नए समीकरण बन रहे हैं। खासकर चीन को इस बदलाव से सबसे ज्यादा चिंता हो रही है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच अमेरिका और रूस की बढ़ती दोस्ती ने यूरोप को असमंजस में डाल दिया है। वहीं, अमेरिका की इस रणनीति से चीन भी परेशान नजर आ रहा है।

अब सवाल ये उठता है कि रूस और अमेरिका की ये नजदीकी भारत के लिए फायदेमंद होगी या नुकसानदेह? इस बड़े बदलाव को दुनिया के विशेषज्ञ किस नजर से देख रहे हैं?

जेएनयू के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अभिषेक श्रीवास्तव, जो अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार हैं, उन्होंने क्या बताया? आइये जानते हैं

रूस-अमेरिका की नजदीकी से भारत को फायदा  

प्रोफेसर अभिषेक श्रीवास्तव का मानना है कि अगर रूस और अमेरिका के बीच संबंध बेहतर होते हैं, तो इसका भारत को कई तरह से फायदा होगा। हालांकि यह देखना जरूरी होगा कि यह दोस्ती कितनी गहरी होती है और कितने समय तक टिकती है।

उन्होंने बताया कि रूस भारत का पुराना और भरोसेमंद दोस्त है, जबकि अमेरिका के साथ हमारे मजबूत रणनीतिक रिश्ते हैं। लेकिन जब यूक्रेन युद्ध के दौरान बाइडेन सरकार में अमेरिका और रूस के बीच तनाव था, तब भारत के लिए दोनों देशों से संतुलित संबंध बनाए रखना चुनौतीपूर्ण था।

भारत ने अपनी सूझबूझ और कूटनीति से इस स्थिति को संभाला। जब अमेरिका ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए, तब भी भारत ने रूस से तेल खरीदा और अपनी दोस्ती निभाई। इससे भारत को आर्थिक लाभ भी हुआ। भले ही अमेरिका इससे खुश नहीं था, लेकिन भारत ने उसके साथ भी रिश्ते संतुलित बनाए रखे।

अब अगर रूस और अमेरिका के बीच रिश्ते सामान्य होते हैं, तो भारत के लिए रूस के साथ अपने संबंध और मजबूती से निभाना आसान हो जाएगा। इससे भारत-रूस की दोस्ती और मजबूत होगी।

चीन-पाकिस्तान पर क्या होंगें इसके प्रभाव?

अमेरिका और रूस, दोनों का भारत के साथ आना चीन के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है। इससे भारत को रणनीतिक और कूटनीतिक रूप से फायदा मिलेगा, जिससे चीन अब पहले की तरह भारत से उलझने से बचेगा। वह एलएसी पर शांति बनाए रखने और भारत के साथ संबंध सुधारने की कोशिश करेगा, क्योंकि रूस और अमेरिका की नजदीकी उसके लिए खतरे की घंटी है।

चीन के भारत पर दबाव न बना पाने से पाकिस्तान की स्थिति भी कमजोर होगी। खासकर जब अमेरिका में ट्रंप और भारत में मोदी के रिश्ते अच्छे रहे हैं। ट्रंप पहले ही पाकिस्तान को आतंकी फंडिंग पर रोक लगा चुके हैं, जिससे पाकिस्तान को भी अमेरिका से सतर्क रहना पड़ेगा।

भारत बनेगा नए वर्ल्ड ऑर्डर का केंद्र  

रूस, अमेरिका और भारत की तिकड़ी मिलकर एक नए वैश्विक व्यवस्था (वर्ल्ड ऑर्डर) की नींव रख रही है, जिसमें भारत की भूमिका सबसे अहम होगी। प्रोफेसर अभिषेक श्रीवास्तव के अनुसार, अमेरिका अगर रूस के साथ नजदीकियां बढ़ाता है, तो यूरोपीय देशों का रुख भारत और चीन की ओर और ज्यादा होगा।

हालांकि, भारत पहले ही यूरोप, एशिया, अफ्रीका, अरब और पश्चिमी देशों में मजबूत स्थिति में है, लेकिन इस बदलाव के बाद यूरोप भारत पर और ज्यादा भरोसा करेगा। इससे पश्चिम एशिया, अफ्रीका और अरब देशों में भी भारत का प्रभाव बढ़ेगा। यह बदलाव न सिर्फ रणनीतिक रूप से बल्कि व्यापार और कूटनीति के लिहाज से भी भारत के लिए फायदेमंद साबित होगा।

ऊर्जा और रक्षा क्षेत्र में भारत को रहना होगा सचेत 

अमेरिका और रूस के बीच बढ़ती नजदीकियों के चलते भारत को ऊर्जा और रक्षा के मामले में पहले से ज्यादा सतर्क रहना होगा। अब तक भारत को रूस से सस्ता तेल मिलता रहा है, जबकि अमेरिका भी उसकी ऊर्जा ज़रूरतों का अहम हिस्सा रहा है। वहीं, रक्षा क्षेत्र में भी भारत दोनों देशों से हथियार खरीदता रहा है।

पहले, अमेरिका और रूस के बीच तनाव का फायदा भारत को मिलता था, लेकिन अगर दोनों अब करीब आ रहे हैं, तो वे तेल और हथियारों की कीमतें बढ़ा सकते हैं। ऐसे में भारत को सोच-समझकर कदम उठाने होंगे और दोनों देशों के साथ अपने रिश्तों को संतुलित रखना होगा, ताकि ऊर्जा और रक्षा क्षेत्र में उसकी ज़रूरतें बिना किसी रुकावट के पूरी होती रहें।

यूरोप और फ्रांस से सम्बन्ध होंगे मजबूत 

भारत और फ्रांस के व्यापार और रक्षा संबंध और मजबूत हो सकते हैं। भारत के पास इसका फायदा उठाने का अच्छा मौका है। अगर अमेरिका और रूस अपने हथियारों के दाम बढ़ाते हैं, तो भारत फ्रांस से सहयोग बढ़ा सकता है।

फ्रांस पहले से ही भारत की कई रक्षा कंपनियों के साथ मिलकर काम कर रहा है। इससे न सिर्फ भारत को आधुनिक हथियार मिलेंगे, बल्कि यूरोप में भी हथियारों की आपूर्ति में भारत की भूमिका बढ़ सकती है। फिलहाल, यूरोप को हथियारों की सबसे ज्यादा जरूरत है, और भारत इस मौके का अच्छा इस्तेमाल कर सकता है।

 

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