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अमेरिकी एयरपोर्ट पर इंडियन बिजनेस विमेन से बदसलूकी! 8 घंटे की हिरासत, पुरुषों ने ली तलाशी—क्या है पूरा मामला?

भारतीय बिजनेस वुमन श्रुति चतुर्वेदी को अलास्का एयरपोर्ट पर 8 घंटे हिरासत में रखा गया, पावर बैंक को संदिग्ध बताकर टॉयलेट-कॉल तक रोकी गई।
02:05 PM Apr 09, 2025 IST | Rohit Agrawal

Shruti Chaturvedi Airport detention: अमेरिका के अलास्का में एंकोरेज एयरपोर्ट पर एक भारतीय महिला उद्यमी Shruti Chaturvedi के साथ हुए कथित दुर्व्यवहार ने सबको चौंका दिया है। "इंडिया एक्शन प्रोजेक्ट" और "चायपानी" की संस्थापक श्रुति ने सोशल मीडिया पर अपनी आपबीती बयां करते हुए बताया कि एक पावर बैंक को "संदिग्ध" बताकर उन्हें 8 घंटे तक हिरासत में रखा गया। इस दौरान न सिर्फ उनकी फिजिकल तलाशी ली गई, बल्कि गर्म कपड़े छीन लिए गए, फोन करने से रोका गया और टॉयलेट जाने तक की इजाजत नहीं दी गई। यह सब इतना चौंकाने वाला है कि श्रुति ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर को टैग कर मदद की गुहार लगाई। आइए, इस घटना को विस्तार से समझते हैं।

पावर बैंक के बहाने ली गई 8 घंटे की तलाशी

Shruti Chaturvedi अपने अलास्का ट्रिप से लौट रही थीं, जब एंकोरेज एयरपोर्ट पर उनकी जिंदगी का सबसे "ड्रामेटिक" चैप्टर शुरू हुआ। उनके हैंडबैग में एक पावर बैंक मिला, जिसे वहाँ की सिक्योरिटी ने "संदिग्ध" करार दे दिया। इसके बाद जो हुआ, वह किसी थ्रिलर फिल्म से कम नहीं था। श्रुति को पुलिस और FBI ने 8 घंटे तक हिरासत में रखा। उन्हें एक ठंडे कमरे में बिठाया गया, गर्म कपड़े छीन लिए गए, और फोन-पर्स तक ले लिया गया।

इतना ही नहीं, एक पुरुष अधिकारी ने कैमरे के सामने उनकी फिजिकल तलाशी ली। श्रुति ने लिखा, "कल्पना करो कि आपकी फ्लाइट छूट जाए, सिर्फ इसलिए कि आपका पावर बैंक किसी को 'खतरनाक' लगा!" यह सब TSA के नियमों के खिलाफ था, जो कहते हैं कि पावर बैंक कैरी-ऑन बैग में रखना जायज है।

8 घंटे टॉयलेट तक नहीं जाने दिया

हिरासत के दौरान श्रुति से "मूर्खतापूर्ण" सवालों की बौछार की गई। उन्हें न टॉयलेट जाने दिया गया, न फोन करने की इजाजत मिली। वह अपने परिवार या दोस्तों को यह तक नहीं बता सकीं कि वह कहाँ हैं। 8 घंटे तक चली इस "बकवास" के बाद उन्हें और उनके दोस्त को रिहा तो कर दिया गया, लेकिन बिना किसी ठोस वजह बताए। श्रुति का कहना है कि अधिकारियों ने उनका सामान रख लिया और बदले में एक "घटिया डफल बैग" थमा दिया। उन्होंने लिखा, "भारत से बाहर भारतीय असहाय होते हैं, खासकर जब आपको एक फोन कॉल की भी आजादी न मिले।" यह अनुभव उनके लिए इतना भयावह था कि उन्होंने इसे "जीवन के सबसे खराब 7 घंटे" करार दिया।

विदेश मंत्रालय को टैग कर श्रुति ने क्या लिखा?

श्रुति ने अपनी पोस्ट में विदेश मंत्रालय और एस. जयशंकर को टैग करते हुए सवाल उठाया कि आखिर यह सब उनके साथ क्यों हुआ। उनका इशारा साफ था—क्या यह उनकी भारतीय पहचान की वजह से था? सोशल मीडिया पर यह पोस्ट वायरल हो गई, और लोग इसे नस्लीय भेदभाव से जोड़कर देख रहे हैं।

 

श्रुति ने बताया कि वह यह बात तभी शेयर कर पाईं, जब वह अमेरिका से बाहर निकल आईं। उनके मुताबिक, हिरासत में उन्हें अलग-अलग कमरों में रखा गया, और कोई ठोस सबूत न मिलने के बावजूद इतनी सख्ती बरती गई। यह घटना अमेरिकी एयरपोर्ट्स पर सिक्योरिटी के नाम पर होने वाली "ज्यादती" की एक और मिसाल बन गई है।

श्रुति के साथ हुई घटना पर छिड़ी इंटरनेशनल बहस

श्रुति की कहानी ने अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के अधिकारों पर बहस छेड़ दी है। TSA के नियम साफ कहते हैं कि पावर बैंक कैरी-ऑन बैग में रखा जा सकता है, तो फिर यह हंगामा क्यों? क्या यह सिर्फ एक गलतफहमी थी, या इसके पीछे कोई बड़ी वजह छिपी है? लोग अब विदेश मंत्रालय से जवाब और कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं। यह पहला मौका नहीं है जब भारतीय यात्रियों ने विदेश में ऐसी शिकायत की हो। श्रुति का यह अनुभव न सिर्फ उनकी निजी लड़ाई है, बल्कि हर उस भारतीय की आवाज बन गया है जो विदेश में खुद को "असहाय" महसूस करता है। अब सवाल यह है कि क्या इस मामले में कोई बड़ी कार्रवाई होगी, या यह भी एक और अनसुनी कहानी बनकर रह जाएगी?

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