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अमेरिका से क्यों भगाए जा रहे बांग्लादेशी? डिपोर्टियों ने कहा ‘अमेरिका में डर का माहौल’

अमेरिका ने 31 बांग्लादेशी नागरिकों को वापस भेजा है। चार्टर्ड फ्लाइट्स से हो रही डिपोर्टेशन पर लोगों में डर का माहौल है।
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कभी बांग्लादेश के लोगों के लिए अमेरिका एक सपना हुआ करता था  एक ऐसी जगह, जहां मेहनत से जिंदगी बेहतर बनाई जा सकती थी। लेकिन अब वही अमेरिका उन्हें वापस उनके देश भेज रहा है।

ट्रंप प्रशासन की सख्त इमिग्रेशन पॉलिसी के चलते हालात काफी बदल गए हैं। अब तक 31 बांग्लादेशी नागरिकों को अमेरिका से डिपोर्ट किया जा चुका है। और ऐसा कहा जा रहा है कि ये तो बस शुरुआत है।

ऐसे में सवाल उठते हैं  आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? क्या अब अमेरिका में बांग्लादेशियों के रहने के दिन सच में खत्म हो रहे हैं?

चार्टर्ड फ्लाइट से हो रही वापसी

पिछले करीब डेढ़ महीने में अमेरिका ने कई बांग्लादेशी नागरिकों को कमर्शियल और चार्टर्ड फ्लाइट्स के जरिए वापस ढाका भेजा है। ये ज़्यादातर वो लोग थे जिनके वीज़ा या शरण (असाइलम) से जुड़े मामले अमेरिकी कोर्ट में खारिज हो गए थे। ढाका एयरपोर्ट पर मौजूद स्पेशल ब्रांच और इमिग्रेशन के अधिकारियों ने इस बात की जानकारी दी।

अमेरिका और बांग्लादेश के बीच हुई कई मीटिंग 

अमेरिका और बांग्लादेश के बीच इस मुद्दे को लेकर कई मीटिंग्स हो चुकी हैं। 23 फरवरी को हुई एक मीटिंग में अमेरिकी अफसरों ने ट्रंप सरकार की सख्त इमिग्रेशन पॉलिसी पर ज़ोर दिया। फिर 5 मार्च को दूसरी मीटिंग हुई, जिसमें बांग्लादेशी नागरिकों को वापस भेजने के लिए ज़रूरी इंतज़ामों पर बात हुई। अमेरिका चाहता है कि बांग्लादेश 30 दिन के अंदर ट्रैवल डॉक्यूमेंट्स जारी करे और किसी भी फ्लाइट से आए अपने नागरिकों को वापस ले। इस पर बांग्लादेश ने कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करेगा।

बिना हाथकड़ी के वापस आ रहे लोग

सरकारी अधिकारियों ने बताया है कि जो लोग वापस लौट रहे हैं, उनके साथ कोई गलत या अपमानजनक व्यवहार नहीं किया जा रहा है। न तो उन्हें हथकड़ी लगाई जा रही है और न ही उनके साथ कोई बदतमीजी हो रही है। BRAC जैसी कुछ संस्थाएं भी इस काम में जुड़ सकती हैं, जो इन लोगों को कानूनी सलाह देने और काउंसलिंग में मदद करने का काम करेंगी। सरकार की कोशिश है कि अगर लौटने वाले लोगों को किसी तरह की कानूनी या आर्थिक मदद की जरूरत हो, तो उन्हें वो मिल सके।

डिपोर्टियों ने क्या कहा?

मुंशीगंज के रतन मोरल और नोआखाली के इब्राहिम खलील ने बताया कि वे अमेरिका में पनाह लेने के लिए गए थे। उन्होंने असाइलम के लिए आवेदन किया था, लेकिन उनका केस रिजेक्ट हो गया और फिर उन्हें देश से बाहर भेज दिया गया। रतन ने कहा, “जब मैं डिपोर्टेशन सेंटर में था, तो वहां 50 से ज्यादा बांग्लादेशी लोग थे।”

उधर न्यूयॉर्क में रह रहे एक बांग्लादेशी नागरिक ने बताया कि वहां अब डर का माहौल है। उन्होंने कहा, “कई लोग तो घर से बाहर भी नहीं निकल रहे। मार्केट जाना तक बंद कर दिया है। सबके कागज़ पूरे हैं, फिर भी सब डरे हुए हैं।”

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