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Pahalgam Attack: पानी के बाद अब दवाइयों से मरेगा पाकिस्तान, भारत के एक्शन से हुई भारी किल्लत

भारत से दवाइयों और कच्चे माल की सप्लाई रुकने से पाकिस्तान में दवा संकट गहराने लगा है, सरकार ने इमरजेंसी प्लान शुरू किए हैं।
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पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ अपना व्यापार रोक दिया है। इसके चलते पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ गई हैं। खासतौर पर दवाइयों की सप्लाई पर असर पड़ा है। अब पाकिस्तान को डर सता रहा है कि दवाइयों की भारी कमी हो सकती है। इसी वजह से वहां की सरकार ने दवाइयों की सप्लाई बचाने के लिए इमरजेंसी प्लान शुरू कर दिए हैं।

भारत से जो दवाइयां और दवाओं का कच्चा माल आता था, वो अब रुक गया है। इससे पाकिस्तान की सेहत व्यवस्था पर सीधा असर पड़ रहा है। दवाइयों का स्टॉक खत्म होने का खतरा बढ़ता जा रहा है।

इतना ही नहीं, जब भारत ने सिंधु जल संधि भी रोकने का फैसला किया तो पाकिस्तान ने भी जवाब में दिल्ली से सारे व्यापारिक रिश्ते तोड़ दिए। इसका सीधा असर जरूरी जीवनरक्षक दवाइयों की सप्लाई पर पड़ा है। पाकिस्तान की ड्रग रेगुलेटरी अथॉरिटी (DRAP) ने हालात को देखते हुए इमरजेंसी कदम उठाने शुरू कर दिए हैं।

दवाओं की किल्लत से जूझ रहा पाकिस्तान 

DRAP ने कहा है कि दवाइयों पर रोक को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक नोटिस नहीं आया है। लेकिन माहौल को देखते हुए, चीन, रूस और यूरोप के कई देशों से दवाइयों के नए रास्ते तलाशे जा रहे हैं। एजेंसी खासतौर पर एंटी-रेबीज वैक्सीन, सांप के जहर का इलाज, कैंसर की दवाइयां और मोनोक्लोनल एंटीबॉडी जैसी जरूरी दवाइयों की उपलब्धता पर फोकस कर रही है।

हालांकि DRAP की कोशिशें चल रही हैं, लेकिन हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर जल्दी कोई पक्का कदम नहीं उठाया गया, तो पाकिस्तान में दवाइयों का बड़ा संकट आ सकता है।

PPMA की सरकार से अपील

पाकिस्तान फार्मा मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (PPMA) का एक ग्रुप हाल ही में इस्लामाबाद में सरकारी अफसरों से मिला। उनकी मांग थी कि दवाओं के बिज़नेस पर जो पाबंदियां लगी हैं, उन्हें हटाया जाए।

PPMA के अध्यक्ष तौकीर-उल-हक ने बताया कि DRAP और वाणिज्य मंत्रालय के साथ मीटिंग में उन्होंने साफ कहा कि कई जरूरी दवाओं का कच्चा माल सिर्फ भारत से आता है। उन्होंने खासतौर पर SIFC (स्पेशल इन्वेस्टमेंट फैसिलिटेशन काउंसिल) से भी गुज़ारिश की कि हेल्थ सेक्टर को इन पाबंदियों से बाहर रखा जाए, ताकि मरीजों को दिक्कत न हो। अब दवा इंडस्ट्री में हो रही इस दिक्कत की वजह से सरकार पर भी दबाव बढ़ रहा है कि वो इंसानों की जरूरतों को सियासी फैसलों से अलग रखे।

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