ट्रंप और जेलेंस्की की तनातनी के बाद यूरोप ने संभाली कमान, बना रहा खुद का रक्षा गठबंधन
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की के बीच वाशिंगटन के ओवल ऑफिस में हुई बातचीत तनावपूर्ण रही। किसी समझौते पर पहुंचे बिना ही जेलेंस्की को अमेरिका से लौटना पड़ा। इसके बाद अमेरिका की मध्यस्थता में होने वाली शांति वार्ता रुक गई, और यूक्रेन को मिलने वाली अमेरिकी मदद पर भी सवाल खड़े हो गए। अब, अमेरिका के इस रुख के बाद पूरा यूरोप यूक्रेन के समर्थन में आ गया है।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने लंदन में यूरोपीय नेताओं के साथ एक अहम बैठक बुलाई है, जिसका मकसद यूक्रेन को और मजबूत समर्थन देना और महाद्वीप की सुरक्षा पर चर्चा करना है। इस शिखर सम्मेलन में नेताओं ने मिलकर सैन्य सहयोग बढ़ाने और रूस के खिलाफ यूक्रेन की मदद जारी रखने पर सहमति जताई।
यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की का हाल ही में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ मतभेद हुआ था। सम्मेलन में शामिल विश्व नेताओं ने यूक्रेन को अपना पूरा समर्थन देने और उसकी मदद के लिए और अधिक प्रयास करने का वादा किया।\
अपनी रक्षा पर ज्यादा खर्च करेगा यूरोप
यूरोपीय नेताओं का मानना है कि उन्हें अपनी रक्षा पर ज्यादा खर्च करना चाहिए, ताकि ट्रंप को दिखाया जा सके कि यूरोप अपनी सुरक्षा खुद कर सकता है। यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने सुझाव दिया है कि यूरोपीय संघ अपने ऋण नियमों में थोड़ी ढील दे सकता है, जिससे आर्थिक परेशानियों से निपटने में मदद मिलेगी।
ब्रिटेन के नेता कीर स्टार्मर ने कहा कि यूके, यूक्रेन, फ्रांस और कुछ अन्य देश मिलकर एक गठबंधन बनाएंगे और ट्रंप के सामने शांति का प्रस्ताव रखेंगे। उन्होंने बाकी देशों के नाम नहीं बताए, लेकिन कहा कि कई और देश भी इस पहल में शामिल होने के इच्छुक हैं।
ब्रिटेन ने की यूक्रेन की मदद
स्टार्मर ने कहा, "हम एक ऐसे मोड़ पर हैं जहाँ अब सिर्फ बातें करने का समय नहीं रहा, बल्कि अब कार्रवाई की जरूरत है। यह न्यायपूर्ण और स्थायी शांति के लिए आगे बढ़ने, नेतृत्व करने और एकजुट होने का समय है।"
उन्होंने घोषणा की कि ब्रिटेन यूक्रेन को 1.6 बिलियन पाउंड (करीब 2 बिलियन डॉलर) की मदद देगा, जिससे वह 5,000 से ज्यादा वायु रक्षा मिसाइलें खरीद सकेगा। साथ ही, उन्होंने कहा कि यूक्रेन में शांति बनाए रखने के लिए सभी देशों को मिलकर काम करना होगा।
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