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सऊदी अरब और ईरान के सैन्य प्रमुखों की ऐतिहासिक मुलाकात: क्या बदल रहे हैं मध्य पूर्व के समीकरण?

दशकों की दुश्मनी के बाद दो प्रमुख इस्लामिक देशों के बीच बढ़ते करीबी संबंधों का संकेत, क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा पर हो सकता है बड़ा असर
08:00 PM Nov 11, 2024 IST | Vyom Tiwari

सऊदी-ईरान संबंध: सऊदी अरब सुन्नी बहुल देश है वही ईरान एक शिया बहुल देश है दोनों देशों में पुरानी दुश्मनी है लेकिन, सऊदी अरब और ईरान के बीच लंबे समय से चली आ रही दुश्मनी में एक नया मोड़ आया है। दोनों देशों के सैन्य प्रमुखों की हालिया मुलाकात ने मध्य पूर्व की राजनीति में नए समीकरणों की उम्मीद जगा दी है।

दो प्रतिद्वंद्वियों की अप्रत्याशित मुलाकात

रविवार को एक अभूतपूर्व घटनाक्रम में, सऊदी अरब के सशस्त्र बलों के प्रमुख जनरल फय्याद अल-रुवैली ने ईरान की राजधानी तेहरान का दौरा किया। वहां उन्होंने अपने ईरानी समकक्ष जनरल मोहम्मद बाघेरी से मुलाकात की। यह मुलाकात ईरानी सशस्त्र बलों के जनरल स्टाफ मुख्यालय में हुई।

इस मुलाकात का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच रक्षा कूटनीति को मजबूत करना और द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देना था। जनरल बाघेरी ने इस दौरान दोनों देशों के बीच सुरक्षा सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने यहां तक कहा कि वे चाहते हैं कि सऊदी नौसेना अगले साल होने वाले ईरानी नौसैनिक अभ्यास में भागीदार या पर्यवेक्षक के रूप में शामिल हो।

बदलते रिश्तों की कहानी

सऊदी-ईरान संबंध: सऊदी अरब और ईरान के बीच रिश्तों में यह बदलाव अचानक नहीं आया है। 2016 में दोनों देशों ने अपने राजनयिक संबंध तोड़ लिए थे। लेकिन पिछले साल मार्च 2023 में, चीन की मध्यस्थता से दोनों देश फिर से करीब आए और संबंधों को बहाल करने पर सहमत हुए।

इसके बाद नवंबर 2023 में ईरानी जनरल बाघेरी ने सऊदी अरब के रक्षा मंत्री प्रिंस खालिद बिन सलमान अल सऊद से फोन पर बातचीत की थी। इस बातचीत का उद्देश्य क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा करना और दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को मजबूत करना था।

मध्य पूर्व के लिए क्या मायने रखती है यह मुलाकात?

यह मुलाकात सिर्फ दो देशों के बीच एक औपचारिक बैठक से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है। इसके कई गहरे निहितार्थ हैं:

• क्षेत्रीय स्थिरता: सऊदी अरब और ईरान के बीच बेहतर संबंध पूरे मध्य पूर्व की स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण हैं। दोनों देशों ने लंबे समय तक सीरिया और यमन जैसे क्षेत्रों में विरोधी पक्षों का समर्थन किया है। अब अगर ये दोनों देश मिलकर काम करें, तो इन संघर्ष क्षेत्रों में शांति की उम्मीद बढ़ सकती है।

• गाजा संकट: गाजा में हो रहे संघर्ष के दौरान भी सऊदी अरब और ईरान के बीच लगातार बातचीत जारी रही। यह दोनों देशों की बढ़ती नजदीकियों का संकेत है।

• अमेरिकी चुनाव का प्रभाव: यह मुलाकात अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद हुई है। ट्रम्प ने अपने चुनाव अभियान में मध्य पूर्व में शांति स्थापित करने का वादा किया था। ऐसे में, सऊदी अरब और ईरान शायद यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि क्षेत्र में शांति बनी रहे।

• आर्थिक संभावनाएं: दोनों देशों के बीच बेहतर संबंध व्यापार और निवेश के नए अवसर खोल सकते हैं, जो पूरे क्षेत्र के लिए फायदेमंद हो सकता है।

 

सऊदी अरब और ईरान के सैन्य प्रमुखों की यह मुलाकात मध्य पूर्व के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण साझेदारी साबित हो सकती है। यह दोनों देशों के बीच बढ़ते विश्वास और सहयोग का संकेत है, जो पूरे क्षेत्र में शांति और स्थिरता की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है।

 

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