पहले भारत नहीं, ब्रिटेन बनेगा इस्लामिक मुल्क? ईसाई धर्मगुरु की चेतावनी से मचा हड़कंप, रिपोर्ट ने बढ़ाई टेंशन!
ब्रिटेन में 2021 की जनगणना ने मुस्लिम आबादी में बड़े विस्फोट का ऐसा खुलासा हुआ है, जिसने सियासी और सामाजिक तूफान खड़ा कर दिया है। दरअसल किंग चार्ल्स के ईस्टर संदेश में इस्लाम की तारीफ और जेलों में मुस्लिम गैंग्स की सक्रियता ने “ब्रिटेन इस्लामिक राष्ट्र बन रहा है” की बहस को हवा दे दी है। बता दें कि कुछ लोग इसे तुष्टिकरण कह रहे हैं, तो कुछ इस्लामोफोबिया का आरोप लगा रहे हैं। वहीं इसको लेकर X पर “गजवा-ए-हिंद” से जोड़कर भारत के लिए चेतावनी दी जा रही है। आइए, इस पूरे मसले को सरल अंदाज में विस्तार से समझें!
ब्रिटेन में मुस्लिम आबादी पर क्या कहते हैं आंकड़े?
2021 की जनगणना के अनुसार, ब्रिटेन की 6.6 करोड़ आबादी में मुस्लिम 39 लाख (6.5%) हैं, जो 2011 के 27 लाख से बड़ा उछाल है। ग्रेटर लंदन में 15% (10 लाख ) और यॉर्कशायर-हंबर में 10% मुस्लिम हैं। प्यू रिसर्च का अनुमान है कि 2050 तक यह 11% हो सकता है, जबकि ईसाई आबादी 45% तक सिमट सकती है। लंदन के मेयर सादिक खान, न्यूहैम में रुखसाना फयाज जैसे मुस्लिम नेताओं का सियासी दबदबा बढ़ा है।
विषय | आंकड़े / विवरण |
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ब्रिटेन की कुल जनसंख्या (2021) | 6.6 करोड़ |
मुस्लिम आबादी | 39 लाख (6.5%) — 2011 में 27 लाख (4.9%) |
2050 तक अनुमानित मुस्लिम प्रतिशत | 11% |
ईसाई आबादी | 46.2% — पहले 59% |
"कोई धर्म नहीं" चुनने वाले | 37.2% |
मस्जिदों की संख्या | 1800 |
शरिया काउंसिल | 30 |
ब्रिटिश जेलों में मुस्लिम कैदी | 2002 में 5,500 → 2024 में 16,000 |
2024 में मुस्लिम विरोधी घटनाएं | 5,837 (2023 में 3,767 से बढ़कर) |
लंदन के मुस्लिम मेयर | सादिक खान (तीसरी बार) |
अन्य मुस्लिम मेयर | रुखसाना फयाज (न्यूहैम), लुत्फुर रहमान (टावर हैमलेट), लुबना अरशद (ऑक्सफोर्ड) |
किंग चार्ल्स का ईस्टर बयान | इस्लाम की तारीफ, धार्मिक विविधता का सम्मान |
किंग चार्ल्स के बयान के क्या हैं मायने?
किंग चार्ल्स, “डिफेंडर ऑफ फेथ” होने के नाते, ने 2025 के ईस्टर संदेश में इस्लाम और यहूदी धर्म की तारीफ की, जिसे विविधता का सम्मान बताया गया। आलोचकों ने ईसाई त्योहार पर इस्लाम की चर्चा को अनुचित माना, जबकि समर्थकों और ऋषि सुनक ने इसे ब्रिटेन की विविधता की सराहना कहा। बता दें कि यह बयान तब आया है जब ब्रिटेन में ईसाई आबादी 46.2% और “कोई धर्म नहीं” चुनने वालों की संख्या 37.2% हो गई है।
जेलों में शरिया का साया?
