रूस के खिलाफ NATO की मीटिंग, 30 देशों के रक्षामंत्री होंगे शामिल, अमेरिका रह सकता है गैरहाजिर
यूक्रेन में पिछले तीन साल से लगाजार जारी युद्ध अब एक नए मोड़ पर आ चुका है। रूस की आक्रामक रणनीति और बढ़ते प्रभाव को देखते हुए अब NATO ने अपने पत्ते खोलने शुरू कर दिए हैं। दुनिया का सबसे बड़ा सैन्य गठबंधन, NATO, अब यूक्रेन में स्थायी समाधान की ओर कदम बढ़ाने जा रहा है। इसी कड़ी में गठबंधन के 30 सदस्य देशों के रक्षामंत्रियों की एक हाई-लेवल बैठक बुलाई गई है, जिसकी अगुवाई ब्रिटेन और फ्रांस कर रहे हैं।
रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के मद्देनजर बुलाई गई बैठक
इस महत्वपूर्ण बैठक में यूक्रेन में संभावित सैन्य तैनाती, रूस के साथ भविष्य में होने वाले किसी भी शांति समझौते की निगरानी और NATO की दीर्घकालिक रणनीति पर चर्चा की जाएगी। यानी अब बातचीत केवल समर्थन की नहीं, बल्कि मैदान में उतरने की है। यह बैठक सिर्फ रणनीति तय करने का मंच नहीं है, बल्कि NATO का यह स्पष्ट संकेत है कि वह अब केवल दर्शक नहीं बने रहना चाहता। ब्रिटेन और फ्रांस के शीर्ष सैन्य अधिकारी हाल ही में कीव गए थे, जहां यूक्रेनी नेतृत्व से गहन चर्चा के बाद यह बैठक तय की गई।
50 देश होंगे शामिल, अमेरिका नहीं लेगा भाग
NATO द्वारा बुलाई गई इस बैठक में दुनिया भर के कुल 50 देशों के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे — यानी NATO से बाहर के सहयोगी देश भी मौजूद रहेंगे। इस बार एक बड़ी खबर यह है कि अमेरिका इस बैठक से दूर रहेगा। अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ की मौजूदगी की कोई पुष्टि नहीं हुई है, जिससे सवाल उठने लगे हैं कि अमेरिका की प्राथमिकताएं क्या हैं? बैठक की अध्यक्षता ब्रिटेन और जर्मनी करेंगे, और यूक्रेन को दी जा रही सैन्य सहायता को कैसे बढ़ाया जाए, इस पर भी खास चर्चा होगी।
रूस के संभावित हमले को टालने के लिए बनेगी प्लानिंग
यूक्रेनी अधिकारियों और सैन्य विश्लेषकों का मानना है कि रूस आने वाले हफ्तों में एक बड़ा सैन्य हमला कर सकता है, जिसका मकसद कीव पर दबाव बढ़ाना और शांति वार्ता में अपनी शर्तें थोपना हो सकता है। उससे पहले NATO की यह मीटिंग इस संभावित हमले को रोकने के लिए कारगर और एक निर्णायक रणनीतिक जवाब हो सकती है।
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