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कतर ने गाजा संघर्ष में मध्यस्थता से किया किनारा, हमास से भी बनाई दूरी

कतर ने इजराइल और हमास को दिया संदेश - नेक नीयत से समझौता करो, वरना मध्यस्थता जारी नहीं रख सकते। अमेरिका के दबाव में हमास का दोहा कार्यालय बंद करने का फैसला।
09:56 AM Nov 10, 2024 IST | Vyom Tiwari

गाजा पट्टी में इजराइल और हमास के बीच चल रहे संघर्ष में एक बड़ा मोड़ आया है। लंबे समय से मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे कतर ने इस जिम्मेदारी से हाथ खींच लिया है। कतर का यह फैसला दोनों पक्षों के बीच बातचीत में प्रगति न होने और संघर्षविराम की उम्मीदों के कमजोर पड़ने के बाद आया है। आइए जानते हैं इस फैसले के पीछे की वजहें और इसके संभावित प्रभाव।

कतर का बड़ा फैसला

कतर ने स्पष्ट किया है कि अगर दोनों पक्ष सच्ची नीयत से समझौते की कोशिश नहीं करेंगे, तो वह मध्यस्थता जारी नहीं रख सकता। कूटनीतिक सूत्रों के अनुसार, कतर ने इजराइल और हमास दोनों को यह संदेश दिया है। इसके साथ ही, कतर ने यह भी कहा है कि अब दोहा में हमास के राजनीतिक कार्यालय का कोई औचित्य नहीं रह गया है।

यह फैसला ऐसे समय में आया है जब हमास और इजराइल के बीच वार्ताओं में कोई प्रगति नहीं हो पा रही थी। हाल ही में, हमास ने एक संघर्षविराम प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। इस प्रस्ताव में यह शर्त थी कि हमास कुछ इजराइली बंदियों को रिहा करेगा और 30 दिनों का संघर्षविराम किया जाएगा। हालांकि, इस प्रस्ताव में इजराइली सेना की गाजा से वापसी का कोई प्रावधान नहीं था।

अमेरिका की भूमिका

कतर के इस फैसले के पीछे अमेरिका की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही है। अमेरिका ने हाल ही में कतर को दोहा में स्थित हमास कार्यालय पर आपत्ति जताई थी। अमेरिकी प्रशासन ने कतर को यह स्पष्ट कर दिया था कि हमास के इस कार्यालय का वहां बने रहना स्वीकार्य नहीं है, खासकर जब हमास ने हालिया संघर्षविराम प्रस्ताव को खारिज कर दिया है।

एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने कहा, "हमने कतर से कहा कि जब हमास बंदियों को रिहा करने जैसे प्रस्तावों को बार-बार ठुकरा रहा है, तो किसी भी अमेरिकी सहयोगी देश की राजधानी में हमास नेताओं का स्वागत नहीं होना चाहिए।" इसके बाद, कतर ने लगभग 10 दिन पहले हमास नेतृत्व को यह स्पष्ट संदेश भेजा था कि अब समय आ गया है कि वे अपना राजनीतिक कार्यालय दोहा से हटा लें।

संभावित प्रभाव और भविष्य की चुनौतियां

कतर के इस फैसले का गाजा संघर्ष पर गहरा असर पड़ सकता है। कतर लंबे समय से इस मुद्दे पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता आ रहा था। अब जब कतर ने मध्यस्थता से हाथ खींच लिया है, तो यह हमास के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है। कतर के सहयोग से ही हमास को कई बार अंतरराष्ट्रीय मंच पर समर्थन मिलता रहा है।

इस फैसले से गाजा में शांति स्थापना की प्रक्रिया और जटिल हो सकती है। अब यह देखना होगा कि क्या कोई अन्य देश इस मध्यस्थता की भूमिका निभाने के लिए आगे आता है या नहीं। साथ ही, यह भी महत्वपूर्ण होगा कि इजराइल और हमास इस नई परिस्थिति में किस तरह प्रतिक्रिया देते हैं।

 

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