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334 परमाणु बमों जितनी तबाही! म्यांमार में 7.7 तीव्रता का भूकंप, 1600 से ज्यादा मौतें

म्यांमार में 7.7 तीव्रता का भूकंप, 1,600 से ज्यादा मौतें। 334 परमाणु बमों जितनी ऊर्जा, थाईलैंड तक असर। बचाव कार्य जारी।
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28 मार्च 2025 को म्यांमार में आए 7.7 तीव्रता के भूकंप ने सदी की सबसे भयावह प्राकृतिक आपदा का रूप ले लिया। इस शक्तिशाली भूकंप ने म्यांमार और पड़ोसी देशों में भारी तबाही मचाई, जिसमें 1,600 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई, सैकड़ों घायल हुए और कई लापता हैं। भूवैज्ञानिकों के अनुसार, इस भूकंप की ऊर्जा 334 परमाणु बमों के बराबर थी, जिसने इसे बेहद खतरनाक और विनाशकारी बनाया। आइए इस आपदा के विभिन्न पहलुओं को समझते हैं।

334 परमाणु बमों जितनी ऊर्जा वाला था भूकंप

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, एक भूविज्ञानी जेस फीनिक्स ने बताया कि इस भूकंप ने 334 परमाणु बमों के बराबर ऊर्जा उत्सर्जित की। यह तुलना उस विनाशकारी शक्ति को दर्शाती है जो इस प्राकृतिक घटना में छिपी थी। एक अन्य भूकंपविज्ञानी ने इसे "पृथ्वी पर बड़े चाकू से वार" जैसा बताया। अमेरिकी भूगर्भीय सर्वेक्षण (USGS) के मुताबिक, भूकंप का केंद्र मांडले के पास था और इसकी गहराई 10 किलोमीटर थी।

बता दें कि 6:20 UTC पर शुरू हुए इस झटके के बाद 10 घंटों में 15 से ज्यादा आफ्टरशॉक्स आए, जिनमें 29 मार्च को 5.1 और 4.2 तीव्रता के झटके शामिल थे। यह ऊर्जा भारतीय टेक्टोनिक प्लेट और यूरोशियन प्लेट के टकराव का परिणाम थी, जिससे म्यांमार में भारी नुकसान हुआ।

म्यांमार में भयंकर था तबाही का मंजर

म्यांमार में इस भूकंप ने इमारतों को मलबे में बदल दिया। मांडले, नायपीडॉ, सागाइंग और क्याउकसे जैसे क्षेत्रों में सबसे ज्यादा असर देखा गया। म्यांमार की सैन्य सरकार के प्रमुख मिन आंग ह्लाइंग ने 29 मार्च तक 1,644 मौतों की पुष्टि की, जिसमें नायपीडॉ में 96, सागाइंग में 18 और क्याउकसे में 30 लोग शामिल थे। 732 से ज्यादा लोग घायल हुए और मरने वालों की संख्या बढ़ने की आशंका है। मांडले में कई इमारतें ढह गईं और नदी पर बना एक पुल पानी में समा गया। बचावकर्मी मलबे में फंसे लोगों को खोजने में जुटे हैं, लेकिन गृहयुद्ध और संचार सेवाओं के ठप होने से राहत कार्यों में मुश्किल हो रही है।

बैंकॉक में भी असर: 17 मौतें

भूकंप का प्रभाव पड़ोसी थाईलैंड तक पहुंचा। बैंकॉक में एक 30 मंजिला निर्माणाधीन इमारत चंद सेकंड में ढह गई, जिसमें 17 लोगों की मौत हो गई और 43 लोग लापता बताए जा रहे हैं। थाईलैंड और म्यांमार दोनों ने आपातकाल घोषित कर दिया है। बैंकॉक में अफरा-तफरी का माहौल है और राहत कार्य तेजी से चल रहे हैं।

राहत और बचाव प्रयास जारी

म्यांमार में विदेशी बचाव दलों ने अभियान शुरू किया है। चीन के युन्नान प्रांत से 37 सदस्यीय दल यांगून पहुंचा, जो ड्रोन, भूकंप चेतावनी प्रणाली और चिकित्सा सहायता के साथ मदद कर रहा है। भारत भी हर संभव सहायता प्रदान कर रहा है। हालांकि, म्यांमार के भीतरी इलाकों में पहुंचना चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि सड़कें और संचार नेटवर्क तबाह हो चुके हैं।

क्या इससे भी बड़ा भूकंप आने वाला?

जेस फीनिक्स ने चेतावनी दी कि भारतीय और यूरोशियन प्लेटों के टकराव के कारण इस क्षेत्र में महीनों तक आफ्टरशॉक्स का खतरा बना रहेगा। 29 मार्च को आए 5.1 और 4.2 तीव्रता के झटकों ने इस आशंका को बल दिया। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह सदी का सबसे शक्तिशाली भूकंप था, जिसने म्यांमार को लंबे समय तक प्रभावित करने वाला नुकसान पहुंचाया है।

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