नेशनलराजनीतिमनोरंजनखेलहेल्थ & लाइफ स्टाइलधर्म भक्तिटेक्नोलॉजीइंटरनेशनलबिजनेसआईपीएल 2025चुनाव

चीटियों ने इस देश में मचाया कोहराम, बिजली और इंटरनेट भी हुआ धड़ाम!

जर्मनी में 'टैपिनोमा मैग्नम' नाम की विदेशी चींटियां तेजी से फैल रही हैं, जिससे बिजली और इंटरनेट जैसी जरूरी सेवाएं प्रभावित हो रही हैं।
03:49 PM Apr 12, 2025 IST | Vyom Tiwari

जर्मनी में इन दिनों एक अजीब सी मुसीबत खड़ी हो गई है – और वो भी चींटियों की वजह से! ये कोई आम चींटियां नहीं हैं, बल्कि 'टैपिनोमा मैग्नम' नाम की विदेशी प्रजाति की चींटियां हैं, जो दूर-दराज मेडीटरेनियन इलाके से आई हैं।

अब ये चींटियां धीरे-धीरे जर्मनी के उत्तर हिस्सों में फैल रही हैं, और इस वजह से बिजली और इंटरनेट जैसी ज़रूरी सेवाएं भी प्रभावित हो रही हैं।

कीटों पर रिसर्च करने वाले एक्सपर्ट मैनफ्रेड वेर्हाग बताते हैं कि इन चींटियों की कॉलोनियां बहुत बड़ी होती हैं – लाखों की तादाद में होती हैं। इनकी ताकत और संख्या आम चींटी से कई गुना ज्यादा है।

अब ये कॉलोनियां जर्मनी के कोलोन और हनोवर जैसे बड़े शहरों तक पहुंच चुकी हैं। और यही वजह है कि वहां की तकनीकी व्यवस्था खतरे में पड़ती जा रही है – बिजली हो या इंटरनेट, कुछ भी सुरक्षित नहीं लग रहा।

वैज्ञानिक ने क्या कहा?

वैज्ञानिकों ने बताया है कि एक खास तरह की चींटी जर्मनी के बाडेन-वुर्टेम्बर्ग और आसपास के इलाकों में बहुत तेजी से अपनी कॉलोनी बना रही है। कीहल नाम के एक शहर में तो इस चींटी की वजह से बिजली और इंटरनेट की सेवाएं भी बंद करनी पड़ीं। यही नहीं, इस चींटी को फ्रांस और स्विट्ज़रलैंड जैसे यूरोपीय देशों में भी देखा गया है। अब इसकी मौजूदगी और भी जगहों पर दिखाई दे रही है।

पर्यावरण सचिव ने कही ये बात 

टैपिनोमा मैग्नम नाम की चींटी को अभी तक सरकार ने आधिकारिक तौर पर खतरनाक या आक्रामक प्रजाति नहीं माना है, क्योंकि इसका पर्यावरण पर कितना असर हो रहा है, ये अभी पूरी तरह से साफ नहीं है। लेकिन जर्मनी के बाडेन-वुर्टेम्बर्ग राज्य के पर्यावरण सचिव आंद्रे बाउमन ने इसे एक तरह का कीट कहा है। उनका कहना है कि अगर इस पर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया, तो ये आगे चलकर बड़ी परेशानी बन सकती है।

चीटियों को रोकने के हो रहे इंतजाम 

जर्मनी में अब वैज्ञानिक और सरकारी एजेंसियां मिलकर एक साथ काम कर रही हैं ताकि इस चींटी के फैलाव को रोका जा सके। पहली बार ऐसा हो रहा है जब इस मुद्दे को गंभीरता से लिया गया है और मिलकर ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। इसका मकसद है कि तकनीकी सिस्टम, पर्यावरण और आम लोगों को जो नुकसान हो सकता है, उसे वक्त रहते रोका जा सके। अब इसे सिर्फ एक आम कीट नहीं माना जा रहा है।

 

यह भी पढ़े:

Tags :
ant infestation Europeelectricity disruption GermanyGermany ants problemGermany internet outageinternet blackout Germanyinvasive ant species Europeinvasive ants in Germanypower outage GermanyTapinoma Magnum antsTapinoma Magnum speciesखतरनाक चींटियां यूरोपजर्मनी इंटरनेट बाधाजर्मनी चींटी संकटजर्मनी बिजली कटौतीजर्मनी में चींटी का आतंकटैपिनोमा मैग्नम चींटीटैपिनोमा मैग्नम प्रजातिबिजली इंटरनेट बाधित जर्मनीयूरोप में कीट प्रकोपविदेशी चींटियों का हमला

ट्रेंडिंग खबरें

Next Article