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चीन पर टैरिफ का ट्रिपल अटैक! ट्रंप ने फिर क्यों लपेटा ड्रैगन को? भारत कैसे बच निकला? जानिए असली खेल

Trump Tariff: ट्रंप का 104% टैरिफ चीन पर वार, भारत निकला फायदे में सिर्फ 26% टैरिफ के साथ। जानिए कैसे मारी बाज़ी!
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Trump Tariff: डोनाल्ड ट्रंप ने अपने ट्रेड वॉर के तुरुप का इक्का फिर से निकाला और इस बार चीन को ऐसा झटका दिया कि दुनिया देखती रह गई। 9 अप्रैल 2025 से चीन के सामानों पर 104% का टैरिफ लग गया, जबकि भारत 26% के हल्के डोज के साथ आराम से निकल गया। ट्रंप का यह गुस्सा आखिर चीन पर ही क्यों बरस रहा है? शी जिनपिंग ने ऐसा क्या कर डाला कि टैरिफ का पहाड़ उनके सिर पर टूट पड़ा, और भारत ने कैसे चालाकी से खुद को बचा लिया? चलिए, इस सियासी-आर्थिक मसाले को चटपटे अंदाज में समझते हैं।

ट्रंप ने चीन पर फोड़े तीन-तीन टैरिफ बम

बता दें कि ट्रंप..चीन को निपटाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। पहले से 20% टैरिफ चल रहा था, फिर 2 अप्रैल को 34% का झटका दिया गया, और अब 50% का ताजा बम फोड़कर कुल 104% टैरिफ ठोक दिया। यह नया नियम 9 अप्रैल की रात 12 बजे से लागू हो गया, यानी अब चीनी सामान अमेरिका में सोने से भी महंगा पड़ेगा। ट्रंप का कहना है कि यह सब चीन की "गलत हरकतों" का नतीजा है। लेकिन यह खेल सिर्फ पैसों का नहीं, बल्कि ताकत और तेवर का भी है। चीन की सस्ती फैक्ट्रियों को अब पसीने छूटने वाले हैं, और अमेरिकी बाजार में उनकी दाल गलना मुश्किल हो गया।

चीन पर ही क्यों टूटा ट्रंप के टैरिफ का पहाड़?

ट्रंप का गुस्सा तब भड़का, जब चीन ने उनकी चाल का जवाब अपनी चाल से दिया। 2 अप्रैल को जब अमेरिका ने 34% टैरिफ लगाया, तो चीन ने भी उसी ताकत से पलटवार करते हुए अमेरिकी सामानों पर 34% टैरिफ चढ़ा दिया। ट्रंप ने इसे बर्दाश्त नहीं किया। उन्होंने चीन को साफ चेतावनी दी कि 8 अप्रैल तक यह जवाबी टैरिफ हटाओ, वरना अंजाम भुगतो।

लेकिन शी जिनपिंग ने जिद पकड़ ली और बातचीत की बजाय ताकत दिखाने की ठानी। नतीजा यह हुआ कि ट्रंप ने चीन पर 50% का नया टैरिफ बम फोड़ दिया। ट्रंप ने कहा कि चीन घबराकर जो कदम उठाया, वो उसे नहीं करना चाहिए था।" जिनपिंग की यह जिद अब चीन को भारी पड़ रही है।

भारत पर ट्रंप ने क्यों खाया रहम?

दूसरी ओर, भारत ने ट्रंप के इस टैरिफ तूफान में खुद को चतुराई से बचा लिया। अमेरिका ने भारत पर 26% टैरिफ लगाया, जो चीन के 104% के सामने कुछ भी नहीं। भारत ने जवाबी टैरिफ लगाने की गलती नहीं की, बल्कि कूटनीति का सहारा लिया। पीएम मोदी और ट्रंप की दोस्ती यहाँ काम आई—दोनों देश ट्रेड डील पर बातचीत कर रहे हैं। भारत का अमेरिका के साथ व्यापार घाटा ($36 बिलियन) चीन ($296 बिलियन) की तुलना में मामूली है, तो ट्रंप ने भारत को "बड़ा खतरा" नहीं माना। भारत ने चुपचाप डिप्लोमेसी की चादर ओढ़ी और इस आर्थिक आंधी से बच निकला।

तो क्या है ट्रंप का असल इरादा?

ट्रंप का मकसद साफ है कि चीन जैसे "खिलाड़ियों" को ठिकाने लगाना और अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग को फिर से जिंदा करना। वह चाहते हैं कि चीनी सामान महंगा हो, ताकि कंपनियाँ भारत, वियतनाम जैसे देशों की ओर रुख करें। चीन की सस्ती फैक्ट्रियाँ अब अमेरिका में दम तोड़ेंगी, और भारत जैसे देशों के लिए यह सुनहरा मौका है।

ट्रंप का यह टैरिफ सिर्फ पैसों की लड़ाई नहीं, बल्कि वैश्विक ताकत का खेल है। भारत को राहत देकर ट्रंप सप्लाई चेन को चीन से हटाने की रणनीति पर भी काम कर रहे हैं। अब जिनपिंग की अगली चाल तय करेगी कि यह ट्रेड वॉर और कितना गरमाएगा।

जिनपिंग से कहां चूक हो गई?

ट्रंप का टैरिफ तड़का चीन पर इसलिए गिरा, क्योंकि जिनपिंग ने गलत वक्त पर गलत दांव खेला। जवाबी टैरिफ और जिद ने चीन को 104% के बोझ तले दबा दिया, जबकि भारत ने चालाकी से डिप्लोमेसी का रास्ता चुना और बड़े नुकसान से बच गया। ट्रंप का संदेश साफ है कि जो उनकी बात नहीं मानेगा, वह पछताएगा। चीन के लिए यह महंगा सबक है, और भारत के लिए आगे बढ़ने का मौका। अब गेंद जिनपिंग के पाले में है—देखते हैं, वह ट्रंप के इस तूफान का जवाब कैसे देते हैं!

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