डूरंड लाइन पर तालिबान-पाकिस्तान की जंग, जानें भारत से क्या है कनेक्शन?
अफगानिस्तान में 2021 में तालिबानी सत्ता में आए। ऐसे में पाकिस्तान को उम्मीद थी कि काबुल में मैत्रीपूर्ण सरकार बनेगी जो डूरंड लाइन को मान्यता दे। लेकिन पाकिस्तान की यह इच्छा पूरी नहीं हो सकी। इस लाइन पर अब अफगानिस्तान और पाकिस्तान आमने-सामने आ गए हैं। दरअसर अफगानिस्तान के तालिबानी लड़ाके डूरंड लाइन पार करके पाकिस्ता में दाखिल हो गए हैं और वहां की फौज की चौकियों को निशाना बना रहे हैं। ऐस में यह जानना जरूरी है कि डूरंड लाइन आखिर है क्या? और क्यों दोनों देश इसे लेकर आमने-सामने हैं? साथ ही भारत के साथ इसका क्या संबंध है?
क्या है डूरंड लाइन?
अफगानिस्तान के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता खोवारजामी की मानें तो वे इस क्षेत्र को पाकिस्तान एरिया नहीं मानते। उनके अनुसार इसे अफगानिस्तान हाइपोथेटिकल लाइन कहा जाता है जो 1947 से पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच है। अफगानिस्तान ने कभी भी डूरंड लाइन को आधिकारिक तौर पर मान्यता नहीं दी।
किसने बनाई थी डूरंड लाइन?
यह लाइन ब्रिटिश शासन के दौरान अंग्रेजों ने दक्षिण एशिया में अपने हितों को बचाने के लिए 1893 में बनाई थी। इसे ब्रिटिश इंडिया और एमिरेट्स ऑफ अफगानिस्तान के बीच बनाया गया था। पाकिस्तान उस समय ब्रिटिश भारत का ही हिस्सा था। भारत-पाकिस्तान बटवारें के बाद ये लाइन पाकिस्तान में आ गई। अब ये लाइन पाकिस्तान और अफगानिस्तान को अलग करती है। बता दें कि ये लाइन पाकिस्तान में ज्यादातर पीओके से होकर गुजरती है।
इस बॉर्डर का नाम अंग्रेज अफसर हेनरी डूरंड के नाम पर रखा गया। वो उस समय ब्रिटिश भारत के विदेश सचिव थे और उन्होंने अफगान शासक अब्दुर रहमान के साथ मिलकर इस लाइन को खींचा थ। रहमान को भी ब्रिटेन ने अपने हितों को साधने के लिए अफगान का शासक बनाया था।
क्यों बनाई गई थी लाइन?
दरअसल इस रेखा को उस समय भारत और अफगानिस्तान के बीच सीमा तय करने के लिए खींचा गया था। इतिहासकारों के अनुसार इस रेखा को खींचते समय स्थानीय जनजातियों और भौगेलिक परिस्थितियों को ध्यान में नहीं रखा गया था। इसलिए यह उस समय से ही विवादों में रही है।
अब अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने पर डूरंड रेखा पर तनाव बढ़ा है। दरअसल, तालिबान इस रेखा को अफगानिस्तान की संप्रभुता का उल्लंघन मानता है। पाकिस्तान और अफगानिस्तान दोनों अपनी सीमाओं को लेकर अपने-अपने दावे करते हैं। इसी बॉर्डर से तालिबान समर्थित आतंकी संगठन पाकिस्तान में हमला करते हैं।
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