नेशनलराजनीतिमनोरंजनखेलहेल्थ & लाइफ स्टाइलधर्म भक्तिटेक्नोलॉजीइंटरनेशनलबिजनेसआईपीएल 2025चुनाव

"लोकतंत्र खतरे में नहीं, बल्कि मजबूत हो रहा है"–जयशंकर ने म्यूनिख में दिया करारा जवाब

म्यूनिख सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस में एस. जयशंकर ने लोकतंत्र पर उठे सवालों को खारिज करते हुए कहा कि भारत में लोकतंत्र पहले से ज्यादा मजबूत है।
12:37 PM Feb 15, 2025 IST | Rohit Agrawal

म्यूनिख, जर्मनी: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने म्यूनिख सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस में वैश्विक लोकतंत्र को लेकर उठाए जा रहे सवालों का बेबाकी से जवाब दिया है। जब पैनल के कुछ सदस्यों ने कहा कि दुनियाभर में लोकतंत्र संकट में है, तो जयशंकर ने इसे सिरे से खारिज करते हुए कहा कि भारत जैसे देशों में लोकतंत्र पहले से कहीं अधिक जीवंत और मजबूत हो रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि किस तरह भारत में बड़े पैमाने पर निष्पक्ष चुनाव कराए जाते हैं। जिनमें जनता की भागीदारी लगातार बढ़ती जा रही है।

उंगली पर लगा स्याही का निशान दिखा कर दिया लोकतंत्र की सक्रियता का प्रमाण

म्यूनिख सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस के'लाइव टू वोट अनदर डे: फोर्टिफाइंग डेमोक्रेटिक रेजिलिएंस' पैनल चर्चा में जब लोकतंत्र के भविष्य पर सवाल उठे, तो जयशंकर ने अपनी बात स्पष्ट शब्दों में रखते हुए कहा कि वह लोकतंत्र को लेकर पूरी तरह आशावादी हैं। अपने तर्क को मजबूती देने के लिए उन्होंने हाल ही में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव का उदाहरण दिया। उन्होंने मंच पर अपनी उंगली पर लगी मतदान की स्याही दिखाते हुए कहा—

जयशंकर ने आगे बताया कि पिछले साल भारत में हुए राष्ट्रीय चुनाव में 90 करोड़ मतदाताओं में से लगभग 70 करोड़ लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। इतना ही नहीं, चुनावों की गिनती एक ही दिन में पूरी कर ली गई और इसके नतीजे भी बिना किसी विवाद के स्वीकार किए गए।

लोकतंत्र खतरे में? मैं इससे सहमत नहीं

जब पैनल के कुछ सदस्यों ने दावा किया कि लोकतंत्र दुनियाभर में संकट में है, तो जयशंकर ने इस धारणा को गलत बताया। उन्होंने कहा कि आज, दशकों पहले की तुलना में 20 प्रतिशत अधिक लोग मतदान कर रहे हैं, जो लोकतंत्र के मजबूती की निशानी है। "अगर कोई यह कहता है कि लोकतंत्र संकट में है, तो मैं इससे पूरी तरह असहमत हूं। लोकतंत्र अच्छे से काम कर रहा है, मतदान की प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी है। हमारे देश में लोकतंत्र न केवल जीवंत है, बल्कि यह परिणाम भी दे रहा है।" हालांकि, उन्होंने माना कि लोकतंत्र के सामने चुनौतियां जरूर हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि यह संकट में है। उन्होंने कहा कि हर देश की अपनी परिस्थितियां होती हैं, और लोकतंत्र इन चुनौतियों से निपटने में सक्षम है।

यह भी पढ़ें : पीएम मोदी से मिले एलोन मस्क, स्टरलिंक को मिल सकती है भारत में एंट्री

हमारा लोकतंत्र भोजन भी देता है : जयशंकर प्रसाद

सीनेटर एलिसा स्लोटकिन द्वारा लोकतंत्र पर दिए गए बयान कि "लोकतंत्र आपके भोजन की थाली नहीं भरता", पर प्रतिक्रिया देते हुए जयशंकर ने कहा, "मेरे देश में, लोकतंत्र वास्तव में भोजन की थाली भरने का काम भी करता है। हम एक लोकतांत्रिक समाज हैं और यही कारण है कि हम करोड़ों लोगों को पोषण देने में भी सहायता प्रदान करते हैं। यह केवल भूख मिटाने की बात नहीं है, बल्कि यह स्वास्थ्य और कल्याण से भी जुड़ा मामला है।

पश्चिमी देशों की दोहरी नीति पर उठाए सवाल

जयशंकर ने पश्चिमी देशों की उस सोच को भी आड़े हाथों लिया, जिसमें लोकतंत्र को सिर्फ एक "पश्चिमी विशेषता" मान लिया जाता है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र कोई विशिष्ट सभ्यता या क्षेत्र तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक वैश्विक मूल्य है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग यह मानते हैं कि लोकतंत्र केवल पश्चिमी देशों की पहचान है, लेकिन भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। हमारे लिए लोकतंत्र सिर्फ एक शासन प्रणाली नहीं, बल्कि यह हमारे जीवन का हिस्सा है।"

Tags :
Democracy in IndiaForeign PolicyGlobal DemocracyIndian ElectionsMunich Security ConferenceS JaishankarVoting RightsWestern Bias

ट्रेंडिंग खबरें

Next Article