म्यांमार का सागाइंग फॉल्ट क्या है, इसकी चपेट में कितने शहर, और यहाँ भूकंप का खतरा सबसे ज्यादा क्यों?
Sagaing fault Myanmar Earthquake: म्यांमार का सागाइंग क्षेत्र एक बार फिर प्रकृति के गुस्से का शिकार बना, जब 7.7 तीव्रता के भूकंप ने सब कुछ हिलाकर रख दिया। झटके इतने तेज़ थे कि 1,200 किलोमीटर दूर बैंकॉक तक धरती काँप उठी। यह कोई पहला मौका नहीं है—म्यांमार का इतिहास भूकंपों की तबाही से रंगा हुआ है, और सागाइंग फॉल्ट इसके केंद्र में है। आखिर क्या है यह फॉल्ट, जो इसे इतना खतरनाक बनाता है, और क्यों यहाँ बार-बार मचती है आफत?
सागाइंग फॉल्ट क्या है?
सागाइंग फॉल्ट म्यांमार की सबसे बड़ी और सक्रिय भूकंपीय संरचना है। यह एक ट्रांसफॉर्म फॉल्ट है, जो भारतीय प्लेट और सुंडा प्लेट के बीच लगभग 1,200 किलोमीटर तक उत्तर से दक्षिण की ओर फैली हुई है। यह फॉल्ट अंडमान सागर में फैलाव केंद्र से शुरू होकर उत्तरी म्यांमार में हिमालयी टकराव क्षेत्र तक जाती है। यहाँ दो प्लेटें एक-दूसरे के बगल से खिसकती हैं, जिसकी गति 18-49 मिलीमीटर प्रति वर्ष मानी जाती है। इस खिसकाव से तनाव जमा होता है, जो अचानक रिलीज़ होने पर भूकंप का कारण बनता है। सागाइंग फॉल्ट म्यांमार के मध्य और उत्तरी हिस्सों से होकर गुजरती है और इसके आसपास घनी आबादी वाले क्षेत्र हैं।
इसकी चपेट में कितने शहर?
सागाइंग फॉल्ट म्यांमार के कई प्रमुख शहरों से होकर गुजरती है या उनके करीब है। इनमें शामिल हैं:
यंगोन: देश का सबसे बड़ा शहर और आर्थिक केंद्र, फॉल्ट के दक्षिणी छोर के पास।
नायपिडॉ: म्यांमार की राजधानी, जो फॉल्ट के मध्य भाग के करीब स्थित है।
मांडले: दूसरा सबसे बड़ा शहर और सांस्कृतिक केंद्र, जो सागाइंग फॉल्ट के बेहद नज़दीक है।
बागो: दक्षिणी हिस्से में, जहाँ 1930 में बड़ा भूकंप आया था।
सागाइंग: हालिया 7.7 तीव्रता वाले भूकंप का केंद्र, फॉल्ट पर ही स्थित। वहीं तौंगू, यमेथिन, प्यू, मोगैंग, कमाइंग, बैनमौक: ये छोटे शहर भी फॉल्ट के प्रभाव क्षेत्र में हैं।
कुल मिलाकर, यह फॉल्ट 1,200 किलोमीटर के दायरे में फैली है और इसके आसपास दर्जनों शहर और कस्बे आते हैं। मांडले, सागाइंग, और नायपिडॉ जैसे शहरों की निकटता इसे विशेष रूप से खतरनाक बनाती है।
यहाँ भूकंप का खतरा सबसे ज्यादा क्यों?
टेक्टॉनिक गतिविधि: सागाइंग फॉल्ट भारतीय प्लेट और सुंडा प्लेट के बीच की सीमा पर स्थित है। यहाँ स्ट्राइक-स्लिप गति (दोनों प्लेटों का बगल से खिसकना) तनाव पैदा करती है, जो भूकंप का मुख्य कारण है। म्यांमार चार टेक्टॉनिक प्लेटों—भारतीय, यूरेशियन, सुंडा, और बर्मा—के बीच में बसा है, जिससे यह क्षेत्र भूकंपीय रूप से अति संवेदनशील है।
ऐतिहासिक भूकंप: सागाइंग फॉल्ट पर पहले भी बड़े भूकंप आ चुके हैं, जैसे 1931 (7.5), 1946 (7.3 और 7.7), 1956 (7.0), 1991 (6.9), और 2012 (6.9)। ये घटनाएँ इसकी सक्रियता को दर्शाती हैं। पेलियोसिस्मोलॉजिकल अध्ययनों के अनुसार, दक्षिणी हिस्सों में हर 100-150 साल में बड़े भूकंप आते हैं।
सघन आबादी और कमज़ोर इन्फ्रास्ट्रक्चर: फॉल्ट के पास बड़े शहरों में आबादी घनी है, और कई इमारतें भूकंप-रोधी नहीं हैं। उदाहरण के लिए, हालिया 7.7 तीव्रता के भूकंप में मांडले में मस्जिद और सागाइंग में Ava ब्रिज ढह गया।
जियोलॉजिकल सेटिंग: फॉल्ट की उथली गहराई (हाल का भूकंप 10 किमी गहराई पर था) और आसपास का नरम मिट्टी का क्षेत्र झटकों को बढ़ा देता है।
सिस्मिक गैप: विशेषज्ञों ने सागाइंग फॉल्ट के मध्य हिस्से में 260 किमी लंबे सिस्मिक गैप की पहचान की है, जो 7.9 तीव्रता तक का भूकंप पैदा कर सकता है। यह गैप लंबे समय से शांत है, जिससे खतरा और बढ़ जाता है।
पहले भी आ चुके हैं ये बड़े भूकंप
2004 कोको आइलैंड भूकंप: 9.1-9.3 तीव्रता का यह भूकंप सुंडा मेगाथ्रस्ट पर आया था, जो सागाइंग फॉल्ट से अलग पश्चिमी तट पर है। इसने सुनामी पैदा की थी और भारी तबाही मचाई थी।
सागाइंग फॉल्ट पर भूकंप: 31 बार 7 या उससे ज़्यादा तीव्रता के भूकंप दर्ज किए गए हैं, जो इसकी सक्रियता को दिखाते हैं।
भूकंप से बचाव के उपाय
म्यांमार में भूकंप को रोका नहीं जा सकता, लेकिन नुकसान कम करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं:
भूकंप-रोधी निर्माण: अधिकारियों ने शहरों में ऐसी इमारतें बनाने की सलाह दी है, जो झटकों को सह सकें।
जागरूकता: लोगों को शिक्षित किया जा रहा है कि भूकंप के दौरान क्या करें—जैसे मज़बूत टेबल के नीचे छिपना, खिड़कियों से दूर रहना, या खुले मैदान में जाना।
आपातकालीन तैयारी: हालिया भूकंप के बाद म्यांमार ने सागाइंग, मांडले, और नायपिडॉ में आपातकाल घोषित किया, जिससे राहत कार्य तेज़ किए जा सकें।
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