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भारत की रेलाइन्स और रूस की रोसनेफ्ट के बीच हुआ अब तक का सबसे बड़ा कच्चे तेल का सौदा, जानिए कितनी मात्रा में भारत खरीदेगा तेल

भारत जो दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता और आयातक है वहीं चीन ने रूस से होने वाले कच्चे तेल के कुल निर्यात का 47 प्रतिशत हिस्सा खरीदा है।
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रेलाइन्स-रोसनेफ्ट डील

भारत की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (Relaince Industries) ने रूस की रोसनेफ्ट (Rosneft) कंपनी के साथ 10 साल के लिए एक समझौता किया है जिसके अंतर्गत भारत हर साल 12-13 अरब डॉलर मूल्य का कच्चा तेल आयात करेगा। यह समझौता प्रतिदिन 5,00,000 बैरल (जो सालाना 2.5 करोड़ टन होता है) कच्चे तेल की आपूर्ति करेगा। मौजूदा तेल कीमतों के हिसाब से यह सौदा सालाना 12-13 अरब डॉलर का होगा। रिलायंस के प्रवक्ता ने कहा कि रूस अब भारत को कच्चे तेल का सबसे बड़ा सप्लायर बन चुका है।

भारत का 40% तेल की आपूर्ति रूस से हो रही

रेलाइन्स इंडस्ट्रीज के प्रवक्ता के कहा, ‘हम अपनी रिफाइनरी के लिए कच्चे तेल की खरीद को लेकर हमेशा रूस समेत कई अंतरराष्ट्रीय सप्लायर्स से जुड़े रहते हैं। बाजार की स्थिति के हिसाब से कार्गो की संख्या अलग-अलग हो सकती है जो अर्थव्यवस्था पर निर्भर करती है।’ रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद फरवरी 2022 से भारत रूस से कच्चे तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार बन गया है। युद्ध से पहले रूस का हिस्सा कुल तेल आयात में एक प्रतिशत से भी कम था जो अब बढ़कर लगभग 40 प्रतिशत तक पहुंच गया है। इसका कारण रूस पर लगाई गई प्राइस कैप और यूरोपीय देशों का रूस से तेल खरीदने से बचना है। इस वजह से रूस का कच्चा तेल (Russian Oil) दूसरे अंतरराष्ट्रीय बाजारों के मुकाबले सस्ते में मिल रहा है।

रेलाइन्स-रूस डील

रूस के कच्चे तेल का 37% हिस्सा भारत करता है आयात 

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल (Russian Crude Oil) का उपभोक्ता और आयातक देश है बता दें, भारत ने अक्टूबर महीने में रूस से दो अरब यूरो का कच्चा तेल खरीदा था। यह आंकड़ा पिछले महीने के मुकाबले कम है जब भारत ने 2.4 अरब यूरो का तेल खरीदा था। अक्टूबर में चीन ने रूस के कच्चे तेल का 47 प्रतिशत खरीदा था जबकि भारत का हिस्सा 37 प्रतिशत रहा था। इसके बाद यूरोपीय संघ और तुर्की का 6-6 प्रतिशत हिस्सा था। रिलायंस के पास गुजरात के जामनगर में दो रिफाइनरी (Oil Refinery) हैं जहां कच्चे तेल को रिफाइन कर पेट्रोल, डीजल और अन्य पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स में बदला जाता है। कंपनी इस तेल से बने ईंधन को या अलग-अलग प्रोडक्ट्स को  यूरोप और अन्य देशों में बेचती है। हालांकि, रूस के कच्चे तेल पर मूल्य सीमा लागू की गई है फिर भी पूरा मूल्य लेकर ईंधन का निर्यात किया जा सकता है।

रेलाइन्स-रूस डील

जामनगर में रेलाइन्स की दो रिफाइनरी है मौजूद 

रिलायंस के प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी किसी भी गोपनीय सप्लाई कॉन्ट्रैक्ट के बारे में जानकारी नहीं देती है। उन्होंने ये भी बताया कि जो आपूर्ति की जाती है वह सभी मौजूदा पाबंदी नीतियों के अनुसार है। पहले रिलायंस ने रोसनेफ्ट से एक साल के लिए प्रति माह 30 लाख बैरल तेल खरीदने का समझौता किया था। ज्ञात हो, रिलायंस की जामनगर में दो रिफाइनरियां हैं जिनमें से एक केवल निर्यात के लिए है और इसकी क्षमता 5,80,000 बैरल प्रति दिन है जो पूरा उत्पादन निर्यात करती है। दूसरी रिफाइनरी की क्षमता 6,60,000 बैरल प्रति दिन है और यह घरेलू जरूरतों को पूरा करती है।

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