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मिडिल-ईस्ट में हुआ खेला, 6 साल बाद ईरान-अमेरिका आमने-सामने, ओमान में हुई सीक्रेट बातचीत

6 साल बाद ईरान-अमेरिका के बीच ओमान में सीक्रेट मीटिंग हुई, ढाई घंटे चली बातचीत को दोनों पक्षों ने सकारात्मक बताया।
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6 साल बाद ईरान और अमेरिका के बीच फिर से न्यूक्लियर प्रोग्राम पर बातचीत शुरू हुई है। इस बातचीत का आयोजन ओमान ने कराया, जहां दोनों देशों के प्रतिनिधि मस्कट में मिले। यह पहली बार था जब इतने लंबे समय बाद इतनी ऊंचे स्तर की बातचीत हुई।

करीब ढाई घंटे तक चली इस मीटिंग में दोनों देशों ने कहा कि बातचीत “रचनात्मक” रही और आगे फिर से मिलने पर भी सहमति बनी है। अमेरिका ने कहा कि डायरेक्ट बातचीत सही रास्ता है।

हालांकि बातचीत पूरी तरह सीधे तरीके से नहीं हुई। दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल अलग-अलग कमरों में बैठे थे और ओमान के विदेश मंत्री बद्र बिन हमाद अल-बुसैदी ने बीच में संदेशों का आदान-प्रदान कराया।

इस बीच, कुछ देर के लिए ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची और अमेरिकी प्रतिनिधि स्टीव विटकॉफ ने अल-बुसैदी की मौजूदगी में आमने-सामने भी बात की। यह छोटा सा पल था, लेकिन बहुत अहम माना जा रहा है।

सकारात्मक रही बातचीत

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खास दूत स्टीवन विटकोफ ओमान पहुंचे, जहां उन्होंने मस्कट में ईरान के विदेश मंत्री डॉ. अब्बास अराघची से मुलाकात की। उनके साथ अमेरिकी राजदूत एना एस्क्रोगिमा भी थीं। इस बातचीत की मेजबानी ओमान के विदेश मंत्री सैद बद्र ने की।

बातचीत का माहौल काफी सकारात्मक और रचनात्मक रहा। अमेरिका ने इस बातचीत के लिए ओमान की सरकार का शुक्रिया अदा किया है। खास दूत विटकोफ ने डॉ. अराघची से कहा कि उन्हें राष्ट्रपति ट्रंप ने दो देशों के बीच मतभेदों को बातचीत और कूटनीति से सुलझाने के निर्देश दिए हैं।

विटकोफ ने माना कि जिन मुद्दों पर चर्चा हो रही है, वो काफी पेचीदा हैं। इसके बावजूद, आज की सीधी बातचीत एक अच्छा कदम रही। दोनों देशों के प्रतिनिधि अगले शनिवार को फिर से मिलने पर राजी हुए हैं।

ईरान भी रहा इस वार्ता को लेकर पॉजिटिव

ईरान के मुख्य वार्ताकार अब्बास अरागची ने एक टीवी प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि पहली बैठक काफी सकारात्मक रही। उन्होंने कहा कि बातचीत एक शांत और सम्मानजनक माहौल में हुई, और किसी भी पक्ष ने आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल नहीं किया। उन्होंने यह भी इशारा किया कि अमेरिकी टीम ने बातचीत के दौरान राष्ट्रपति की उन पुरानी धमकियों को नहीं दोहराया, जिसमें कहा गया था कि अगर बातचीत नाकाम रही तो ईरान को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।

समझें इसकी पृष्ठभूमि 

साल 2018 में उस वक्त के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका को ईरान और बड़ी वैश्विक ताकतों के बीच 2015 में हुए परमाणु समझौते से बाहर निकाल लिया था। ट्रंप का कहना था कि वह इस समझौते से बेहतर कोई नई डील करेंगे। अब जो बातचीत हो रही है, उसे उसी दिशा में पहला कदम माना जा रहा है। 2015 के बाद से अमेरिका और ईरान के बीच यह सबसे अहम बातचीत मानी जा रही है।

कब होगी अगली बैठक

ईरान के वरिष्ठ राजनयिक अरागची ने कहा है कि जो बातचीत अगले हफ्ते होनी है, वो शायद ओमान में न हो, लेकिन बातचीत की मध्यस्थता ओमान ही करेगा। वहीं, व्हाइट हाउस ने पुष्टि की है कि यह मुलाकात शनिवार को तय है।

अरागची ने यह भी साफ किया कि न तो ईरान और न ही दूसरा पक्ष ऐसी बातचीत चाहता है जो सिर्फ समय बर्बाद करे या बिना किसी नतीजे के लंबे समय तक चलती रहे। इससे पहले भी अरागची कह चुके हैं कि ईरान एक “निष्पक्ष समझौता” चाहता है।

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