चीन की मिलिट्री पावर को खत्म करने की ट्रंप ने खाई कसम, 104% के टैरिफ बम से किया हमला
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ एक मुलाकात के दौरान चीन को लेकर बड़ी टिप्पणी की। ट्रंप ने कहा कि चीन पर इतने भारी टैरिफ (आयात शुल्क) लगाएंगे कि वह अपने मौजूदा 500-600 बिलियन डॉलर के सैन्य बजट को भी अफोर्ड नहीं कर पाएगा। ट्रंप का उद्देश्य स्पष्ट होता जा रहा है—वे चीन की अर्थव्यवस्था को अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर निर्भरता से रोकना चाहते हैं, जिससे चीन को मिलने वाले भारी मुनाफे का उपयोग उसकी मिलिट्री स्ट्रेंथ में न हो सके।
ट्रंप ने चीन पर 104% तक टैरिफ लगाने की घोषणा
ट्रंप ने यह भी कह दिया कि अमेरिका चीन पर कुल 104% तक के टैरिफ लगाने की योजना बना रहा है। फिलहाल अमेरिका ने 54% टैरिफ पहले ही लगा दिए हैं और 50% अतिरिक्त शुल्क लगाने की तैयारी में है। इसका सीधा असर यह होगा कि अमेरिकी उपभोक्ता चीनी सामान खरीदने से परहेज करेंगे, क्योंकि उनकी कीमतें अत्यधिक बढ़ जाएंगी। उदाहरण के तौर पर, अगर भारत एक उत्पाद को $126 में अमेरिका को एक्सपोर्ट करता है, वहीं वही प्रोडक्ट चीन से $204 में अमेरिका पहुंचेगा। इससे भारत जैसे देशों को अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा में बढ़त मिल सकती है।
चीन हॉलीवुड फिल्मों पर लगा सकता है बैन
हालांकि चीन भी चुप बैठने वालों में नहीं है। उसने पहले ही अमेरिका पर 34% के टैरिफ लगा दिया है और ट्रंप के अनुसार यह कदम चीन के लिए बेहद महंगा साबित होगा। साथ ही, रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन अब अमेरिका की हॉलीवुड फिल्मों को भी बैन करने की तैयारी कर रहा है। अगर ऐसा होता है तो भारत को चाइनीज एंटरटेनमेंट मार्केट में एक बड़ा अवसर मिल सकता है।
चीन में भारतीय फिल्मों की लोकप्रियता पहले ही देखी जा चुकी है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण आमिर खान की फिल्म ‘दंगल’ है, जिसने भारत में भले ही 511 करोड़ रुपये कमाए थे, लेकिन अकेले चीन में इसने ₹1230 करोड़ की कमाई की थी। यदि हॉलीवुड की फिल्में चीन में बैन होती हैं, तो भारतीय फिल्मों को वहां की सिनेमाघरों में जगह मिलने की संभावना बढ़ जाएगी। जापानी अनिमे की तरह भारतीय सिनेमा को भी एक बड़ा दर्शक वर्ग मिल सकता है।
हालांकि, यह कहना जल्दबाजी होगी कि इससे भारत को कोई ‘गेम-चेंजिंग’ फायदा होगा। लेकिन यह स्पष्ट है कि अमेरिका और चीन के बीच चल रही ट्रेड वॉर में भारत को कई इंडायरेक्ट फायदे मिल सकते हैं—चाहे वह व्यापारिक हो या सांस्कृतिक।
चीन ने जारी किया एक वीडियो
चीन की ओर से भी अमेरिका की आलोचना की गई है। हाल ही में चीनी विदेश मंत्रालय ने एक वीडियो जारी किया जिसमें अमेरिका की नीतियों और रवैये पर निशाना साधा गया। इस वीडियो में अमेरिका को एक "वॉयलेंस, ग्रीड, और एक्सप्लॉइटेशन" से भरी दुनिया का निर्माता बताया गया है। साथ ही इसमें गाजा में अमेरिकी हथियारों का उपयोग, टेक्सास में प्रवासियों पर अत्याचार और ग्रीनलैंड पर कब्जे जैसी घटनाओं को हाइलाइट किया गया। इसके विपरीत, चीन ने खुद को “जस्टिस फॉर ऑल,” “प्रोस्पेरिटी,” और “इक्वलिटी” की दुनिया का प्रतिनिधि बताया।
चीन अब खुद को एक नए ग्लोबल लीडर के रूप में पोजिशन करने की कोशिश कर रहा है, जो अमेरिका के मुकाबले एक वैकल्पिक दुनिया प्रस्तुत करता है। यह नैरेटिव वैश्विक स्तर पर अपनी पकड़ बनाने के लिए तैयार किया जा रहा है।
भारत ने संतुलित नीति अपनाई
वहीं भारत की नीति फिलहाल संतुलित है। हाल ही में भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के बीच एक अहम बैठक हुई है जिसमें दोनों देशों के बीच संभावित ट्रेड डील पर चर्चा हुई। उम्मीद है कि 2025 के अंत तक भारत और अमेरिका एक व्यापक व्यापार समझौता कर सकते हैं, जिससे टैरिफ के प्रभाव को कम किया जा सके।
अमेरिका-चीन के इस टकराव के बीच भारत के लिए कई मौके हैं, बशर्ते वह अपनी रणनीति को सही समय पर लागू करे। वैश्विक राजनीति और व्यापार में भारत की भूमिका पहले से अधिक निर्णायक होती जा रही है।
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