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'कचरे' ने बदल दी ट्रंप की किस्‍मत, जानें कमला हैरिस की हार के पीछे की असली कहानी

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप ने कमला हैरिस को बड़ी शिकस्त दी है। बाइडेन सरकार की खराब नीतियां, कम समय में चुनाव प्रचार और ट्रंप की मजबूत चुनावी रणनीति कमला हैरिस की हार के मुख्य कारण थे।
03:11 PM Nov 06, 2024 IST | Vibhav Shukla

US Election 2024: अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप ने कमला हैरिस को बड़ी शिकस्त दी है, और अब वे अगले राष्ट्रपति बनने की ओर बढ़ रहे हैं। यह चुनाव पहले काफी दिलचस्प माना जा रहा था, जहां ट्रंप और हैरिस के बीच कांटे की टक्कर की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। खासकर उन स्विंग स्टेट्स में, जिन्हें चुनावी दृष्टि से निर्णायक माना जाता है, वहां ट्रंप को बंपर समर्थन मिला और वे आसानी से जीत की ओर बढ़ते दिखे। इस हार के पीछे क्या कारण हैं? चलिए, जानते हैं कि कमला हैरिस आखिर क्यों चुनावी जंग हार गईं।

सत्ता विरोधी लहर का असर

कमला हैरिस, जो राष्ट्रपति जो बाइडेन के उपराष्ट्रपति पद की भूमिका में थीं, उनके सामने कई बड़ी चुनौतियां आईं। बाइडेन प्रशासन की घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय नीतियों में लगातार गिरावट देखी गई। घरेलू मोर्चे पर महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दे थे, जिन पर बाइडेन प्रशासन को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। वहीं, अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर इजरायल-हमास युद्ध और रूस-यूक्रेन युद्ध पर बाइडेन के रुख को लेकर भी बहुत सवाल उठे। ऐसे में उनके नेतृत्व पर सवाल उठने लगे और इस हद तक बढ़ी स्थिति ने कमला हैरिस की राजनीतिक छवि को भी प्रभावित किया।

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हैरिस को अपनी पहली पब्लिक डिबेट में डोनाल्ड ट्रंप के मुकाबले कमजोर देखा गया। यही नहीं, ट्रंप ने अपनी ताकत से लोगों को यह विश्वास दिलाया कि अगर वे सत्ता में आए, तो ये युद्ध खत्म हो सकते हैं और अमेरिका की अंतर्राष्ट्रीय साख फिर से मजबूत हो सकती है। ट्रंप के कार्यकाल में बेरोजगारी और महंगाई में कमी आई थी, जबकि बाइडेन प्रशासन में हालात लगातार बिगड़े थे।

कम समय में चुनावी प्रचार की चुनौती

जो बाइडेन के चुनाव से हटने की घोषणा के बाद, कमला हैरिस को चुनावी प्रचार करने का बहुत कम वक्त मिला। बाइडेन के चुनाव से हटने की घोषणा के समय सिर्फ तीन महीने का समय था, जबकि डोनाल्ड ट्रंप चार साल से सत्ता से बाहर होने के बावजूद लगातार रिपब्लिकन पार्टी के नेता बने हुए थे। उनका पार्टी के भीतर कोई खास विरोध नहीं था और वे लगातार एक मजबूत उम्मीदवार के तौर पर उभरे।

कचरे की बात ने पलटी मार दी

चुनाव के बीच एक बड़ा मुद्दा तब उठा जब जो बाइडेन ने डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों को 'कचरा' कह दिया। इस बयान ने न केवल बाइडेन की छवि को नुकसान पहुंचाया, बल्कि डेमोक्रेटिक पार्टी के भीतर भी अव्यवस्था फैल गई। कमला हैरिस को इस विवाद से खुद को अलग करना पड़ा, जबकि डोनाल्ड ट्रंप ने इस बयान को एक भावनात्मक मुद्दे के तौर पर उठाया और इसे अमेरिकी अस्मिता से जोड़ दिया। ट्रंप ने जनता से यह कहा कि यह अमेरिका की पहचान से जुड़ा मामला है और उन्होंने खुद को उनके अधिकारों की रक्षा करने वाला नेता साबित किया।

