‘तुरंत छोड़ दें अमेरिका’– US में रह रहे भारतीय छात्रों को आ रहे ईमेल, आखिर क्यों?
अमेरिका में पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्रों के लिए हाल के दिन मुश्किल भरे हो गए हैं। कई छात्रों को ईमेल मिल रहे हैं, जिसमें उनका वीजा रद्द होने की बात कही जा रही है और उन्हें तुरंत देश छोड़ने का आदेश दिया जा रहा है। वजह? ओवरस्पीडिंग, शराब पीकर गाड़ी चलाना और चोरी जैसे मामूली अपराध। पहले ऐसे मामलों में जुर्माना भरने या कानूनी निपटारे के बाद बात खत्म हो जाती थी, लेकिन अब इन छोटे-मोटे अपराधों को आधार बनाकर वीजा कैंसिल किया जा रहा है। यह सख्ती पहले कभी नहीं देखी गई। आखिर क्यों हो रहा है ऐसा, और भारतीय छात्रों के बीच डर का माहौल क्यों बन गया है? आइए, इसे आसान भाषा में समझते हैं।
मामूली अपराध पर इतनी बड़ी सजा क्यों?
अमेरिका में भारतीय छात्रों को ओवरस्पीडिंग जैसे ट्रैफिक उल्लंघन, शराब पीकर गाड़ी चलाने (DUI), या छोटी-मोटी चोरी (शॉपलिफ्टिंग) जैसे मामलों में फंसने के बाद अब वीजा रद्द होने का सामना करना पड़ रहा है। मिसाल के तौर पर, एक छात्र का दो महीने पहले ओवरस्पीडिंग का चालान कटा था। उसने जुर्माना भरा, मामला निपट गया, लेकिन अब उसी आधार पर उसका वीजा कैंसिल कर दिया गया। इसी तरह, टेक्सास में एक छात्र ने वॉलमार्ट में 144 डॉलर का सामान स्कैन करना भूल गया, जिसे चोरी माना गया। केस खारिज होने के बावजूद उसे भी देश छोड़ने का नोटिस मिला। ऐसे दर्जनों मामले सामने आए हैं, जहां कानूनी निपटारा होने के बाद भी छात्रों का SEVIS रिकॉर्ड खत्म कर दिया गया।
SEVIS और वीजा रद्द होने का क्या है मतलब?
SEVIS यानी स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विजिटर इन्फॉर्मेशन सिस्टम, जो अंतरराष्ट्रीय छात्रों का डेटाबेस है। जब यह रिकॉर्ड समाप्त होता है, तो छात्र का F-1 वीजा स्टेटस खत्म हो जाता है। ईमेल में साफ लिखा होता है—आपका I-20 फॉर्म (जो छात्र की पढ़ाई और स्टेटस को वैध बनाता है) अब मान्य नहीं, और न ही आपका EAD (रोजगार का अधिकार)।
इसका मतलब, छात्र न तो अमेरिका में रह सकता है, न पढ़ाई कर सकता है, न काम। उसे तुरंत देश छोड़ना पड़ता है, वरना हिरासत और डिपोर्टेशन का खतरा है। 'टाइम्स ऑफ इंडिया' के मुताबिक, ऐसे ईमेल टेक्सास, मिसौरी, नेब्रास्का जैसे राज्यों में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों को मिले हैं, जिनमें हैदराबाद के छात्र भी शामिल हैं।
छात्रों ने डर-डरकर क्या सुनाई आपबीती?
यह सख्ती भारतीय छात्रों के बीच डर का सबब बन गई है। एक छात्र ने बताया कि दो साल पहले न्यूयॉर्क में उसे स्पीडिंग टिकट मिला था। जुर्माना भरने के बाद सब ठीक था, लेकिन अब वही पुराना केस उसके वीजा रद्द होने की वजह बन गया। मिसौरी के एक IT मास्टर्स छात्र को DUI केस में इग्निशन लॉक लगा था। उसने सारी शर्तें पूरी कीं, फिर भी वीजा रद्द हो गया। टेक्सास के छात्र ने कहा कि वॉलमार्ट में उसकी एक गलती को कोर्ट ने माफ कर दिया था, पर अब उसे नोटिस मिला है। छात्रों का कहना है कि पुराने और निपट चुके केसों को आधार बनाना समझ से परे है।
पहले ऐसा क्यों नहीं होता था?
इमिग्रेशन वकील चंद परावथनेनी के मुताबिक, यह स्थिति बेहद दुर्लभ है। पहले मामूली अपराधों पर SEVIS रद्द नहीं होता था। ओवरस्पीडिंग या छोटी चोरी जैसे मामले आम तौर पर वीजा स्टेटस को प्रभावित नहीं करते थे, खासकर तब, जब केस निपट चुका हो। लेकिन अब अमेरिकी प्रशासन की नीति सख्त हो गई है।
यूएस एडमिशन्स कंसल्टेंट रवि लोथुमल्ला कहते हैं कि ये अपराध अमेरिका में गंभीर माने जाते हैं, और छात्रों को पहले से इसकी जानकारी दी जाती है। मगर अब इनका इस्तेमाल वीजा रद्द करने के लिए हो रहा है, जो नया ट्रेंड है।
क्या है इसके पीछे की वजह?
बता दें कि इस सख्ती के पीछे अमेरिकी प्रशासन की नई इमिग्रेशन नीतियां हो सकती हैं। मार्च 2025 में भी कैंपस एक्टिविज्म (जैसे इजरायल-हमास विरोध प्रदर्शन) में शामिल छात्रों के वीजा रद्द हुए थे, तब सोशल मीडिया पोस्ट तक को आधार बनाया गया था। अब मामूली अपराधों पर कार्रवाई से लगता है कि ट्रंप प्रशासन अवैध प्रवास और नियमों के उल्लंघन पर जीरो टॉलरेंस नीति अपना रहा है। भारतीय छात्र, जो 2023-24 में 3.31 लाख की संख्या के साथ अमेरिका में बड़े समूह हैं, इसकी चपेट में आ रहे हैं। कुछ जानकार इसे राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून व्यवस्था से जोड़ते हैं, तो कुछ इसे सख्त इमिग्रेशन कंट्रोल का हिस्सा मानते हैं।
छात्र क्या करें?
वकीलों की सलाह है कि जिन छात्रों को नोटिस मिला है, वे तुरंत इमिग्रेशन वकील से संपर्क करें। कुछ मामलों में अपील के जरिए वीजा बहाल हो सकता है। परावथनेनी जैसे वकील इसकी जांच कर रहे हैं कि क्या कोई दूसरा छिपा कारण तो नहीं। लोथुमल्ला का कहना है कि छात्रों को अमेरिकी नियमों का सख्ती से पालन करना चाहिए, क्योंकि अब छोटी गलती भी भारी पड़ सकती है। यह नया सख्त रुख भारतीय छात्रों के लिए सबक है कि अमेरिका में कानून का पालन कितना जरूरी है, वरना "अमेरिका छोड़कर चले जाओ" का नोटिस उनकी मेहनत पर पानी फेर सकता है।
यह भी पढ़ें:
जनसंघ से शुरू, जनजन तक पहुंचा – 44 सालों में कमल कैसे बना देश का सिरमौर?
.