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जमीन, पानी के बाद अब अंतरिक्ष में हो रही जंग की तैयारी, अमेरिका, रूस और चीन कर रहे खेला

अमेरिका ने चीन और रूस पर अंतरिक्ष में सैन्य तकनीक तैनात करने का आरोप लगाया। चीन के सैटेलाइट्स की संदिग्ध हरकतों से अमेरिका को खतरा महसूस हो रहा है।
04:24 PM Mar 22, 2025 IST | Vyom Tiwari

अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की अंतरिक्ष को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है। अमेरिकी स्पेस फोर्स का दावा है कि चीन और रूस ने ऐसी तकनीक विकसित कर ली है, जो सैटेलाइट्स को जाम कर सकती है। इसके अलावा, चीन पर आरोप है कि वह अंतरिक्ष में अपने सैटेलाइट्स के जरिए ‘डॉगफाइटिंग’ की ट्रेनिंग ले रहा है, जिसे सैन्य उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इस खुलासे के बाद अंतरिक्ष में संभावित युद्ध को लेकर दुनियाभर में चिंता बढ़ गई है।

अमेरिकी स्पेस फोर्स के उप प्रमुख जनरल माइकल ए. गेटलाइन के मुताबिक, चीन के पांच सैटेलाइट्स को एक-दूसरे के आसपास तेज रफ्तार में घूमते हुए देखा गया है। इसे ‘डॉगफाइटिंग’ कहा जा रहा है, जो युद्ध रणनीति का हिस्सा हो सकता है। इनमें तीन Shiyan-24C और दो Shijian-6 05A/B सैटेलाइट शामिल हैं। यह गतिविधि बताती है कि चीन अपनी स्पेस वारफेयर क्षमता को लगातार बढ़ा रहा है, जिससे अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए नई चुनौती खड़ी हो सकती है।

चीन के पांच सैटेलाइट्स की संदिग्ध हरकतें

चीन ने कहा है कि वह अंतरिक्ष का उपयोग शांति के उद्देश्य से करना चाहता है, लेकिन 2019 में जारी उसकी राष्ट्रीय रक्षा नीति में यह भी बताया गया था कि वह अपने अंतरिक्ष हितों की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाएगा।

अमेरिका लंबे समय से चीन की बढ़ती अंतरिक्ष तकनीक पर नजर रखे हुए है। खासतौर पर उन तकनीकों पर, जो दूसरे देशों के उपग्रहों को बाधित कर सकती हैं।

विशेषज्ञों के मुताबिक, उपग्रहों के बीच नज़दीकी संपर्क वाली ये गतिविधियां "रेंडेजवस एंड प्रॉक्सिमिटी ऑपरेशंस (RPOs)" कहलाती हैं। इनका इस्तेमाल उपग्रहों की मरम्मत करने और अंतरिक्ष से कचरा हटाने जैसे शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है। लेकिन इन्हीं तकनीकों का इस्तेमाल दुश्मन के उपग्रहों को निष्क्रिय करने या नष्ट करने के लिए भी किया जा सकता है।

रूस भी कर चुका है खेला 

अमेरिका और रूस पहले भी ऐसे उपग्रह परीक्षण कर चुके हैं, लेकिन हाल ही में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों को लेकर अमेरिका ज्यादा चिंतित है। रिपोर्ट के मुताबिक, चीन और रूस ने अंतरिक्ष में ऐसी टेक्नोलॉजी तैनात की है, जो उपग्रहों को बाधित कर सकती है, जैसे जैमर, एंटी-सैटेलाइट लेजर और ग्रैपलिंग सिस्टम। इससे अंतरराष्ट्रीय शक्ति संतुलन प्रभावित हो सकता है।

अमेरिकी जनरल गेटलाइन का कहना है कि चीन और रूस की बढ़ती क्षमताओं के कारण अब अमेरिका की बढ़त पहले जैसी नहीं रही। उन्होंने इसे अब तक का सबसे जटिल रणनीतिक माहौल बताया और कहा कि अमेरिका को अपनी अंतरिक्ष रक्षा को और मजबूत करना होगा ताकि किसी भी संभावित खतरे से निपटा जा सके।

अंतरिक्ष में शक्ति बढ़ाने की होड़ 

अगर अंतरिक्ष में सैन्य तकनीक पूरी तरह विकसित हो गई, तो यह हमारी रोजमर्रा की सेवाओं पर गहरा असर डाल सकती है। संचार नेटवर्क, मिसाइल चेतावनी सिस्टम और नेविगेशन तकनीक बाधित होने से बैंकिंग, शिपिंग और आपातकालीन सेवाओं जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में दिक्कतें आ सकती हैं।

अमेरिका ने अब तक अपने उपग्रह-रोधी सैन्य कार्यक्रम की आधिकारिक जानकारी नहीं दी है, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर जरूरत पड़ी, तो वह जल्दी ही ऐसी तकनीक विकसित कर सकता है। अंतरिक्ष में बढ़ती सैन्य गतिविधियों को देखकर यह साफ है कि दुनिया अब एक नए अंतरिक्ष युद्ध के दौर में कदम रख रही है, जहां ताकत और तकनीक ही सबसे बड़ा हथियार बनेंगे।

 

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