भारत के जवाबी टैरिफ पर नरम पड़े ट्रंप, दिल्ली में आज अहम बैठक: समझिए क्या है पूरा माजरा?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर जवाबी टैरिफ की धमकी को लेकर अपने तेवर में नरमी के संकेत दिए हैं। पहले उन्होंने कहा था कि 2 अप्रैल 2025 से भारत समेत कई देशों पर अमेरिकी सामानों पर ऊँचे टैरिफ का जवाब उसी स्तर के टैरिफ से दिया जाएगा। लेकिन अब उनके ताज़ा बयानों से लगता है कि वह इस नीति पर फिर से सोच रहे हैं और कुछ देशों को छूट दे सकते हैं। इस बीच, आज (25 मार्च 2025) नई दिल्ली में भारत और अमेरिका के बीच एक अहम व्यापारिक बैठक होने जा रही है। इसमें टैरिफ, डिजिटल व्यापार, और सेवा क्षेत्र जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी। तो आखिर क्या है पूरा मामला? चलिए इसे आसान लहजे में समझते हैं।
ट्रंप का नया रुख: टैरिफ में छूट का लॉलीपॉप?
ट्रंप ने मार्च की शुरुआत में ऐलान किया था कि भारत जैसे देश, जो अमेरिकी सामानों पर 100% तक टैरिफ लगाते हैं, उन्हें 2 अप्रैल से "रेसिप्रोकल टैरिफ" का सामना करना पड़ेगा। लेकिन अब उनके बयानों में नरमी दिख रही है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप ने कहा कि कुछ देशों को टैरिफ में राहत दी जा सकती है, खासकर अगर वे अमेरिका के साथ व्यापार में "फेयर डील" करें। भारत के लिए यह राहत की खबर हो सकती है, क्योंकि भारतीय वाणिज्य मंत्रालय पहले ही अलर्ट मोड में आ चुका है। आज दिल्ली में होने वाली बैठक में भारत इस मौके को भुनाने की कोशिश करेगा।
दिल्ली की बैठक: क्या-क्या दाँव पर?
आज की बैठक में भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेमिसन ग्रीर आमने-सामने होंगे। यह वार्ता पहले मंगलवार को होनी थी, लेकिन अब बुधवार तक टाल दी गई। मंत्रालय ने "शर्तों की रूपरेखा" (ToR) तैयार की है, जो इस बातचीत का रोडमैप होगी। भारत की प्राथमिकताएँ साफ हैं:
टैरिफ में छूट: अमेरिकी टैरिफ से 66 अरब डॉलर के निर्यात पर असर पड़ सकता है। भारत कुछ उत्पादों पर टैरिफ घटाने को तैयार है, जैसे बॉर्बन व्हिस्की और मोटरसाइकिल, जिन पर पहले ही कटौती हो चुकी है।
सेवा क्षेत्र: भारतीय IT प्रोफेशनल्स के लिए अमेरिका में ज़्यादा H-1B वीज़ा की माँग।
डिजिटल ट्रेड: डेटा लोकलाइज़ेशन नियमों पर अमेरिका के साथ टकराव संभव है।
अमेरिका चाहता है कि भारत ऑटोमोबाइल, कृषि उत्पादों (खासकर GM फूड), और डिजिटल मार्केट में ज़्यादा रियायतें दे। रॉयटर्स के मुताबिक, भारत 23 अरब डॉलर के आयात पर टैरिफ घटाने को राज़ी हो सकता है, ताकि ट्रंप के टैरिफ से बचा जा सके।
हवाला और डेटा का झगड़ा
डिजिटल व्यापार पर तनाव बढ़ सकता है। भारत का नियम है कि नागरिकों का डेटा देश में ही स्टोर हो, जिसे RBI ने 2018 में लागू किया था। अमेरिका इसे ढीला करना चाहता है, ताकि मास्टरकार्ड-वीज़ा जैसी कंपनियों को फायदा हो। ट्रंप के पहले कार्यकाल में भी यह विवाद गर्म रहा था। आज की बैठक में यह मुद्दा फिर उठ सकता है—क्या भारत झुकेगा या अपनी ज़मीन पर डटा रहेगा?
ट्रंप की दो-स्तरीय चाल
फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट कहती है कि ट्रंप टैरिफ के लिए दो रास्ते देख रहे हैं:
1. तुरंत टैरिफ: कुछ प्रोडक्ट्स पर "इमरजेंसी पावर" से 50% तक टैरिफ लगाना।
2. लंबी जाँच: बाकी देशों पर बाद में औपचारिक कार्रवाई।
बता दें कि यह रणनीति भारत को थोड़ा वक्त दे सकती है, लेकिन 2 अप्रैल की डेडलाइन अब भी सिर पर लटकी है।
बाज़ार में उम्मीद, लेकिन कन्फ्यूज़न बरकरार
ट्रंप के नरम रुख से वैश्विक बाज़ारों में सकारात्मक लहर आई है। भारतीय शेयर बाज़ार ने भी राहत की साँस ली। लेकिन व्हाइट हाउस की नीति अभी साफ नहीं है। क्या ट्रंप सचमुच छूट देंगे, या यह बस एक सियासी चाल है? विश्लेषकों का मानना है कि भारत और अमेरिका का 2030 तक 500 अरब डॉलर का व्यापार लक्ष्य इस बैठक को दिशा दे सकता है।
भारत की तैयारी: टैरिफ कटौती का दाँव
रॉयटर्स की रिपोर्ट के हवाले से, भारत 55% अमेरिकी आयात पर टैरिफ घटाने को तैयार है। एक आंतरिक अध्ययन कहता है कि ट्रंप के टैरिफ से भारत के 87% निर्यात पर असर पड़ेगा। ऐसे में भारत ऑटो, केमिकल्स, और मेडिकल डिवाइसेज़ पर रियायत दे सकता है, लेकिन कृषि क्षेत्र में सावधानी बरतेगा, ताकि किसानों को नुकसान न हो।
क्या होगा नतीजा?
आज की बैठक भारत-अमेरिका व्यापार का भविष्य तय कर सकती है। अगर समझौता हुआ, तो भारत टैरिफ के झटके से बच सकता है और सेवा क्षेत्र में फायदा ले सकता है। लेकिन अगर बात बिगड़ी, तो 2 अप्रैल से दोनों देशों के बीच "टैरिफ वॉर" शुरू हो सकती है। ट्रंप ने बॉर्बन और मोटरसाइकिल पर भारत की कटौती को "सकारात्मक" कहा है, लेकिन वह ऑटोमोबाइल और GM फूड पर ज़्यादा दबाव डाल सकते हैं।
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