भारत-सऊदी रिश्तों में नई गर्माहट, मोदी की रणनीति ने किया पाकिस्तान को दरकिनार
भारत अब खाड़ी देशों के साथ अपने रिश्ते इतनी मजबूती से बुन रहा है कि पाकिस्तान धीरे-धीरे बाहर होता नजर आ रहा है। जिन देशों से पाकिस्तान इस्लामिक भावनाओं के नाम पर मदद बटोरता रहा, अब वहीं देश भारत को प्राथमिकता दे रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी मिसाल है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तीसरी बार सऊदी अरब दौरा करना।
तीसरी बार सऊदी अरब रवाना हुए पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर सऊदी अरब की यात्रा पर हैं। यह उनका तीसरा दौरा है—पहले वो 2016 और फिर 2019 में रियाद जा चुके हैं। इस बार की यात्रा खास इसलिए है क्योंकि भारत और सऊदी के रिश्तों में अब रणनीतिक गहराई आ गई है। व्यापार, ऊर्जा, निवेश और सुरक्षा जैसे अहम मुद्दों पर बातचीत होनी तय है। मोदी ने अपनी यात्रा से पहले ‘अरब न्यूज’ को दिए इंटरव्यू में कहा कि सऊदी को वे एक "स्थिरता लाने वाली शक्ति" मानते हैं।
कौन-कौन से क्षेत्र होंगे फोकस में?
भारत और सऊदी अरब अब सिर्फ कूटनीतिक साझेदार नहीं, बल्कि टेक्नोलॉजी, ऊर्जा, रक्षा, हेल्थकेयर, अंतरिक्ष और सांस्कृतिक मामलों में भी साझेदार बनते जा रहे हैं। इस यात्रा में छह से अधिक अहम समझौते होने की उम्मीद है। इनमें साइंस, एडवांस्ड टेक्नोलॉजी, एनर्जी और हेल्थ सेक्टर से जुड़े एमओयू शामिल हैं। जेद्दा भारत-सऊदी रिश्तों में विशेष स्थान रखता है क्योंकि यही शहर मक्का और मदीना का गेटवे है और यहीं से दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक व्यापार शुरू हुआ था।
भारतीय कामगार और कंपनियों का बढ़ता दबदबा
सऊदी अरब में करीब 28 लाख भारतीय रहते हैं। अब सिर्फ मजदूरी नहीं, बल्कि मिड और सीनियर लेवल की नौकरियों में भी भारतीयों की भागीदारी बढ़ी है। 2016 के बाद से 1,000 से ज्यादा भारतीय कंपनियों ने सऊदी में ऑफिस खोले हैं—IT, इंफ्रास्ट्रक्चर, AI और कंस्ट्रक्शन में भारत की भागीदारी उल्लेखनीय है।
पाकिस्तान कैसे हो रहा हाशिए पर?
पाकिस्तान दशकों तक खाड़ी देशों से फंड लेता रहा है—कभी इस्लाम के नाम पर, कभी कश्मीर के मुद्दे पर। लेकिन अब वह गेम चेंज हो चुका है। सऊदी अरब ने पाकिस्तान को मिलने वाली आर्थिक मदद में कटौती कर दी है और कश्मीर मामले पर भी भारत का पक्ष ज्यादा तवज्जो पा रहा है। यहां तक कि हज और उमराह में भी पाकिस्तानियों की बदनामी—जैसे भीख मांगना और अव्यवस्थित व्यवहार—ने सऊदी को नाराज़ किया है।
भारत बन रहा है विश्वसनीय सहयोगी
एक तरफ जहां पाकिस्तान के खराब रवैये के चलते सऊदी अब पाकिस्तान में निवेश करने से भी पीछे हट चुका है—सबसे बड़ी मिसाल है वहां रिफाइनरी प्रोजेक्ट से पीछे हटना। वही दूसरी ओर भारत के साथ खाड़ी देशों की साझेदारी दिन-ब-दिन मजबूत होती जा रही है। भारत की खाड़ी नीति अब फल देने लगी है। प्रधानमंत्री मोदी की सऊदी यात्रा इस बात की पुष्टि है कि भारत अब खाड़ी में सिर्फ एक साझेदार नहीं, बल्कि एक विश्वसनीय रणनीतिक सहयोगी बन चुका है। वहीं पाकिस्तान के लिए दरवाजे धीरे-धीरे बंद होते जा रहे हैं।
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