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केएफसी, पिज्जा हट और बाटा जैसे बड़े ब्रांड्स पर क्यों फूटा बांग्लादेशियों का गुस्सा? जमकर की तोड़-फोड़

बांग्लादेश में इज़राइल विरोध के बीच लोगों ने गलतफहमी में इंटरनेशनल ब्रांड्स पर हमला बोल दिया, कई स्टोर्स लूटे और तोड़े गए।
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बांग्लादेश इन दिनों एक बेहद अजीब और चिंताजनक स्थिति से गुजर रहा है। देश के अलग-अलग शहरों में अंतरराष्ट्रीय ब्रांड्स जैसे केएफसी, पिज्जा हट, डोमिनोज़ और यहां तक कि बाटा के स्टोर्स पर उग्र और हिंसक हमले हो रहे हैं। सोशल मीडिया पर इन हमलों के वीडियो तेजी से वायरल हो रहे हैं, जिनमें प्रदर्शनकारी दुकानों को नुकसान पहुंचाते हुए और उत्पादों को लूटते हुए नजर आ रहे हैं। कई जगहों पर लोगों ने हमला करके उत्पाद उठाए और फिर उसी स्टोर के सामने नाचते-गाते नजर आए।

इन हमलों की शुरुआत उस समय हुई जब देशभर में इज़राइल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे थे। गाज़ा में चल रहे संघर्ष और फिलिस्तीन पर कथित अत्याचारों के विरोध में बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों में लोग सड़कों पर उतरे। परंपरागत रूप से ऐसे विरोध प्रदर्शन इज़राइल के प्रत्यक्ष समर्थकों या उससे जुड़े ब्रांड्स के खिलाफ होते हैं। लेकिन इस बार कुछ ब्रांड्स को गलतफहमी के कारण निशाना बनाया गया है।

फेक न्यूज़ का शिकार बनी दिग्गज कंपनियां 

Bangladesh brand attack

बांग्लादेश में सोशल मीडिया पर फैली अफवाहों और फेक न्यूज़ के चलते कई लोग यह मान बैठे हैं कि डोमिनोज़, पिज्जा हट, केएफसी, बाटा और प्यूमा जैसे ब्रांड्स किसी न किसी रूप में इज़राइल से जुड़े हैं। जबकि सच्चाई इसके बिल्कुल उलट है।

उदाहरण के लिए, बाटा एक यूरोपीय कंपनी है, जिसका इज़राइल से कोई संबंध नहीं है। यहां तक कि इज़राइल में बाटा का कोई स्टोर भी नहीं है। इसी तरह डोमिनोज़ एक अमेरिकी ब्रांड है और केएफसी ने कई बार इज़राइल की मार्केट में प्रवेश करने की कोशिश की, लेकिन वह टिक नहीं सका। पिज्जा हट और प्यूमा के भी सीधे तौर पर इज़राइल से कोई लिंक नहीं हैं।

आवामी लीग बताया राष्ट्रीय आपातकाल की स्थिति 

यह घटना केवल ब्रांड्स पर हमलों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक बड़े सामाजिक संकट की ओर इशारा करती है। बांग्लादेश की सत्ताधारी पार्टी 'आवामी लीग' ने खुद इसे राष्ट्रीय आपातकाल की स्थिति बताया है । पार्टी ने कहा है कि देश में बढ़ती चरमपंथी सोच और हिंसा के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जरूरत है, वरना बांग्लादेश भी अफगानिस्तान जैसे हालात में पहुंच सकता है।

क्या है BDS मूवमेंट?

Bangladesh brand attack

इस मुद्दे का एक अंतरराष्ट्रीय पहलू भी है – 'BDS मूवमेंट' यानी 'Boycott, Divestment, Sanctions', जो इज़राइल के खिलाफ आर्थिक बहिष्कार का समर्थन करता है। हालांकि, बांग्लादेश में जिस प्रकार की हिंसा हो रही है, वह इस मूवमेंट की आत्मा के खिलाफ है क्योंकि BDS एक शांति से चलने वाला विरोध है, जिसमें उपभोक्ता किसी ब्रांड से दूरी बनाते हैं लेकिन हिंसा नहीं करते।

Microsoft भी इस वैश्विक बहस के केंद्र में है, क्योंकि उसकी क्लाउड सर्विसेज इज़राइली सेना को सपोर्ट करती हैं। हाल ही में एक Microsoft वर्कर ने सार्वजनिक मंच पर विरोध दर्ज कराया, जिसके बाद उसे नौकरी से हाथ धोना पड़ा। यह घटना बताती है कि किस तरह वैश्विक कंपनियां इस समय आलोचना और बहिष्कार का सामना कर रही हैं।

बहिष्कार से भारतीय कमापनियों के लिए मौका 

बांग्लादेश की घटनाओं के बीच, एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि इन बहिष्कारों का अप्रत्यक्ष लाभ कुछ भारतीय कंपनियों को मिल रहा है। जैसे रिलायंस ने Campa Cola को फिर से बाज़ार में उतारा है और पश्चिम एशिया में कोका-कोला और पेप्सी के बहिष्कार के चलते कैमपा कोला जैसे विकल्पों की मांग बढ़ रही है।

हालांकि आर्थिक लाभ एक अलग मुद्दा है, पर भारत और अन्य पड़ोसी देशों को बांग्लादेश की स्थिति को गंभीरता से लेना चाहिए। यदि वहां की चरमपंथी सोच और फेक न्यूज़ को रोका नहीं गया, तो इसका असर सिर्फ बांग्लादेश तक सीमित नहीं रहेगा। यह पूरे क्षेत्र की स्थिरता को प्रभावित कर सकता है।

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