नेशनलराजनीतिमनोरंजनखेलहेल्थ & लाइफ स्टाइलधर्म भक्तिटेक्नोलॉजीइंटरनेशनलबिजनेसआईपीएल 2025चुनाव

आग में सुलगता नेपाल: राजशाही को लेकर जगह–जगह कर्फ्यू और बबाल, जानें क्या है पूरा माजरा?

नेपाल में राजशाही की वापसी और हिंदू राष्ट्र की माँग को लेकर हिंसक प्रदर्शन हुए। कर्फ्यू, सेना की तैनाती और 2 मौतों के बाद क्या होगा अगला कदम?
01:34 PM Mar 29, 2025 IST | Rohit Agrawal

Nepal Violence: नेपाल की राजधानी काठमांडू में शुक्रवार का दिन ऐसा उबाल लेकर आया कि सड़कें जंग का मैदान बन गईं। राजशाही की वापसी और हिंदू राष्ट्र की माँग को लेकर सड़कों पर उतरे हजारों लोग पुलिस से भिड़ गए। बात प्रदर्शन से शुरू हुई, लेकिन देखते ही देखते हिंसा का तांडव मच गया—पत्थर चले, आंसू गैस की बौछारें हुईं, दुकानें जलीं और दो लोगों की जान चली गई। सरकार ने कर्फ्यू लगाया, सेना बुलाई और अब हर तरफ सवाल गूँज रहा है कि आखिर नेपाल में यह बवाल क्यों और कैसे मचा? चलिए, इस कहानी को आसान भाषा में समझते हैं।

शांति से शुरू प्रदर्शन खूनखराबे में कैसे बदला?

शुक्रवार को काठमांडू के तिनकुने में राजशाही समर्थकों की भीड़ जुटी। नारे थे—"राजा लाओ, देश बचाओ" और "भ्रष्ट सरकार हटाओ"। सब कुछ शांत था, लेकिन जब कुछ लोग पुलिस की बैरिकेड तोड़ने लगे और पत्थर फेंकने शुरू किए, तो माहौल बदल गया। पुलिस ने जवाब में आंसू गैस छोड़ी और लाठियाँ भाँजी। मंच पर बैठे 87 साल के नेता नबराज सुबेदी तक को आँखों में गैस झेलनी पड़ी। फिर क्या, गुस्सा भड़का और प्रदर्शन हिंसा में तब्दील हो गया।

तबाही का ऐसा नज़ारा: आग, तोड़फोड़ और मौत

हिंसा ने ऐसा रूप लिया कि काठमांडू की सड़कें रणभूमि बन गईं। प्रदर्शनकारियों ने घरों में आग लगा दी, दुकानें तोड़ीं और गाड़ियाँ फूँक दीं। गैरीधारा में एक घर जल गया, जहाँ पुलिसवाले छिपे थे। इस बीच, टीवी चैनल के कैमरामैन सुरेश रजक की जलती इमारत से रिपोर्टिंग करते वक्त मौत हो गई। एक और शख्स को गोली लगी, जिसने अस्पताल में दम तोड़ा। 100 से ज़्यादा लोग घायल हुए, जिनमें पुलिसवाले भी शामिल हैं। गृह मंत्रालय का कहना है कि 13 इमारतें और 15 गाड़ियाँ तबाह हुईं।

हालत बेकाबू होने पर लगाया गया कर्फ्यू

हालात बेकाबू होते देख सरकार ने काठमांडू के तिनकुने, कोटेश्वर, बानेश्वर चौक और गौशाला समेत कई इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया। सेना सड़कों पर उतर गई और 100 से ज़्यादा प्रदर्शनकारियों को गिरफ़्तार कर लिया। रैली के "कमांडर" दुर्गा प्रसाद को हिंसा का मास्टरमाइंड माना जा रहा है उनके खिलाफ वारंट भी निकाला है। वहीं सरकार ने इसे "लूटपाट और उपद्रव" करार देते हुए कहा कि शांति भंग करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।

बबाल को लेकर लग रहे आरोप प्रत्यारोप

नेपाल के पूर्व पीएम पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' ने सरकार को कोसा। उनका कहना था कि पुलिस को हिंसा की भनक तक नहीं थी और जवाब देने में 45 मिनट लग गए। उन्होंने इसे "बर्बर हरकत" बताया और बेहतर तैयारी की सलाह दी। वाम मोर्चा ने पीएम ओली पर निशाना साधा और कहा कि उनका कुशासन ही इस बवाल की जड़ है। उधर, सरकार ने घायलों के इलाज का खर्च उठाने का ऐलान किया और हालात को काबू में बताया।

अचानक से नेपाल में राजशाही की मांग क्यों तेज हो रही?

दरअसल नेपाल में 2008 में 239 साल पुरानी राजशाही खत्म हुई थी। तब से 13 सरकारें आईं-गईं, लेकिन भ्रष्टाचार, गरीबी और अस्थिरता ने लोगों का गुस्सा भड़का दिया। कई लोग मानते हैं कि पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह वापस आएँ तो देश में स्थिरता आएगी। हिंदू राष्ट्र की माँग भी जोर पकड़ रही है, क्योंकि 2007 में धर्मनिरपेक्षता लागू होने से कुछ लोग नाराज़ हैं। यह प्रदर्शन उसी नाराज़गी का नतीजा है, जो अब सड़कों पर खून बनकर बह रहा है।

यह भी पढ़ें:

'ईद पर दंगे और विस्फोट की धमकी': मुंबई पुलिस को सोशल मीडिया पर चेतावनी, सुरक्षाबल हुआ सतर्क

म्यांमार में भारत का Operation Brahma: 15 टन राहत सामग्री लेकर यांगून पहुँचा वायुसेना का विमान

Tags :
Hindu Rashtra NepalKathmandu ViolenceNepal CrisisNepal Politicsnepal protestNepal RiotsNepal Royal Demandनेपाल हिंसा

ट्रेंडिंग खबरें

Next Article