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उथल-पुथल के बाद के बाद श्रीलंका में पहला चुनाव आज, जानें राष्ट्रपति पद की रेस में कौन हैं मुख्य चेहरे?

आज श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव हो रहे हैं, जो 2022 में आए आर्थिक संकट के बाद का पहला आम चुनाव है। चुनाव की सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं।
12:25 PM Sep 21, 2024 IST | Vibhav Shukla

आज श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव हो रहे हैं, जो 2022 में आए आर्थिक संकट के बाद का पहला आम चुनाव है। चुनाव की सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं, और मतदान प्रक्रिया आज सुबह 7 बजे से शुरू होकर शाम 5 बजे तक चलेगी। लगभग 1.7 करोड़ पंजीकृत मतदाता इस चुनाव में भाग ले सकते हैं, और चुनाव परिणाम रविवार को घोषित किए जाएंगे।

आर्थिक संकट के बाद पहला चुनाव

श्रीलंका में आज के चुनाव को लेकर काफी उत्साह है, क्योंकि यह वह समय है जब देश आर्थिक संकट से जूझ रहा है। मौजूदा राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे (75) इस चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। उन्होंने देश को संकट से बाहर निकालने के अपने प्रयासों के लिए कई विशेषज्ञों से सराहना प्राप्त की है।

मतदान केंद्र और अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षक

श्रीलंका में 13,400 से अधिक मतदान केंद्र बनाए गए हैं, जहां आज मतदान होगा। यूरोपीय संघ (ईयू) और राष्ट्रमंडल के चुनाव पर्यवेक्षकों का एक समूह भी चुनाव की निगरानी के लिए श्रीलंका पहुंचा है। कुल 116 अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षक, जिनमें से 78 यूरोपीय संघ से हैं, देश के 25 जिलों में तैनात किए गए हैं। चुनाव पर्यवेक्षकों के समूह के अध्यक्ष डैनी फॉरे ने मतदान केंद्रों का निरीक्षण किया है और उन्होंने कहा है कि यह चुनाव लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है।

विक्रमसिंघे की चुनावी चुनौती

राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने चुनावी रैली में कहा है कि वे देश के दिवालियापन को खत्म करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। हालांकि, उन्हें नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) के अनुरा कुमारा दिसानायके और समागी जन बालावेगया (एसजेबी) के साजिथ प्रेमदासा से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा। यह चुनाव श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनावों के इतिहास में त्रिकोणीय मुकाबला है।

राष्ट्रपति पद की रेस में मुख्य चेहरे

श्रीलंका में राष्ट्रपति पद की चुनावी लड़ाई काफी रोचक है, जहां मौजूदा राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे को दो मुख्य विपक्षी उम्मीदवारों से कड़ी चुनौती मिल रही है। यह चुनाव त्रिकोणीय मुकाबले का गवाह बन रहा है, जो कि 1982 के बाद से पहली बार हो रहा है। आइए जानते हैं इस चुनाव में प्रमुख चेहरों के बारे में।

रानिल विक्रमसिंघे

रानिल विक्रमसिंघे (75) वर्तमान में श्रीलंका के राष्ट्रपति हैं। उन्होंने 2022 में उस समय पद संभाला, जब पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को विरोध प्रदर्शनों के कारण इस्तीफा देना पड़ा था। विक्रमसिंघे ने अपने कार्यकाल के दौरान आर्थिक सुधारों पर ध्यान दिया और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से राहत पैकेज भी हासिल किया है। वह इस चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में भाग ले रहे हैं।

साजिथ प्रेमदासा

साजिथ प्रेमदासा (57) समागी जन बालावेगया (एसजेबी) के नेता हैं और उन्हें इस चुनाव में सबसे मजबूत उम्मीदवार माना जा रहा है। वह पूर्व राष्ट्रपति रणसिंघे प्रेमदासा के बेटे हैं। प्रेमदासा ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है और कहा है कि देश के 22 मिलियन लोग इससे प्रभावित हैं। उन्हें तमिल और मुस्लिम अल्पसंख्यकों का समर्थन भी प्राप्त है, जो कि चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

अनुरा कुमारा दिसानायके

अनुरा कुमारा दिसानायके (55) नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) के उम्मीदवार हैं। उनकी पार्टी संसद में केवल तीन सीटों के साथ सीमित प्रभाव रखती है। दिसानायके भी भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने का दावा कर रहे हैं और उन्होंने हाल ही में मतदान में 36 प्रतिशत समर्थन हासिल किया था। उनके पास मार्क्सवादी झुकाव वाली पार्टी पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट (पीएलएफ) का समर्थन है।

नमल राजपक्षे

नमल राजपक्षे (38) पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के बेटे हैं। उन्हें श्रीलंका में आर्थिक संकट के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है। नमल सबसे युवा उम्मीदवार हैं और उन्होंने रोजगार और बेहतर अर्थव्यवस्था के वादे के साथ चुनावी मैदान में उतरे हैं। चुनाव में उनकी उम्मीदवारी पर चर्चा भी हो रही है।

नुवान बोपेज

नुवान बोपेज (40) पीपुल्स स्ट्रगल एलायंस (पीएसए) के उम्मीदवार हैं। उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है और गरीबों के लिए नीतियों का समर्थन कर रहे हैं। उनकी स्थिति चुनाव में कमजोर हो सकती है, लेकिन उनकी नीतियों से युवा मतदाताओं को प्रभावित करने की संभावना है।

श्रीलंका के राजनीतिक भविष्य को मिलेगी नई दिशा

आज का चुनाव श्रीलंका के राजनीतिक भविष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। विक्रमसिंघे को अपनी सत्ता बचाने के लिए कठिन चुनौतियों का सामना करना होगा। अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों की उपस्थिति और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के प्रति प्रतिबद्धता इस चुनाव को और भी महत्वपूर्ण बनाती है। अब देखना यह है कि श्रीलंकाई मतदाता किस दिशा में मतदान करते हैं और देश को किस तरह की नेतृत्व की आवश्यकता है।

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