UAE में नया पर्सनल लॉ हुआ लागू: जानिए हिंदुओं समेत महिलाओं को क्या–क्या अधिकार मिले?
UAE New Personal Law 2025: संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने अपने पर्सनल स्टेटस कानून में क्रांतिकारी बदलाव किए हैं, जो 15 अप्रैल 2023 से लागू हो गए हैं। यह नया कानून गैर-मुस्लिम समुदायों, विशेषकर हिंदुओं और ईसाइयों, को अपने धार्मिक नियमों के अनुसार पर्सनल मामलों को निपटाने की स्वतंत्रता देता है। साथ ही, महिलाओं के अधिकारों को मजबूत करने वाले प्रावधानों ने इसे एक ऐतिहासिक सुधार बना दिया है। यह कदम यूएई की उदारवादी छवि को और मजबूत करता है तथा देश को वैश्विक स्तर पर एक आधुनिक और समावेशी समाज के रूप में स्थापित करता है।
हिंदुओं के लिए धार्मिक स्वतंत्रता का नया अध्याय
नए कानून के तहत, UAE में रहने वाले हिंदुओं को अपने पर्सनल मामलों में भारतीय कानूनों का पालन करने की छूट मिल गई है। अब हिंदू परिवार:
- शादी-विवाह के लिए भारतीय हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं।
- तलाक के मामलों में हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 और 13B के तहत प्रक्रिया अपना सकते हैं।
- विरासत संबंधी विवादों में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 लागू कर सकते हैं।
- बच्चों की कस्टडी के मामलों में भारतीय कानूनों का सहारा ले सकते हैं।
इसके अलावा, गैर-मुस्लिमों को अबू धाबी के सिविल मैरिज कानून या अपने मूल देश के कानूनों को चुनने का विकल्प भी दिया गया है। यह कदम प्रवासी भारतीयों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है, क्योंकि अब वे अपने धार्मिक और पारिवारिक मान्यताओं के अनुसार जीवन यापन कर सकते हैं।
महिलाओं को मिले ये बड़े अधिकार
नए कानून में महिलाओं के अधिकारों को काफी मजबूती प्रदान की गई है, खासकर मुस्लिम महिलाओं को:
1.शादी के लिए अभिभावक की अनुमति की अनिवार्यता खत्म: अब मुस्लिम महिलाओं को विवाह के लिए पिता या किसी पुरुष अभिभावक की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है।
2.तलाक प्रक्रिया आसान: तलाक के लिए अनिवार्य सुलह अवधि 90 दिन से घटाकर 60 दिन कर दी गई है। पति को अब 15 दिनों के भीतर तलाक का आधिकारिक दस्तावेज प्रस्तुत करना होगा।
3.संपत्ति पर अधिकार: महिलाएं अब अपनी संपत्ति का स्वतंत्र रूप से प्रबंधन कर सकती हैं। पति बिना सहमति के पत्नी की संपत्ति पर कोई दावा नहीं कर सकता।
4.बच्चों की कस्टडी: 15 साल से अधिक उम्र के बच्चे अपनी कस्टडी खुद चुन सकते हैं। कस्टडी की अधिकतम आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई है।
पारिवारिक जीवन में बड़े बदलाव
नए कानून ने पारिवारिक जीवन को भी नए सिरे से परिभाषित किया है:
- सास-ससुर के लिए नए नियम: अब पति के माता-पिता बिना पत्नी की अनुमति के घर में नहीं रह सकते।
- दहेज और सगाई के उपहार: 25,000 दिरहम से अधिक मूल्य के उपहार वापस करने होंगे। सगाई टूटने पर दहेज की वापसी अनिवार्य है।
- पति के पिछले विवाह से जुड़े बच्चे: केवल विशेष परिस्थितियों में ही पति के पिछले विवाह से हुए बच्चे घर में रह सकते हैं।
UAE के लिए क्यों है यह कानून महत्वपूर्ण?
यह सुधार यूएई को एक आधुनिक और समावेशी समाज के रूप में स्थापित करता है। इसके प्रमुख लाभ हैं:
1. विदेशी निवेशकों और प्रतिभाओं को आकर्षित करना: नया कानून प्रवासियों को यह विश्वास दिलाता है कि उनके धार्मिक और पारिवारिक अधिकार सुरक्षित हैं।
2. महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा: महिलाओं को मिले नए अधिकार समाज में उनकी भूमिका को मजबूत करेंगे।
3. पारिवारिक विवादों का तेज समाधान: तलाक और कस्टडी से जुड़े नए नियमों से विवादों का निपटारा जल्दी हो सकेगा।
UAE का यह कदम खाड़ी देशों के लिए एक मिसाल कायम करता है और भविष्य में अन्य देशों के लिए भी एक आदर्श बन सकता है। भारतीय प्रवासियों के लिए यह विशेष रूप से लाभकारी है, क्योंकि अब वे अपने धार्मिक और पारिवारिक मान्यताओं के अनुसार जीवन यापन कर सकते हैं।
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