ट्रंप ने कसी चूड़ियां तो कश्मीर पर जहर उगलते खामेनेई को आई भारत की याद, समझें पूरा मामला
डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ युद्ध ने दुनिया के कई बड़े देशों की हालत पतली कर दी है। ईरान भी उसी लिस्ट में आ गया है। कुछ वक्त पहले तक जो ईरानी सुप्रीम लीडर भारत को कश्मीर और मुसलमानों के मुद्दे पर घेर रहे थे, अब वही भारत की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ा रहे हैं।
ट्रंप की आर्थिक नीतियों से अपनी अर्थव्यवस्था को झटका लगते देख, ईरान अब एशियाई देशों की ओर झुक रहा है। खासकर भारत, चीन और रूस के साथ व्यापार बढ़ाने की कोशिश में है। ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खामेनेई ने खुद कहा कि अब तेहरान को एशिया के बड़े आर्थिक केंद्रों के साथ मजबूत रिश्ते बनाने चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
एक्स पर कही ये बात
ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक अहम बात कही है। उन्होंने लिखा कि ईरान को अपने पड़ोसी देशों के साथ व्यापार बढ़ाना चाहिए और इन रिश्तों को मजबूत करना चाहिए। खामेनेई ने खासतौर पर चीन, रूस और भारत जैसे एशियाई देशों का ज़िक्र किया, जो इस क्षेत्र के बड़े आर्थिक केंद्र माने जाते हैं। उनका कहना है कि इन देशों के साथ व्यापार को और आसान बनाया जाना चाहिए।
खामेनेई का ये बयान ऐसे वक्त में आया है जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन को छोड़कर बाकी कई देशों पर लगाए गए टैरिफ को 90 दिनों के लिए टाल दिया है। इन 90 दिनों में उन देशों को अमेरिका के साथ व्यापार को लेकर बातचीत करने का मौका दिया गया है।
भारत के साथ आर्थिक रिश्ते मजबूत करना चाहता है ईरान
ईरान से मिल रही ताज़ा जानकारी के मुताबिक, वहां के विदेश मंत्री अब्बास अराघची जल्द ही भारत का दौरा करने वाले हैं। बताया जा रहा है कि इस दौरे का मकसद दोनों देशों के बीच कारोबार को बढ़ावा देना है। ईरान के सरकारी टीवी चैनल ने बताया कि उनके सर्वोच्च नेता ने न्यूक्लियर डील पर अमेरिका के साथ हुई पहली बातचीत को "अच्छा" बताया है। यह उनकी इस मुद्दे पर पहली सार्वजनिक प्रतिक्रिया थी।
दिलचस्प बात ये है कि जब अमेरिका ने ईरान पर दबाव बढ़ाया, तो अब खामेनेई को भारत की अहमियत फिर से याद आ रही है। जबकि पिछले साल उन्होंने भारत पर निशाना साधते हुए कहा था कि यहां मुसलमानों की हालत ठीक नहीं है। उनका कहना था, "अगर हम म्यांमार, गाजा, भारत या किसी भी जगह मुसलमानों की तकलीफों से बेखबर हैं, तो हम खुद को मुसलमान नहीं कह सकते।" भारत सरकार ने उस समय खामेनेई की बातों का जवाब देते हुए साफ कहा था कि ये बयान गलत जानकारी पर आधारित है और पूरी तरह से अस्वीकार्य है।
चाबहार बंदरगाह ईरान में मौजूद
भारत और ईरान के बीच हमेशा से अच्छे रिश्ते रहे हैं। पिछले साल मई में दोनों देशों ने एक अहम समझौता किया था। इसके तहत भारत और ईरान ने चाबहार बंदरगाह को मिलकर अगले 10 सालों तक विकसित करने और उसका संचालन करने पर सहमति दी थी। यह बंदरगाह ईरान के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में स्थित है। भारत इस बंदरगाह का इस्तेमाल अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए कर रहा है। इससे भारत को पाकिस्तान के कराची और ग्वादर बंदरगाहों से बचकर सीधे रास्ता मिल जाता है।
हालांकि, ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खामेनेई भारत में मुसलमानों और कश्मीर को लेकर कई बार तीखी बातें कह चुके हैं, जिससे रिश्तों में थोड़ी खटास आई थी। इसी साल मार्च में ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव अब्दुल हुसैन खोसरो पनाह भारत आए थे। उनके एक हफ्ते के दौरे के दौरान भारत ने खामेनेई के बयानों पर अपनी नाराज़गी जताई और दोनों देशों ने आपसी भरोसा बढ़ाने पर चर्चा की।
भारत और ईरान के बीच कैसे है ट्रेड रिलेशन ?
भारत और ईरान के बीच का व्यापार जियो-पॉलिटिक्स की वजह से हमेशा प्रभावित हुआ है। 2022-23 में दोनों देशों के बीच का व्यापार केवल 2.33 अरब डॉलर था, जबकि 2018-19 में यह व्यापार 17 अरब डॉलर तक पहुंच गया था। ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते, दोनों देशों के कारोबार पर असर पड़ा है। ट्रंप के दौरान लगे प्रतिबंधों के कारण भारत को ईरान से तेल खरीदना बंद करना पड़ा था। हालांकि, अमेरिकी दबाव के बावजूद भारत और ईरान के बीच चावल, सोयाबीन और केले का व्यापार लगातार चलता रहा है।
ईरान का चाबहार पोर्ट भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। भारत ने अमेरिकी धमकियों को नकारते हुए पिछले साल 10 साल के लिए एक समझौता किया। भारत चाबहार बंदरगाह के विकास में बहुत निवेश कर रहा है, खासकर शाहिद बेहेश्टी बंदरगाह पर। इसके अलावा, दोनों देशों के बीच नए व्यापार रास्ते भी खोजे जा रहे हैं, जिसमें भारत की कोशिश है कि अमेरिकी प्रतिबंधों को दरकिनार करके व्यापार किया जाए।