इमीग्रेशन का मुद्दा: ट्रंप का मजबूत चुनावी कार्ड

डोनाल्ड ट्रंप ने इमीग्रेशन को चुनावी मुद्दा बनाकर बड़ी सफलता प्राप्त की। उनका कहना था कि अगर वे सत्ता में आए, तो वे एक करोड़ अवैध प्रवासियों को अमेरिका से बाहर करेंगे और सीमा को पूरी तरह से सील कर देंगे। ट्रंप ने पहले अपने कार्यकाल में मेक्सिको सीमा पर दीवार बनाने का वादा किया था और इसके लिए काम भी किया था। उन्होंने यह संदेश दिया कि अमेरिका की समृद्धि और विकास पर पहले हक सिर्फ अमेरिकियों का होना चाहिए।

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इस मुद्दे ने श्वेत, वर्किंग क्लास अमेरिकियों को प्रभावित किया, जो चाहते थे कि उनके देश में अवैध इमीग्रेशन की समस्या खत्म हो। वहीं, कमला हैरिस ने महिला अधिकारों पर खासकर गर्भपात के मुद्दे पर अपनी बात रखी, लेकिन वह इस मुद्दे के दम पर चुनावी जीत नहीं पा सकीं। बाइडेन की उदारवादी नीतियां, खासकर इमीग्रेशन के मामले में, हैरिस के लिए नुकसान का कारण बनीं।

ट्रंप को मिला भावनात्मक समर्थन

चुनाव प्रचार के दौरान डोनाल्ड ट्रंप पर जानलेवा हमले की दो बार कोशिश की गई, और मीडिया ट्रायल के कारण अमेरिकी जनता में उनके प्रति सहानुभूति का माहौल बना। लोग महसूस करने लगे थे कि ट्रंप उनके लिए लड़ रहे हैं, लेकिन उनके खिलाफ हो रही सभी कोशिशों के बावजूद वे हार मानने वाले नहीं हैं। उनकी यह छवि लोगों के दिलों में बैठी, खासकर उन अमेरिकियों के बीच जो अपनी रोज़ी-रोटी की चिंता करते थे।

एलन मस्क जैसे समर्थकों ने भी ट्रंप के पक्ष में आवाज़ उठाई और यह संदेश दिया कि यह चुनाव अमेरिकी जनता के लिए एक आखिरी मौका हो सकता है। उनका कहना था कि अगर इस बार डेमोक्रेटिक पार्टी जीती, तो स्विंग स्टेट्स में एक बार फिर प्रवासी वोटों के कारण चुनावी परिणाम बदल सकते हैं, जिससे रिपब्लिकन के लिए चुनाव जीतना कठिन हो जाएगा।

स्विंग स्टेट्स ने किया कमाल

अमेरिका में 50 राज्य होते हैं, जिनमें से 43 राज्य पहले से तय होते हैं कि वे किसे वोट देंगे। कुछ राज्य 1980 से लगातार डेमोक्रेटिक या रिपब्लिकन को ही समर्थन देते आए हैं। लेकिन सात राज्य ऐसे होते हैं जिन्हें 'स्विंग स्टेट्स' कहा जाता है, जो हर चुनाव में अपना रुख बदल सकते हैं। इस बार इमीग्रेशन और अन्य मुद्दों के कारण इन सात स्विंग स्टेट्स में ट्रंप को विशेष समर्थन मिला, जो उनकी जीत की प्रमुख वजह बन गया।

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एलन मस्क की यह बात लोगों के दिमाग में गहरे बैठ गई कि अगर इस बार कमला हैरिस की पार्टी जीती, तो स्विंग स्टेट्स में प्रवासियों की संख्या इतनी बढ़ जाएगी कि डेमोक्रेटिक पार्टी का दबदबा हमेशा के लिए कायम हो सकता है।

ट्रंप ने जीत के बाद आभार व्यक्त किया

डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद उनके विजयी भाषण में उन्होंने एलन मस्क का आभार व्यक्त किया, जिनकी मदद से चुनावी परिणाम को प्रभावित किया गया। इस चुनाव में इमीग्रेशन और कमला हैरिस के खिलाफ जनता की बढ़ती नाराजगी ने डोनाल्ड ट्रंप को एक मजबूत उम्मीदवार के तौर पर उभारा।

इस बार के अमेरिकी चुनाव में कमला हैरिस की हार ने यह साबित कर दिया कि चुनावी जीत के लिए सिर्फ नीतियां ही नहीं, बल्कि समय और परिस्थिति का भी खास महत्व होता है।

 

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