मुश्किल में इस देश की 12000 पत्नियां, छोड़ना पड़ सकता है अपना घर परिवार
ताइवान में रह रहीं हजारों चीनी मूल की महिलाओं की जिंदगी इन दिनों काफी मुश्किल में है। वजह है एक नया सरकारी नियम, जिसने उनके भविष्य को लेकर चिंता बढ़ा दी है। अगर अगले तीन महीनों में उन्होंने कुछ जरूरी दस्तावेज जमा नहीं किए, तो उनका ताइवान में रहने का हक छिन सकता है।
करीब 12,000 चीनी पत्नियां, जो ताइवानी नागरिकों से शादी करके वहां रह रही हैं, अब अपने परिवार और पहचान को बचाने की कोशिश में जुटी हुई हैं। इन महिलाओं से ताइवान की नेशनल इमिग्रेशन एजेंसी ने कहा है कि वे अपनी चीनी नागरिकता से जुड़े ‘हाउसहोल्ड रजिस्ट्रेशन’ की पुष्टि कराएं और उसकी एक प्रमाणित कॉपी जमा करें।
अगर ऐसा नहीं किया गया, तो उनकी ताइवानी नागरिकता खत्म मानी जा सकती है। कुछ मामलों में तो यह स्थिति पति-पत्नी के रिश्ते को भी प्रभावित कर सकती है।
नियम 2004 से लागू लेकिन अब आया जोर
ये नियम तो 2004 में ही लागू हुआ था, लेकिन बहुत सी महिलाओं ने इसे कभी गंभीरता से नहीं लिया। वजह ये थी कि वो कई सालों से ताइवान में अपने पति और बच्चों के साथ आराम से रह रही थीं। अब जब अचानक सरकार ने कागज़ात दिखाने को कहा और एक तय समयसीमा भी रख दी, तो बहुत सी महिलाएं घबरा गईं और उलझन में पड़ गईं।
हालात इतने बिगड़ गए कि 'द स्ट्रेट्स एक्सचेंज फाउंडेशन' के पास रोज़ हज़ारों कॉल्स और विज़िट्स आने लगे। कई बार तो महिलाएं फोन पर बात नहीं कर पाईं, तो सीधे केंद्र पर पहुंच गईं। हालात संभालने के लिए फाउंडेशन को ज्यादा स्टाफ रखना पड़ा और वेबसाइट पर पूरी जानकारी डालनी पड़ी।
समयसीमा बहुत कम, प्रक्रिया बहुत बड़ी
इन महिलाओं की सबसे बड़ी परेशानी ये है कि ताइवान सरकार को जो कागज़ देने हैं, वो चीन में बनवाने और वहीं से प्रमाणित करवाने होंगे। ये काम ना सिर्फ लंबा है, बल्कि बहुत ही उलझा हुआ भी है। ऊपर से चीन और ताइवान के बीच चल रही राजनीति की वजह से इसमें देर होना भी आम बात है। कई महिलाओं ने बताया कि सरकार ने जो तीन महीने की समयसीमा दी है, वो उनके लिए बहुत कम है। अगर ये कागज़ात समय पर नहीं बन पाए, तो हो सकता है कि उन्हें अपने पति और परिवार से अलग रहना पड़े।
ताइवान की सरकार पर उठ रहे सवाल
ताइवान में सरकार की हाल की कार्रवाई को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। कई सामाजिक संगठन और मानवाधिकार से जुड़े लोग इसे महिलाओं के अधिकारों के खिलाफ मान रहे हैं। उनका कहना है कि जो महिलाएं सालों से ताइवान में रह रही हैं, जिन्होंने यहीं शादी की, परिवार बनाया और अपनी ज़िंदगी बसा ली — उन्हें अचानक कानूनी दिक्कतों में डालना न केवल गलत है, बल्कि यह इंसानियत के नज़रिए से भी ठीक नहीं लगता।
इस समय ताइवान में रह रही करीब 12 हजार चीनी महिलाओं के लिए हालात काफी मुश्किल हो गए हैं। वे बहुत तनाव में हैं, क्योंकि उन्हें अपने भविष्य, नागरिकता, बच्चों और पूरे परिवार की स्थिरता को लेकर चिंता सता रही है।
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