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पाकिस्तान ने अचानक भारतीय श्रद्धालुओं को 6500 से अधिक वीजा क्यों दिए? जानिए बैसाखी पर्व के पीछे की पूरी कहानी

पाकिस्तान ने बैसाखी के लिए 6,500+ भारतीय श्रद्धालुओं को वीजा दिया, यह 1974 के धार्मिक प्रोटोकॉल के तहत सांस्कृतिक सहयोग का संकेत है।
10:13 AM Apr 08, 2025 IST | Rohit Agrawal

बैसाखी वीजा पाकिस्तान 2025: पाकिस्तान ने हाल ही में 6,500 से ज्यादा भारतीय श्रद्धालुओं को वीजा जारी कर सबको चौंका दिया है। यह कदम इसलिए खास है, क्योंकि दोनों देशों के बीच तनाव भरा इतिहास रहा है। तो आखिर इसके पीछे की वजह क्या है? दरअसल यह वीजा बैसाखी उत्सव के लिए दिए गए हैं, जो 10 से 19 अप्रैल 2025 तक पाकिस्तान में होगा। यह सिख समुदाय का बड़ा त्योहार है और हर साल भारत से हजारों श्रद्धालु इसे मनाने पाकिस्तान जाते हैं। इस बार भी यह परंपरा बरकरार रखी गई है, और इसके पीछे 1974 का पाकिस्तान-भारत धार्मिक स्थल यात्रा प्रोटोकॉल है। आइए, इसकी वजह और अहमियत को आसान भाषा में समझते हैं।

पाक ने 6500 से अधिक वीज़ा क्यों जारी किए?

हर साल बैसाखी पर सिख श्रद्धालु गुरुद्वारा पंजा साहिब, ननकाना साहिब और करतारपुर साहिब जैसे पवित्र स्थलों के दर्शन के लिए पाकिस्तान जाते हैं। पाक ने इस बार 6,500 से ज्यादा वीजा जारी किए हैं, जो पिछले सालों से कहीं ज्यादा हैं। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के सचिव प्रताप सिंह ने बताया कि 1,942 श्रद्धालुओं के पासपोर्ट दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग को भेजे गए थे, जिन्हें मंजूरी मिली। यह जत्था 10 अप्रैल को रवाना होगा। बाकी वीजा भी इसी उत्सव के लिए हैं, जो सिखों के लिए न सिर्फ धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी खास है।

वीज़ा जारी करने की वजह पर क्या कहता है प्रोटोकॉल?

बता दें कि पाक का यह कोई अचानक लिया गया फैसला नहीं है। दरअसल 1974 में भारत और पाकिस्तान ने एक समझौता किया था, जिसके तहत दोनों देशों के लोग एक-दूसरे के धार्मिक स्थलों की यात्रा कर सकते हैं। इसी के तहत हर साल भारतीय सिख पाकिस्तान जाते हैं, और पाकिस्तानी हिंदू या सिख भारत आते हैं।

बैसाखी, गुरु नानक जयंती जैसे मौकों पर यह प्रथा चलती है। इस बार भी पाकिस्तान ने इसी प्रोटोकॉल का पालन करते हुए वीजा जारी किए। उच्चायोग का कहना है कि यह कदम दोनों देशों के लोगों और संस्कृतियों को जोड़ने की कोशिश है।

पाकिस्तान क्या मैसेज देना चाहता है?

पाकिस्तान के प्रभारी साद अहमद वराइच ने कहा कि इतने सारे वीजा देना उनकी नीति का हिस्सा है, जो “लोगों, संस्कृतियों और धर्मों के बीच सद्भाव” को बढ़ावा देता है। उनका दावा है कि पाकिस्तान धार्मिक स्थलों की यात्रा को आसान बनाना चाहता है। मगर कुछ लोग इसे सियासी चाल भी मान सकते हैं, क्योंकि दोनों देशों के रिश्ते हमेशा सुर्खियों में रहते हैं। फिर भी, यह कदम श्रद्धालुओं के लिए खुशखबरी है, जो अपने पवित्र स्थानों तक पहुंच सकेंगे।

क्या है खास इस बार?

इस बार वीजा की संख्या पिछले सालों से ज्यादा है। मसलन, 2024 में 2,843 वीजा जारी हुए थे। SGPC ने कहा कि उनके 1,942 श्रद्धालुओं को मंजूरी मिली, लेकिन कुल संख्या इससे कहीं ज्यादा है। इसका मतलब बाकी वीजा शायद अलग-अलग समूहों या व्यक्तिगत आवेदनों के जरिए दिए गए। यह बढ़ी हुई संख्या सिख समुदाय के लिए उत्साह की बात है, जो अपने त्योहार को धूमधाम से मनाने की तैयारी में है।

तो असली वजह क्या?

पाकिस्तान का यह कदम अचानक नहीं, बल्कि एक पुरानी परंपरा का हिस्सा है। बैसाखी के लिए वीजा देना धार्मिक सद्भाव और प्रोटोकॉल का पालन तो है ही, साथ ही यह दोनों देशों के बीच लोगों से लोगों के रिश्ते मजबूत करने की कोशिश भी है। भले ही सियासी तनाव बना रहे, लेकिन ऐसे मौकों पर श्रद्धालु सीमाओं को पार करते हैं। यह सिख समुदाय के लिए खुशी का मौका है, और पाकिस्तान इसे दुनिया के सामने एक सकारात्मक संदेश के तौर पर पेश कर रहा है।

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