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राजीव शुक्ला ने पाकिस्तान के लाहौर में देखा भगवान राम के पुत्र लव से जुड़ा मंदिर, जानें क्या है इसकी कहानी?

राजीव शुक्ला ने पाकिस्तान के लाहौर में भगवान राम के पुत्र लव से जुड़ा मंदिर देखा। जानें इसका ऐतिहासिक महत्व और रामायण से कनेक्शन।
01:49 AM Mar 07, 2025 IST | Girijansh Gopalan

भारत और पाकिस्तान के बीच बंटवारे को 77 साल हो चुके हैं, लेकिन दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक कड़ियां आज भी जिंदा हैं। पाकिस्तान का लाहौर शहर भी इसी ऐतिहासिक विरासत का हिस्सा है। हाल ही में कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद राजीव शुक्ला ने लाहौर के एक प्राचीन मंदिर के बारे में जानकारी साझा की, जो भगवान राम के पुत्र लव से जुड़ा हुआ है। राजीव शुक्ला ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पहले ट्विटर) पर एक पोस्ट के जरिए इस मंदिर और लव से जुड़े ऐतिहासिक तथ्यों के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि लाहौर के प्राचीन किले में भगवान राम के पुत्र लव की समाधि मौजूद है। यही नहीं, लाहौर शहर का नाम भी लव के नाम पर रखा गया था।

लाहौर का नाम लव से जुड़ा है

राजीव शुक्ला ने अपनी पोस्ट में बताया कि लाहौर के म्युनिसिपल रिकॉर्ड में इस बात का उल्लेख है कि यह शहर भगवान राम के पुत्र लव द्वारा बसाया गया था। लव के भाई कुश के नाम पर पाकिस्तान में कसूर शहर बसाया गया। पाकिस्तान सरकार भी इस तथ्य को स्वीकार करती है। शुक्ला ने बताया कि उन्हें इस प्राचीन स्थल पर पूजा-अर्चना करने का मौका मिला। उनके साथ पाकिस्तान के गृहमंत्री मोहसिन नकवी भी मौजूद थे, जिन्होंने इस स्थल के जीर्णोद्धार का काम शुरू करवाया था।

रामायण काल से जुड़ा है लाहौर का इतिहास

लाहौर शहर का इतिहास रामायण काल से जुड़ा हुआ है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, लाहौर का प्राचीन नाम लवपुरी था, जिसे भगवान राम के पुत्र लव ने बसाया था। कहा जाता है कि जब भगवान राम ने वनवास जाने का फैसला लिया, तब उन्होंने अपने बेटों लव और कुश को शासन सौंप दिया। इस दौरान लव ने पंजाब के क्षेत्र पर शासन किया और लवपुरी को अपनी राजधानी बनाया। यही लवपुरी आगे चलकर लाहौर के नाम से प्रसिद्ध हुआ। हालांकि, इस तथ्य का उल्लेख वाल्मीकि रामायण में नहीं मिलता, लेकिन लोककथाओं और ऐतिहासिक दस्तावेजों में इसे प्रमुखता से बताया गया है।

लाहौर में मंदिर की स्थिति

पाकिस्तान में लव के नाम पर एक मंदिर भी मौजूद है, जो लाहौर किले के अंदर स्थित है। माना जाता है कि यह मंदिर सिख साम्राज्य के दौरान बनाया गया था, लेकिन मौजूदा समय में यह उपेक्षित अवस्था में पड़ा हुआ है। यहां पूजा-पाठ नहीं होती और इसे किसी धर्मस्थल की तरह संरक्षित नहीं किया गया है। कसूर जिले की बात करें तो इसका नाम भगवान राम के दूसरे पुत्र कुश के नाम पर रखा गया है। इतिहासकारों के अनुसार, कसूर शहर की स्थापना 1525 में हुई थी और यह क्षेत्र पहले सिंधु घाटी सभ्यता के अंतर्गत आता था।

लाहौर: एक बहुसांस्कृतिक शहर

लाहौर का इतिहास सिर्फ हिंदू और रामायण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मुगल, सिख, पठान और ब्रिटिश साम्राज्य का भी महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। यह शहर आर्य समाज का भी गढ़ रहा है, जहां से संस्कृत ग्रंथों का प्रकाशन हुआ और संस्कृत भाषा का प्रचार-प्रसार भी किया गया। इतिहासकार मानते हैं कि गुरु नानक देव ने भी अपने जीवनकाल में लाहौर की यात्रा की थी। इसके अलावा, यह शहर सिख साम्राज्य के संस्थापक महाराजा रणजीत सिंह की राजधानी भी रह चुका है।

धार्मिक विरासत को जोड़ने की पहल

राजीव शुक्ला की यह यात्रा और उनका बयान इस ओर इशारा करता है कि भारत और पाकिस्तान के बीच धार्मिक विरासत को जोड़ने के प्रयास किए जा सकते हैं। कटासराज मंदिर और करतारपुर साहिब कॉरिडोर जैसे धार्मिक स्थलों के संरक्षण पर ध्यान दिया है। हालांकि, हिंदू धार्मिक स्थलों को लेकर अब भी कई विवाद बने हुए हैं। कई मंदिर ऐसे हैं, जो खंडहर में तब्दील हो चुके हैं या उनका उपयोग अन्य उद्देश्यों के लिए किया जाता है।

क्या धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा?

पाकिस्तान के पर्यटन क्षेत्र के लिए यह एक बड़ा अवसर हो सकता है कि वह अपनी प्राचीन विरासत को संरक्षित करके धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा दे। भारत से हजारों श्रद्धालु हर साल पाकिस्तान के धार्मिक स्थलों, खासकर ननकाना साहिब और करतारपुर साहिब की यात्रा करते हैं। अगर लव मंदिर और कसूर के ऐतिहासिक स्थलों को पुनर्जीवित किया जाए, तो यह पाकिस्तान के पर्यटन उद्योग के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकता है।

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