US China Tariff War: चीन पर अब लगेगा 245% टैरिफ, पूरी दुनिया में बढ़ी टेंशन; जानिए वजह
अमेरिका चीन टैरिफ वॉर 2025: चीन और अमेरिका के बीच टैरिफ की जंग अब बेकाबू होती दिख रही है। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने अब ऐलान कर दिया है कि चीन से आयात होने वाले सामान पर अब 245% टैरिफ लगेगा। ये फैसला तब आया, जब चीन ने अपनी एयरलाइंस को अमेरिकी कंपनी बोइंग से विमान न खरीदने का आदेश दिया, जिससे बोइंग को अरबों डॉलर का नुकसान हो सकता है। 2 अप्रैल को शुरू हुई इस टैरिफ होड़ ने 34% से 145% तक का सफर तय किया, और अब 245% के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। आखिर ये जंग क्यों इतनी तीखी हो रही है, और इसका असर क्या होगा? आइए, इसे सरल भाषा में समझते हैं।
टैरिफ जंग का टाइमलाइन: कैसे पहुंचे 245% तक?
2 अप्रैल 2025: ट्रंप ने चीन के सामान पर 34% टैरिफ का ऐलान किया। पहले ये 20% था, जो फेंटेनाइल सप्लाई के लिए लगाया गया था।
4 अप्रैल: चीन ने पलटवार करते हुए अमेरिकी सामान पर 34% टैरिफ लगाया। साथ ही 11 अमेरिकी कंपनियों को "अविश्वसनीय सूची" में डाला और 7 रेयर अर्थ मिनरल्स के निर्यात पर रोक लगाई।
8 अप्रैल: ट्रंप ने टैरिफ बढ़ाकर 84% किया, जिससे कुल टैरिफ 104% हो गया।
9 अप्रैल: चीन ने जवाब में अमेरिकी सामान पर टैरिफ 84% किया।
10 अप्रैल: ट्रंप ने टैरिफ को 125% (20% पहले का 125% नया) कर दिया, यानी कुल 145%।
11 अप्रैल: चीन ने अपने टैरिफ को 125% तक बढ़ाया और कहा कि वो अब और टैरिफ नहीं बढ़ाएगा, क्योंकि इससे व्यापार "बेमानी" हो जाएगा।
14 अप्रैल: खबर आई कि चीन ने अपनी एयरलाइंस को बोइंग से विमान न खरीदने को कहा।
15 अप्रैल: ट्रंप ने तुरंत टैरिफ को 245% कर दिया, जो अब तक का सबसे बड़ा कदम है।
ये टैरिफ जंग अब सिर्फ कर की बात नहीं, बल्कि दोनों देशों की आर्थिक ताकत और साख की लड़ाई बन चुकी है।
क्यों भड़की ये जंग?
ट्रंप का दावा है कि चीन ने लंबे वक्त तक अमेरिका का "फायदा उठाया" है। उनका कहना है कि चीन का व्यापार घाटा (440 बिलियन डॉलर आयात बनाम 143.5 बिलियन डॉलर निर्यात) और सस्ते सामान की डंपिंग अमेरिकी उद्योगों को तबाह कर रही है। टैरिफ बढ़ाकर ट्रंप अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना चाहते हैं। दूसरी ओर, चीन का कहना है कि अमेरिका "आर्थिक दादागिरी" कर रहा है और विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियम तोड़ रहा है। वही चीन का बोइंग पर कदम इस जंग को नया मोड़ देता है। बोइंग को चीन में बड़े ऑर्डर मिले थे, और अगर ये रद्द हुए तो कंपनी को 10 बिलियन डॉलर तक का नुकसान हो सकता है। ट्रंप ने इसे "अपमान" माना और 245% टैरिफ का हथियार उठाया।
क्या है 245% टैरिफ का मतलब?