ब्रिटिश जेलों में मुस्लिम प्रभाव की खबरों ने चिंता बढ़ाई है। 2002 में 5,500 मुस्लिम कैदी थे, जो 2024 में 16,000 हो गए। “मुस्लिम ब्रदरहुड” जैसे गैंग्स कट्टरपंथ, ड्रग्स तस्करी और शरिया नियम लागू करने की कोशिश में बताए जाते हैं। इसको लेकर विशेषज्ञ कहते हैं कि कट्टरपंथ हर समुदाय में है, इसे सिर्फ इस्लाम से जोड़ना गलत है।
कट्टरता vs इस्लामोफोबिया: दो ध्रुवों की जंग
ब्रिटेन में मुस्लिम आबादी के साथ कट्टरपंथ और इस्लामोफोबिया दोनों बढ़े। गाजा संकट के बाद कट्टर इस्लामी बयानबाजी तेज हुई। वहीं टेलमामा की 2024 रिपोर्ट में मुस्लिम विरोधी घटनाएं 5,837 तक पहुंचीं। भारत में कुछ सोशल मीडिया यूजर्स इसे “गजवा-ए-हिंद” से जोड़कर सांप्रदायिक एंगल निकाल रहे हैं, जो एक कथित साजिश का दावा है।
ब्रिटेन में मुस्लिमों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
बता दें कि मुस्लिमों का ब्रिटेन में आगमन 17वीं सदी से शुरू हुआ, और 20वीं सदी में प्रवास ने इसे बढ़ाया। भारत की तरह, ब्रिटेन में भी “वोट बैंक” के लिए तुष्टिकरण के आरोप लगते रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जनसांख्यिकीय बदलाव प्रवास और जन्मदर का नतीजा है। प्यू रिसर्च के अनुसार, मुस्लिमों की जन्मदर (2.4) ईसाइयों (1.8) से ज्यादा है।
क्या ब्रिटेन “इस्लामिक राष्ट्र” बनेगा?
अभी फ़िलहाल के लिए तो “इस्लामिक राष्ट्र” का दावा अतिशयोक्ति लगता है। वरन् 6.5% मुस्लिम आबादी के साथ ब्रिटेन का धर्मनिरपेक्ष ढांचा मजबूत है। 2050 में 11% होने पर भी मुस्लिम अल्पसंख्यक रहेंगे। ईसाई आबादी घटने का कारण कम जन्मदर और “कोई धर्म नहीं” (37.2%) चुनने वालों की वृद्धि है। भारत में “गजवा-ए-हिंद” जैसे नारे सांप्रदायिक तनाव का औजार हैं, और ब्रिटेन की स्थिति को गलत संदर्भ में पेश किया जा रहा है।
भारत के लिए सबक?
सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने दावा किया कि ब्रिटेन में “शरिया अदालतें” और “8-10 बच्चों” वाले परिवार आम हैं, जो अतिशयोक्ति है। शरिया काउंसिल सिर्फ पारिवारिक मामलों तक सीमित हैं। भारत में “गजवा-ए-हिंद” जैसे नारे सांप्रदायिक तनाव भड़काने का हथियार हैं। ऐसी बयानबाजी से सावधान रहने की जरूरत है।
गजवा-ए-हिंद क्या है?
गजवा-ए-हिंद कुछ मुस्लिम हदीसों में उल्लिखित एक विवादास्पद अवधारणा है, जिसका अर्थ है भारत में युद्ध के जरिए इस्लाम की स्थापना। “गजवा” यानी इस्लाम के लिए लड़ा गया युद्ध, और “हिंद” यानी भारत। इसे सुनन अन-नसाई जैसी किताबों में दर्ज हदीसों से जोड़ा जाता है, जहां पैगंबर मोहम्मद के हवाले से भारत पर इस्लामी विजय की बात कही गई है। कुछ विद्वान मानते हैं कि यह 8वीं सदी में मुहम्मद बिन कासिम के सिंध अभियान में पूरा हो चुका, जबकि कट्टरपंथी इसे भविष्य का लक्ष्य मानते हैं। भारत में यह शब्द सांप्रदायिक तनाव भड़काने के लिए काफ़ी इस्तेमाल होता है।
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