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अमेरिका ने पनामा नहर पर कब्जा किया, जानिए कैसे और कितने में हुआ यह ऐतिहासिक सौदा

अमेरिका ने पनामा नहर पर कब्जा किया, कैसे और कितने में हुआ यह ऐतिहासिक सौदा। जानिए अमेरिका के लिए पनामा नहर कितना जरूरी है।
01:23 PM Mar 06, 2025 IST | Girijansh Gopalan

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले संसदीय भाषण में ऐलान किया कि पनामा नहर अब अमेरिका के नियंत्रण में आ चुकी है। इसे अमेरिका और चीन के बीच चल रहे व्यापार युद्ध में अमेरिका की पहली बड़ी जीत के तौर पर देखा जा रहा है। लेकिन यह सौदा हुआ कैसे और इसकी कीमत कितनी रही? आइए, जानते हैं पूरी कहानी।

कैसे हुआ सौदा और कितने में?

हांगकांग स्थित कंपनी CK हचिसन ने पनामा नहर के दो प्रमुख बंदरगाहों में अपनी अधिकांश हिस्सेदारी अमेरिकी फर्म ब्लैकरॉक को बेच दी। यह सौदा 22.8 अरब डॉलर में हुआ। इसके साथ ही, पनामा नहर से जुड़े कई अन्य महत्वपूर्ण बंदरगाह भी अब अमेरिका के नियंत्रण में आ गए हैं।

अमेरिका ने कैसे लिया पनामा नहर का नियंत्रण?

इस सौदे की सबसे दिलचस्प बात यह है कि इसके जरिए अमेरिका ने पनामा नहर पर चीन की पकड़ कमजोर कर दी। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे अपनी बड़ी उपलब्धि बताया और कहा, “मेरा प्रशासन पनामा नहर को फिर से अमेरिका के नियंत्रण में लेने की प्रक्रिया शुरू कर चुका है।” इसका मतलब साफ है कि अब अमेरिका की रणनीतिक ताकत और भी बढ़ गई है।

यह डील कितनी बड़ी है?

ब्लैकरॉक की अगुवाई वाला समूह पनामा पोर्ट्स कंपनी के 90% हिस्से का अधिग्रहण करेगा। हांगकांग की इस कंपनी का पनामा नहर के दोनों छोर पर स्थित बाल्बोआ (Balboa) और क्रिस्टोबल (Cristobal) बंदरगाहों पर पिछले 20 सालों से कब्जा था। इसके अलावा, इस सौदे के तहत 43 बंदरगाह और 23 देशों में फैले 199 जहाजों के ठहराव स्थान (Berts) भी अमेरिका के नियंत्रण में आ गए हैं। हांगकांग के अरबपति ली का-शिंग की कंपनी CK हचिसन का स्वामित्व सीधे चीनी सरकार के पास नहीं है, लेकिन इसका हांगकांग से संचालित होना इसे चीनी वित्तीय कानूनों के अधीन कर देता है।

अमेरिका को क्या फायदा होगा?

पनामा नहर से हर साल 12,000 से ज्यादा जहाज गुजरते हैं, जो दुनिया के 170 देशों के 1,920 बंदरगाहों से जुड़े होते हैं। इसका 75% से ज्यादा व्यापार अमेरिका से जुड़ा होता है, यानी अमेरिका को अब इस सौदे से सीधा लाभ मिलेगा। रणनीतिक रूप से भी अमेरिका की पकड़ अब और मजबूत हो गई है।

चीन की प्रतिक्रिया और आगे की संभावनाएं

चीन की तरफ से अभी तक इस सौदे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव में एक नया अध्याय जोड़ सकता है। जेपी मॉर्गन के विश्लेषकों का कहना है कि यह सौदा काफी चौंकाने वाला है क्योंकि CK हचिसन के बंदरगाह सीधे अमेरिका-चीन विवाद से प्रभावित नहीं थे। यह एक अवसरवादी सौदा हो सकता है, क्योंकि CK हचिसन आमतौर पर अच्छी कीमत मिलने पर संपत्तियां बेचने के लिए तैयार रहती है।

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