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14 सरकारें, बढ़ती अस्थिरता और सड़कों पर बढ़ती हिंसा – क्या नेपाल फिर राजाओं के दौर में लौटेगा?

नेपाल में पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह के समर्थक राजशाही की माँग कर रहे हैं, लेकिन क्या यह संभव है? सरकार सख्त, ओली की चेतावनी, इतिहास, हालात।
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नेपाल में एक बार फिर राजशाही की मांग उठ रही है। पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह के समर्थक सड़कों पर हैं, लेकिन उनके प्रदर्शन अब हिंसा में बदल गए हैं। जिसपर अब सरकार सख्त हो गई है और PM केपी ओली ने ज्ञानेंद्र को कानूनी कार्रवाई की चेतावनी तक दे डाली है। अब सवाल 4उठता है कि क्या सचमुच नेपाल में राजशाही लौट सकती है? इतिहास कहता है कि राजशाही खत्म होती है, तो वापसी मुश्किल होती है। तो फिर ये हंगामा क्यों और क्या कहता है नेपाल का अतीत? आइए इसे और विस्तार से समझते हैं।

नेपाल में कौन कर रहा है राजशाही की मांग?

नेपाल में राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (RPP) के नेतृत्व में ज्ञानेंद्र शाह के समर्थक राजशाही की वापसी चाहते हैं। सोमवार को प्रदर्शन के दौरान देश के कई हिस्सों में हिंसा भड़क उठी। सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी और नेपाली कांग्रेस इसे ज्ञानेंद्र की साजिश बता रहे हैं। PM केपी ओली ने कहा, "हिंसा के लिए ज्ञानेंद्र जिम्मेदार हैं, उन्हें कानून का सामना करना होगा।" काठमांडू मेट्रोपॉलिटन सिटी ने उन पर 8 लाख रुपये का जुर्माना भी ठोका। लेकिन सवाल ये है कि क्या ये आंदोलन सचमुच कुछ बदल पाएगा?

नेपाल में राजशाही की मांग क्यों शुरू हुई?

नेपाल में 2008 में राजशाही खत्म हुई, तब से अब तक 14 सरकारें बन चुकी हैं। राजनीतिक अस्थिरता यहाँ की पहचान बन गई है। 2023 में ही केपी ओली ने प्रचंड से गठबंधन तोड़कर नेपाली कांग्रेस का हाथ थामा और तीसरी बार PM बने। भारत और चीन का प्रभाव भी यहाँ की सियासत को हिलाता रहता है। लोग सरकारों से तंग आ चुके हैं, और इसी का फायदा उठाकर RPP राजशाही की मांग कर रही है। समर्थकों का मानना है कि राजा लौटे, तो शायद स्थिरता आए, लेकिन क्या ये इतना आसान है?

क्या संविधान बचा पाएगा लोकतंत्र को?

नेपाल का मौजूदा संविधान 2015 में बना, जिसमें राजशाही की कोई जगह नहीं। कम्युनिस्ट नेता विद्या शर्मा कहती हैं कि संविधान बदलने के लिए संसद में दो-तिहाई बहुमत चाहिए।275 सीटों वाली संसद में RPP के पास सिर्फ 14 सीटें हैं, यानी 5%। राजशाही लाने के लिए कम से कम 183 सीटें चाहिए, जो अभी सपने जैसा है। विद्या कहती हैं, "जन विद्रोह हो तो शायद कुछ हो, लेकिन राजनीतिक तौर पर ये मुश्किल है।" RPP हिंदू राष्ट्र की मांग भी करती है, पर उसकी ताकत अभी कमजोर है।

कौन हैं राजशाही के प्रमुख नेता ज्ञानेंद्र?

ज्ञानेंद्र शाह की छवि नेपाल में अच्छी नहीं। 2001 के शाही नरसंहार में उनके भाई के परिवार की हत्या हुई, और लोग उन पर शक करते हैं। 2005 में उन्होंने लोकतंत्र खत्म कर सत्ता हथिया ली थी, जिसके बाद 2006 के जन आंदोलन ने उन्हें बाहर कर दिया।

इतिहासकार प्रेम कुमार कहते हैं, "उनके पास न जनसमर्थन है, न भरोसा। प्रदर्शनकारी एकजुट नहीं और फंडिंग की कमी है।सरकार के पास ताकत है, और प्रदर्शन सीमित इलाकों तक ही हैं। ऐसे में आंदोलन का जोर टिकना मुश्किल लगता है।

क्या इतिहास में लौटना मुमकिन है?

दुनिया में कुछ देशों ने लोकतंत्र से राजशाही की ओर कदम बढ़ाया, पर ज्यादातर संवैधानिक रूप में। इंग्लैंड में 1660 में राजशाही लौटी, स्पेन में 1975 में, और कंबोडिया में 1993 में। लेकिन ये सब संविधान के दायरे में हुआ। नेपाल में 2008 में राजशाही खत्म हुई, और लोग अब लोकतंत्र की कद्र करते हैं। प्रेम कुमार कहते हैं, "17 साल में 13 सरकारें देख चुके लोग शायद परेशान हों, पर ज्ञानेंद्र के लिए सड़कों पर नहीं उतरेंगे। दुनिया लोकतंत्र की तरफ जा रही है, नेपाल उल्टा कैसे चलेगा?

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