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चीन से तनाव के बीच ताइवान ने भारत को दिया बड़ा ऑफर, FTA से मजबूत होंगे आर्थिक रिश्ते

'ताइवान ने भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की वकालत की है। जानें कैसे यह कदम भारत को चीन पर निर्भरता कम करने में मदद करेगा। पूरी खबर यहां पढ़ें।'
04:57 AM Mar 21, 2025 IST | Girijansh Gopalan

चीन के साथ लगातार बढ़ते तनाव और व्यापारिक विवादों के बीच ताइवान अब भारत के साथ अपने आर्थिक रिश्तों को मजबूत करने की कोशिशों में जुट गया है। ताइवान के डिप्टी नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (NSA) सू चिन शू ने कहा है कि उनका देश भारत को चीन पर व्यापारिक निर्भरता कम करने में मदद कर सकता है। उन्होंने भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की वकालत की है, जिससे भारतीय बाजार में ताइवान का निवेश बढ़ेगा और चीन से आयात भी कम होगा।

ताइवान का भारत को ऑफर

ताइवान के NSA सू चिन शू ने नई दिल्ली में रायसीना डायलॉग के दौरान कहा कि भारत की विशाल युवा आबादी और ताइवान की तकनीकी विशेषज्ञता मिलकर एक मजबूत आर्थिक साझेदारी बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत को अब चीन से आयात करने के बजाय इलेक्ट्रॉनिक और ICT (इन्फॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी) उत्पादों का उत्पादन खुद करना चाहिए और इसमें ताइवान उसकी मदद कर सकता है। इससे भारत को मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान को मजबूती देने का मौका मिलेगा।

चीन से आयात पर निर्भरता खत्म करेगा भारत?

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा तेजी से बढ़ रहा है। 2023-24 में भारत ने चीन से 101.75 अरब अमेरिकी डॉलर का आयात किया, जबकि चीन को महज 16.65 अरब अमेरिकी डॉलर का निर्यात किया। यह भारी असमानता भारत के लिए आर्थिक रूप से नुकसानदेह है। ताइवान के साथ साझेदारी से भारत न केवल सेमीकंडक्टर और हाई-टेक्नोलॉजी उत्पादों में आत्मनिर्भर बन सकता है, बल्कि अपने व्यापार घाटे को भी नियंत्रित कर सकता है।

ICT में भारत को ताइवान की जरूरत

ताइवान दुनिया के कुल सेमीकंडक्टर उत्पादन का 70% करता है और हाईटेक चिप्स का 90% निर्माण करता है। ये चिप्स स्मार्टफोन, ऑटोमोबाइल, डाटा सेंटर, लड़ाकू विमान और AI तकनीक में बेहद अहम भूमिका निभाते हैं। ताइवान के NSA ने कहा कि उनका देश भारत में सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के उत्पादन में सहयोग करने के लिए तैयार है, जिससे भारत को चीन से महंगे आयात की जरूरत नहीं पड़ेगी।

FTA से भारत-ताइवान का व्यापार

ताइवान ने भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की वकालत करते हुए कहा है कि इससे दोनों देशों को भारी आर्थिक लाभ होगा। ताइवान के NSA ने कहा कि भारत में टैरिफ (आयात शुल्क) बहुत अधिक हैं, जिससे व्यापारिक संभावनाओं पर असर पड़ता है। अगर FTA लागू होता है, तो ताइवान की कंपनियां भारत में बड़े पैमाने पर निवेश करेंगी और इससे भारतीय उद्योगों को नई तकनीक और विशेषज्ञता मिलेगी।

भारत-ताइवान रिश्ते नए मुकाम पर

हालांकि, भारत और ताइवान के बीच औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं, लेकिन दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्ते लगातार मजबूत हो रहे हैं। भारत ताइवान का 17वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और भारतीय बाजार में ताइवान की कंपनियों ने अब तक 4 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश किया है। यह निवेश फुटवियर, मशीनरी, ऑटोमोबाइल, पेट्रोकेमिकल्स और ICT सेक्टर में किया गया है। अगर भारत-ताइवान व्यापारिक संबंधों को और मजबूती मिलती है, तो इससे भारत को चीन के मुकाबले एक बड़ा आर्थिक विकल्प मिलेगा।

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