अमेरिका का नया फरमान: 30 दिन से ज्यादा रुके तो जुर्माना, ट्रंप सरकार ने उठाया सख्त कदम
अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की सरकार ने अवैध प्रवासियों पर नकेल कसने के लिए एक और बड़ा कदम उठाया है। 11 अप्रैल 2025 से लागू नए नियम के तहत, जो भी विदेशी नागरिक 30 दिन से ज्यादा अमेरिका में रुकता है, उसे सरकार के पास रजिस्टर कराना होगा। ऐसा न करने पर भारी जुर्माना और जेल की सजा तक हो सकती है। होमलैंड सिक्योरिटी विभाग ने साफ कहा है कि या तो खुद देश छोड़ दो, या कठोर कार्रवाई के लिए तैयार रहो। यह नियम H-1B और स्टूडेंट वीजा वालों पर सीधे लागू नहीं है, लेकिन गलती की गुंजाइश भी खत्म हो रही है। आखिर क्यों लाया गया यह सख्त कानून, और इसका असर किस पर पड़ेगा? आइए, इसकी पूरी कहानी को रोचक अंदाज में समझते हैं।
क्या कहता है ट्रंप का नया फरमान?
ट्रंप प्रशासन ने विदेशी नागरिकों के लिए नया नियम लागू कर दिया है। अगर आप 14 साल से ऊपर हैं और 30 दिन से ज्यादा अमेरिका में हैं, तो आपको यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज (USCIS) के साथ रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इसमें आपकी बायोमेट्रिक जानकारी, जैसे फिंगरप्रिंट, देनी होगी। रजिस्ट्रेशन के बाद आपको एक प्रूफ डॉक्यूमेंट मिलेगा, जो हर वक्त साथ रखना होगा।
होमलैंड सिक्योरिटी विभाग ने X पर पोस्ट कर चेतावनी दी, "गैरकानूनी रूप से रह रहे लोग खुद देश छोड़ दें, वरना हम ढूँढकर गिरफ्तार करेंगे और डिपोर्ट करेंगे।" यह नियम 1940 के एलियन रजिस्ट्रेशन एक्ट पर आधारित है, जिसे अब ट्रंप ने फिर से जिंदा कर दिया है।
सजा और जुर्माना: क्या है दंड?
नियम तोड़ने की सजा कठोर है। अगर कोई बिना रजिस्ट्रेशन के 30 दिन से ज्यादा रुका, तो:
जुर्माना: प्रतिदिन $998 तक, यानी महीने भर में लाखों रुपये।
जेल: मिस्डीमीनर चार्ज के तहत 30 दिन तक की कैद।
कानूनी परिणाम: अगर कोई डिपोर्टेशन ऑर्डर के बावजूद रुका, तो $1,000 से $5,000 तक का जुर्माना और भविष्य में अमेरिका में घुसने पर रोक।
वहीं अगर कोई वादा करके भी खुद डिपोर्ट नहीं होता, तो वह स्थायी रूप से वीजा या ग्रीन कार्ड की पात्रता खो सकता है। USCIS ने साफ किया कि रजिस्ट्रेशन से कोई इमिग्रेशन स्टेटस नहीं मिलता, लेकिन नियम तोड़ने की कीमत भारी होगी।
H-1B और स्टूडेंट वीजा: क्या है स्थिति?
अच्छी खबर यह है कि H-1B (पेशेवर वर्क वीजा) और स्टूडेंट वीजा धारकों पर यह नियम सीधे लागू नहीं होता। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे पूरी तरह सुरक्षित हैं। अगर कोई H-1B धारक नौकरी खो देता है और 60 दिन के ग्रेस पीरियड में नया वीजा या नौकरी नहीं ढूँढ पाता, तो उसे भी डिपोर्टेशन का सामना करना पड़ सकता है। स्टूडेंट वीजा वालों को भी अपने कोर्स और स्टेटस का ध्यान रखना होगा। ट्रंप प्रशासन ने वीजा नियमों को और सख्त करने का संकेत दिया है, जिसका असर भविष्य में इन वीजा धारकों पर भी पड़ सकता है।
क्यों लिया गया यह सख्त फैसला?
ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल से ही अवैध इमिग्रेशन को राष्ट्रीय सुरक्षा और अर्थव्यवस्था के लिए खतरा बताया है। उनका दावा है कि बिना दस्तावेजों के रहने वाले लोग संसाधनों पर बोझ डालते हैं और नौकरियाँ छीनते हैं। 2025 में सत्ता में लौटते ही उन्होंने कई कार्यकारी आदेश जारी किए, जिनमें यह रजिस्ट्रेशन नियम भी शामिल है। अनुमान है कि अमेरिका में करीब 1.1 करोड़ अनडॉक्यूमेंटेड लोग हैं, जिनमें से ज्यादातर वीजा ओवरस्टे कर रहे हैं। ट्रंप का लक्ष्य इनकी संख्या कम करना और कानूनी इमिग्रेशन को और सख्त करना है। इस नियम को लागू करने के पीछे उनकी "मेक अमेरिका सेफ अगेन" की नीति साफ झलकती है।
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