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पैसे लेकर बंटने लगी US की नागरिकता! ट्रंप की गोल्ड कार्ड स्कीम ने पहले दिन की 44 हजार करोड़ की कमाई

डोनाल्ड ट्रंप की 'गोल्ड कार्ड' स्कीम से मिलेगा 50 लाख डॉलर में अमेरिकी स्थायी निवास, पहले दिन जुटाए 44 हजार करोड़
05:22 PM Mar 26, 2025 IST | Rohit Agrawal

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप सरकार ने एक नई स्कीम शुरू की है, जिसके तहत 50 लाख डॉलर (करीब 44 करोड़ रुपये) देकर कोई भी व्यक्ति गोल्ड कार्ड हासिल कर सकता है। यह कार्ड अमेरिका में स्थायी निवास (परमानेंट रेसिडेंसी) का टिकट है, और ट्रंप प्रशासन का दावा है कि स्कीम लॉन्च होने से पहले ही पहले दिन 1,000 कार्ड बिक गए। इससे अमेरिका ने एक ही दिन में 44 हजार करोड़ रुपये की कमाई कर ली। तो आखिर क्या है यह गोल्ड कार्ड, और इससे ट्रंप सरकार क्या हासिल करना चाहती है? आइए जानते हैं।

पहले दिन ही बिक गए 1,000 गोल्ड कार्ड

अमेरिकी कॉमर्स सेक्रेटरी हॉवर्ड लुटनिक ने एक पॉडकास्ट में सनसनीखेज दावा किया कि गोल्ड कार्ड स्कीम शुरू होने से पहले ही एक दिन में 1,000 कार्ड बिक गए। उन्होंने कहा, "एलन मस्क अभी इसके लिए सॉफ्टवेयर बना रहे हैं। दो हफ्ते बाद यह स्कीम लॉन्च होगी, लेकिन उससे पहले ही हमने एक हजार कार्ड बेच दिए।" हर कार्ड की कीमत 50 लाख डॉलर है, जिसका मतलब है कि अमेरिका ने पहले दिन 5 बिलियन डॉलर (44 हजार करोड़ रुपये) जुटा लिए। लुटनिक ने यह भी कहा कि लोग इस कार्ड के लिए कतार में हैं, और ट्रंप सरकार का टारगेट 10 लाख कार्ड बेचने का है। अगर यह लक्ष्य पूरा हुआ, तो 4.40 लाख करोड़ रुपये की कमाई होगी।

 

क्या है US की नई गोल्ड कार्ड स्कीम?

यह गोल्ड कार्ड अमेरिका में रहने का "गोल्डन टिकट" है, लेकिन यह सीधे नागरिकता नहीं देता। लुटनिक ने बताया कि अगर आप अमेरिकी नागरिक बनते हैं, तो आपको ग्लोबल टैक्स देना पड़ता है। गोल्ड कार्ड से आप परमानेंट रेसिडेंट बनते है जबकि नागरिक बनना आपकी मर्जी है। ज्यादातर लोग नागरिकता नहीं लेंगे, ताकि ग्लोबल टैक्स से बच सकें।" इसका मतलब है कि कार्डधारक अमेरिका में हमेशा रह सकते हैं, लेकिन उनकी विदेशी कमाई पर टैक्स नहीं लगेगा सिर्फ अमेरिका में कमाई पर टैक्स देना होगा। लुटनिक ने कहा, "50 लाख डॉलर देकर आप अमेरिका में रहने का अधिकार पाते हैं। आपकी जाँच होगी, और अगर आप गैरकानूनी काम करते पकड़े गए, तो कार्ड रद्द हो सकता है।"

क्यों खरीदें गोल्ड कार्ड: लुटनिक की निजी पिच

लुटनिक ने इसे एक "सुरक्षा कवच" की तरह पेश किया। उन्होंने कहा, "अगर मैं अमेरिकी नहीं होता, तो मैं 6 कार्ड खरीदता—एक अपने लिए, एक पत्नी के लिए, और चार बच्चों के लिए। अगर दुनिया में कोई संकट आया—जंग हो या कुछ और—तो मैं अपने परिवार को लेकर अमेरिका भाग सकता हूँ। यहाँ सुरक्षित होकर मैं नई जिंदगी शुरू कर सकता हूँ, बिजनेस खड़ा कर सकता हूँ।" उनका तर्क है कि यह कार्ड अमीर लोगों के लिए एक बैकअप प्लान है, जो उन्हें मुसीबत के वक्त अमेरिका में शरण देगा।

 

पुरानी EB-5 से कितना अलग?

पहले अमेरिका में EB-5 स्कीम थी, जिसमें 10 लाख डॉलर (8.75 करोड़ रुपये) निवेश करके रेसिडेंसी मिलती थी, लेकिन इसके लिए 10 लोगों को नौकरी देना जरूरी था। गोल्ड कार्ड में यह शर्त हटा दी गई है। यहाँ सिर्फ 50 लाख डॉलर का भुगतान चाहिए—नौकरी देने की कोई बाध्यता नहीं। ट्रंप सरकार इसे पुरानी स्कीम का "अपग्रेड" बता रही है, जो अमीरों को तेज और आसान रास्ता देती है। लुटनिक ने कहा कि EB-5 में फर्जीवाड़ा और झंझट था। गोल्ड कार्ड साफ-सुथरा और सीधा है।"

ट्रंप का प्लान: कर्ज घटाने की जुगत?

ट्रंप सरकार का कहना है कि गोल्ड कार्ड से होने वाली कमाई अमेरिका के 36 ट्रिलियन डॉलर के कर्ज को कम करने में मदद करेगी। लुटनिक के मुताबिक, दुनिया में 3.7 करोड़ लोग इस कार्ड को खरीदने की हैसiyat रखते हैं। अगर 10 लाख कार्ड बिके, तो 5 ट्रिलियन डॉलर (4.40 लाख करोड़ रुपये) जुट सकते हैं। ट्रंप ने इसे "अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने वाला कदम" बताया है। लेकिन सवाल यह है—क्या सचमुच इतने लोग इसे खरीदेंगे, या यह सिर्फ हवा में तीर है? पहले दिन की बिक्री को देखें, तो शुरुआत जोरदार लगती है।

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