US Attack on Iran: एक मई को अमेरिका कर सकता है ईरान पर हमला!
US Attack on Iran: अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ते तनाव ने एक नई दिशा पकड़ ली है। हाल ही में सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि अमेरिका ने हिंद महासागर में स्थित डिएगो गार्सिया एयरबेस पर अपनी सैन्य ताकत को बढ़ा दिया है। सात B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स और नौ KC-135 रिफ्यूलिंग एयरक्राफ्ट तैनात कर दिए गए हैं, और एयरबेस के दो प्रमुख रैंप स्लॉट्स (B1 और B2) को 1 मई तक बंद कर दिया गया है। इस घटनाक्रम ने अमेरिकी हमले की संभावना को लेकर अटकलें तेज कर दी हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दो महीने पहले ईरान को 1 मई तक का अल्टीमेटम दिया था, जो अब समाप्त होने वाला है। हाल ही में डिएगो गार्सिया एयरबेस के लिए जारी NOTAM (Notice to Air Missions) से यह साफ संकेत मिल रहे हैं कि 1 मई को कुछ बड़ा हो सकता है।
5 कारण जिनकी वजह से अमेरिका कर सकता है हमला
ईरान और अमेरिका के बीच तनाव काफी समय से बढ़ा हुआ है, लेकिन वर्तमान स्थिति में यह और अधिक गंभीर हो गया है। इसके कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
1. ईरान का परमाणु कार्यक्रम: ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को तेजी से आगे बढ़ा रहा है, जो अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए खतरे का कारण बन सकता है।
2. हमले और जवाबी कार्रवाई: ईरान समर्थित मिलिशिया और हूती विद्रोहियों के हमलों के बाद अमेरिका ने कई बार जवाबी सैन्य कार्रवाई की है।
3. आतंकी संगठनों को समर्थन: ईरान पर आरोप है कि वह इजराइल के खिलाफ हिजबुल्लाह और अन्य आतंकी संगठनों को समर्थन दे रहा है।
4. तेल व्यापार पर प्रभाव: अमेरिका ने आरोप लगाया है कि ईरान अंतरराष्ट्रीय तेल व्यापार को बाधित करने का प्रयास कर रहा है।
5. राष्ट्रपति ट्रम्प का चुनावी दबाव: अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प आगामी चुनावों में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहते हैं, और एक सफल सैन्य ऑपरेशन उन्हें राजनीतिक बढ़त दे सकता है।
ईरान के निकट मौजूद हैं कई अमेरिकी सैन्य ठिकाने
ईरान के आसपास अमेरिका के कई प्रमुख सैन्य ठिकाने (US Attack on Iran) मौजूद हैं, जिनका उपयोग किसी भी संभावित सैन्य अभियान में किया जा सकता है:
1. कतर का अल उदैद एयरबेस: मध्य पूर्व में सबसे बड़ा अमेरिकी एयरबेस, जहां 10,000 से अधिक सैनिक और दर्जनों लड़ाकू विमान तैनात हैं।
2. बहरीन में अमेरिकी नौसेना का 5वां बेड़ा: यह बेड़ा खाड़ी क्षेत्र की निगरानी करता है और प्रमुख युद्धपोत यहां से संचालित होते हैं।
3. यूएई का अल धाफरा एयरबेस: F-22 रैप्टर और MQ-9 रीपर ड्रोन की तैनाती, यहां से अमेरिकी एयरफोर्स की रडार और मिसाइल डिफेंस सिस्टम की निगरानी की जाती है।
4. इराक में अमेरिकी सैन्य ठिकाने: निगरानी और खुफिया अभियानों के लिए छोटे-बड़े सैन्य ठिकाने तैनात हैं।
5. कुवैत का अरीफजान बेस: 13,000 से अधिक अमेरिकी सैनिक तैनात हैं।
6. जॉर्डन में मुबारेक और किंग फहद एयरबेस: ड्रोन हमलों और खुफिया अभियानों के लिए यह प्रमुख केंद्र है।
7. तुर्की का इनसर्लिक एयरबेस: यहां परमाणु हथियार तैनात हैं, और यह अमेरिका का सामरिक एयरबेस है।
इसलिए चुना गया डिएगो गार्सिया को बेस
डिएगो गार्सिया एयरबेस को विशेष रूप से चुने जाने का एक बड़ा कारण है इसका ईरान की मिसाइल रेंज से बाहर होना। यह एयरबेस ईरान से लगभग 4,700 किमी दूर स्थित है, जिससे यह सुरक्षित जगह मानी जाती है। यहाँ से अमेरिकी B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स बिना किसी रुकावट के ईरान (US Attack on Iran) तक पहुंच सकते हैं और वापस लौट सकते हैं। इसके अलावा, यह क्षेत्र लॉजिस्टिक और नौसेना सपोर्ट के मामले में भी उपयुक्त है, क्योंकि अमेरिकी युद्धपोत पहले से ही यहाँ मौजूद हैं।
एक मई को अमरीका कर सकता है एयरस्ट्राइक
1 मई को अमेरिकी सैन्य गतिविधियां तेज होने वाली हैं, और यह दिन महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। डिएगो गार्सिया एयरबेस के लिए जारी NOTAM से संकेत मिलते हैं कि यह कोई सामान्य सैन्य ऑपरेशन नहीं है, बल्कि एक बड़े मिशन की तैयारी हो सकती है। अगर अमेरिका 1 मई को हमला करता है, तो यह एक एयरस्ट्राइक ऑपरेशन हो सकता है, जिसमें B-2 बॉम्बर्स का इस्तेमाल ईरान के परमाणु ठिकानों और मिसाइल स्थलों को नष्ट करने के लिए किया जाएगा। हालांकि, अगर हमला नहीं होता, तो यह सिर्फ ईरान पर दबाव डालने की एक रणनीति हो सकती है, ताकि वह अपने परमाणु कार्यक्रम और क्षेत्रीय गतिविधियों को नियंत्रण में रखे।
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