कौन है Chinmay Deore, जिसने ट्रंप की नाक में कर दिया दम? जानिए पूरी कहानी
Indian Student Chinmay deore: मिशिगन की वेन स्टेट यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस के छात्र चिन्मय देवरे आजकल काफ़ी सुर्खियों में है। दरअसल उसने अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) और इमिग्रेशन अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा ठोक दिया है। बता दें कि उसका F-1 स्टूडेंट वीजा बिना ठोस कारण या नोटिस के रद्द कर दिया गया। चिन्मय के साथ चीन और नेपाल के तीन अन्य छात्रों ने भी यही शिकायत की है। ट्रंप प्रशासन की सख्त इमिग्रेशन नीतियों के बीच यह मामला सैकड़ों अंतरराष्ट्रीय छात्रों के डिपोर्टेशन के डर को उजागर करता है। आखिर कौन है चिन्मय, और क्यों उसका भविष्य अधर में लटक गया? आइए, इस कहानी को रोचक अंदाज में खोलते हैं, जैसे कोई सियासी थ्रिलर की स्क्रिप्ट!
कौन है चिन्मय देवरे?
बता दें कि चिन्मय देवरे की अमेरिका यात्रा 2004 में शुरू हुई जब वह H-4 डिपेंडेंट वीजा पर अपने परिवार के साथ अमेरिका आया। 2008 में भारत लौटने के बाद 2014 में वह फिर मिशिगन आ गया। वेन स्टेट यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई कर रहे चिन्मय का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। मई 2025 में ग्रेजुएशन की उम्मीद कर रहे चिन्मय को 4 अप्रैल 2025 को अचानक सूचना मिली कि उसका F-1 स्टूडेंट स्टेटस रद्द कर दिया गया है।
वीजा रद्दीकरण की क्या है मिस्ट्री?
यूनिवर्सिटी द्वारा भेजे गए ईमेल में "स्टेटस बनाए रखने में विफलता" और "आपराधिक रिकॉर्ड चेक" का हवाला दिया गया था, लेकिन कोई ठोस सबूत नहीं दिया गया। चिन्मय के साथ चीन और नेपाल के तीन अन्य छात्रों को भी इसी तरह की सूचना मिली। इन छात्रों का SEVIS (स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विजिटर इन्फॉर्मेशन सिस्टम) रिकॉर्ड बिना किसी स्पष्टीकरण के समाप्त कर दिया गया।
कानूनी लड़ाई की कैसे हुई शुरुआत?
दरअसल 11 अप्रैल 2025 को ACLU की मदद से चिन्मय और अन्य छात्रों ने DHS के खिलाफ मुकदमा दायर किया। मुकदमे में DHS सचिव क्रिस्टी नोएम और ICE अधिकारियों को नामजद किया गया है। छात्रों का दावा है कि उनका वीजा गैरकानूनी तरीके से रद्द किया गया है और वे अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाएंगे।
ट्रंप प्रशासन की सख्त नीतियां से त्रस्त हैं भारतीय छात्र
ट्रंप के दोबारा सत्ता में आने के बाद से अंतरराष्ट्रीय छात्रों के खिलाफ सख्त कार्रवाई बढ़ गई है। जनवरी 2025 से अब तक 4,700 से अधिक छात्रों का SEVIS रिकॉर्ड समाप्त किया जा चुका है। ACLU का कहना है कि यह कार्रवाई मनमानी है और अमेरिकी उच्च शिक्षा प्रणाली को नुकसान पहुंचा रही है। वहीं चिन्मय का मामला अमेरिका में भारतीय छात्रों की बढ़ती मुश्किलों को उजागर करता है। अदालत का फैसला न केवल चिन्मय के भविष्य, बल्कि हजारों अन्य अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए मिसाल कायम करेगा।
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