245% टैरिफ का मतलब है कि अगर कोई चीनी प्रोडक्ट 100 डॉलर का है, तो उस पर 245 डॉलर टैक्स देना होगा। यानी उस प्रोडक्ट की कुल कीमत 345 डॉलर हो जाएगी। इस फैसले से यह असर पड़ने तय हैं:
1.चीनी सामान महंगा: फोन, खिलौने, कपड़े—सब कुछ अमेरिका में कई गुना महंगा हो सकता है।
2.आयात पर ब्रेक: इतना टैक्स देने की बजाय कंपनियाँ चीन से आयात बंद कर सकती हैं।
3.महंगाई की मार: अमेरिकी उपभोक्ताओं को ऊँची कीमतें चुकानी पड़ेंगी।
4.अमेरिकी उद्योगों को फायदा: ट्रंप का दावा है कि इससे स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग बढ़ेगी।
लेकिन टैक्स फाउंडेशन का अनुमान है कि ये टैरिफ 2025 में हर अमेरिकी परिवार पर 1,300 डॉलर का अतिरिक्त बोझ डालेंगे।
क्या होगा चीन का अगला कदम?
चीन ने पहले ही कह दिया था कि 125% टैरिफ के बाद वो और टैरिफ नहीं बढ़ाएगा, क्योंकि इससे व्यापार "आर्थिक रूप से बेमानी" हो जाएगा। लेकिन बोइंग के खिलाफ कदम दिखाता है कि चीन अब टैरिफ के अलावा दूसरे हथियार आजमाएगा:
निर्यात प्रतिबंध: रेयर अर्थ मिनरल्स जैसे रणनीतिक संसाधनों पर और रोक।
अमेरिकी कंपनियों पर कार्रवाई: और कंपनियों को "अविश्वसनीय सूची" में डाला जा सकता है।
नए बाजार: चीन वियतनाम, भारत, और यूरोप के साथ व्यापार बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।
वहीं चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने स्पेन के पीएम पेड्रो सांचेज से कहा था कि "टैरिफ वॉर में कोई विजेता नहीं होता।" वो यूरोप को साथ लाने की कोशिश में हैं।
भारत से लेकर वैश्विक जगत में हलचल
भारत का रुख: ट्रंप ने भारत पर 26% टैरिफ लगाया है, लेकिन 90 दिन की छूट दी है। भारत ने जवाब में कोई बड़ा टैरिफ नहीं लगाया, बल्कि बातचीत को तवज्जो दी। दक्षिण कोरिया के कार्यवाहक राष्ट्रपति के मुताबिक, ट्रंप भारत, जापान, और कोरिया के साथ जल्द व्यापार समझौता चाहते हैं।
यूरोप: यूरोप ने अमेरिका पर 25% जवाबी टैरिफ लगाए, लेकिन 90 दिन के लिए इन्हें टाल दिया।
वैश्विक बाजार: शेयर बाजारों में उथल-पुथल है। 2 अप्रैल को डाउ जोन्स 1,000 अंक गिरा, और जापान का निक्केई 5% लुढ़का।
क्या रुकने का नाम लेगी यह टैरिफ जंग?
245% टैरिफ के साथ ट्रंप ने चीन को साफ संदेश दिया है—अमेरिका पीछे नहीं हटेगा। लेकिन चीन भी झुकने को तैयार नहीं। बोइंग पर पाबंदी और दूसरे कदम दिखाते हैं कि वो अलग रास्तों से जवाब देगा। इस जंग से दोनों देशों का व्यापार (2024 में 440 बिलियन डॉलर का आयात) लगभग ठप हो सकता है। अमेरिकी उपभोक्ता महंगाई झेलेंगे, और चीनी निर्यातक नए बाजार तलाशेंगे। भारत जैसे देशों के लिए ये मौका भी है और चुनौती भी। सवाल ये है—क्या ये टैरिफ वॉर खत्म होगी, या दुनिया को नई आर्थिक मंदी की ओर ले जाएगी? जवाब का इंतज़ार है, लेकिन अभी तो हाईवे पर टोल की तरह टैरिफ बढ़ता ही जा रहा है!
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